कईं बार बुजा सा और फिर जला मैं
हर बार रोशनी बढ़ती गई
अंधेरा मिटाने की जीद ने बुझने न दिया
और
जब जब दिखा रास्ता उजाले में
किसी भटकते को
मेरी जीत हर दिन निखरती गई
मैं दिपक हूँ
दूसरों के लिए जलना
मेरा जीवन है
....राजेश बीजी
©राजेश कुमार बी.जी
मैं दिपक हूँ