इस बिजली के खंभे सी हमारी जिंदगी, उलझे तारों की तरह जकड़ी हुई है परेशानियां... और दूर-दूर तक फैला यह आसमां, हमारे आंखों में बसे सपनों की तरह है अंतहीन... रोज उ.
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