Jyoti(अंशु)

Jyoti(अंशु)

मंजिल तक पहुंचने के लिए प्रयास जारी हैं...समय की सूइयों के साथ अनुभव और विचारों को हथियार बनाया है.

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जज़्बातों... भावनाओं.... या आपके सपनों के साथ लाख खेल ले कोई, खिलवाड़ तब तक नहीं समझा जाता.... जब तक जिस्म न छूआ हो!!! ©Jyoti(अंशु)

#अनुभव #reality_fo_life #Mylifeexperince #nojotohindi2020 #PartOfOurLife #Broken_Smile  जज़्बातों...
      भावनाओं....
या आपके सपनों के साथ लाख खेल ले कोई,
खिलवाड़ तब तक नहीं समझा जाता....
जब तक जिस्म न छूआ हो!!!

©Jyoti(अंशु)

खिलवाड़ कैसा... #PartOfOurLife #Mylifeexperince #Love___hurt #Broken_Smile #FakeLove💔🥀 #nojotohindi2020 #reality_fo_life

5 Love

इस बिजली के खंभे सी हमारी जिंदगी, उलझे तारों की तरह जकड़ी हुई है परेशानियां... और दूर-दूर तक फैला यह आसमां, हमारे आंखों में बसे सपनों की तरह है अंतहीन... रोज उगता हुआ सूरज कहता है चल सपनों को पाने समय के साथ कदम मिला, और जो ढल आती है शाम तो डूबता हुआ सूरज कहता है... कोई नहीं, कल होगी फिर एक नई सुबह। -अंशु

#inspirationalthoughts #विचार #naturelovers #poetricstory #poemlover  इस बिजली के खंभे सी हमारी जिंदगी, 
उलझे तारों की तरह जकड़ी हुई है परेशानियां...
और दूर-दूर तक फैला यह आसमां, हमारे आंखों में बसे सपनों की तरह है अंतहीन...
रोज उगता हुआ सूरज कहता है चल सपनों को पाने समय के साथ कदम मिला,
और जो ढल आती है शाम तो डूबता हुआ सूरज कहता है... कोई नहीं, कल होगी फिर एक नई सुबह।
-अंशु

फिर होगी नई सुबह... #inspirationalthoughts #naturelovers #poemlover #poetricstory

2 Love

इन बारिश की बूंदों और हवाओं से बेइंतहा मोहब्बत है मुझे, इनके आती एक अलग खुशी, एक अलग उमंग जग जाती है मेरे अंतर्मन में... ठीक वैसे ही जैसे कृष्ण को देख झूम उठती थी गोपियां वृंदावन में... कभी खिड़की से तो कभी छत पर होता है इनसे मिलन मेरा... खेलती हूं कभी इन बारिश की बूंदों से, तो कभी इन हवाओं से होती है ढेर सारी मीठी बातें... कभी अपने आंसुओं को इन बूंदों में छुपाती हूं, तो कभी अपने दर्द को मैं इन हवाओं से बांटती हूं... देखें, तो दोनों हैं हमसफर मेरे... पर तकलीफ इतनी है कि बस कुछ महीनों का होता है साथ हमारा... फिर हो जाते हैं जुदा हम एक-दूसरे से... हवा और बारिश तो चल पड़ते हैं अपने नई मंजिल की ओर लेकिन मैं, मैं फिर बैठ जाती हूं इनके इंतजार में... कि आएंगे तो फिर होगा मिलना इनसे, खुलेंगे फिर से दिल और मन के ताले... फिर होगी गुफ्तगू हमारी, भर जाएंगे नैना...जो थे इनके आस में तरसें। -अंशु

#कविता #blowingwinds #naturelover #poetries #rainfall  इन बारिश की बूंदों और हवाओं से बेइंतहा मोहब्बत है मुझे,
इनके आती एक अलग खुशी, एक अलग उमंग जग जाती है मेरे अंतर्मन में...
ठीक वैसे ही जैसे कृष्ण को देख झूम उठती थी गोपियां वृंदावन में...
कभी खिड़की से तो कभी छत पर होता है इनसे मिलन मेरा...
खेलती हूं कभी इन बारिश की बूंदों से, 
तो कभी इन हवाओं से होती है ढेर सारी मीठी बातें...
कभी अपने आंसुओं को इन बूंदों में छुपाती हूं, 
तो कभी अपने दर्द को मैं इन हवाओं से बांटती हूं...
देखें, तो दोनों हैं हमसफर मेरे...
पर तकलीफ इतनी है कि बस कुछ महीनों का होता है साथ हमारा...
फिर हो जाते हैं जुदा हम एक-दूसरे से...
हवा और बारिश तो चल पड़ते हैं अपने नई मंजिल की ओर लेकिन मैं, 
मैं फिर बैठ जाती हूं इनके इंतजार में...
कि आएंगे तो फिर होगा मिलना इनसे, खुलेंगे फिर से दिल और मन के ताले...
फिर होगी गुफ्तगू हमारी, भर जाएंगे नैना...जो थे इनके आस में तरसें।
                
-अंशु

बारिश-हवा और मैं... #rainfall #Nature #blowingwinds #naturelover #poetries

3 Love

इन बारिश की बूंदों और हवाओं से बेइंतहा मोहब्बत है मुझे, इनके आती एक अलग खुशी, एक अलग उमंग जग जाती है मेरे अंतर्मन में... ठीक वैसे ही जैसे कृष्ण को देख झूम उठती थी गोपियां वृंदावन में... कभी खिड़की से तो कभी छत पर होता है इनसे मिलन मेरा... खेलती हूं कभी इन बारिश की बूंदों से, तो कभी इन हवाओं से होती है ढेर सारी मीठी बातें... कभी अपने आंसुओं को इन बूंदों में छुपाती हूं, तो कभी अपने दर्द को मैं इन हवाओं से बांटती हूं... देखें, तो दोनों हैं हमसफर मेरे... पर तकलीफ इतनी है कि बस कुछ महीनों का होता है साथ हमारा... फिर हो जाते हैं जुदा हम एक-दूसरे से... हवा और बारिश तो चल पड़ते हैं अपने नई मंजिल की ओर लेकिन मैं, मैं फिर बैठ जाती हूं इनके इंतजार में... कि आएंगे तो फिर होगा मिलना इनसे, खुलेंगे फिर से दिल और मन के ताले... फिर होगी गुफ्तगू हमारी, भर जाएंगे नैना...जो थे इनके आस में तरसें। -अंशु

#कविता #blowingwinds #naturelover #lovepoetry #rainfall  इन बारिश की बूंदों और हवाओं से बेइंतहा मोहब्बत है मुझे,
इनके आती एक अलग खुशी, एक अलग उमंग जग जाती है मेरे अंतर्मन में...
ठीक वैसे ही जैसे कृष्ण को देख झूम उठती थी गोपियां वृंदावन में...
कभी खिड़की से तो कभी छत पर होता है इनसे मिलन मेरा...
खेलती हूं कभी इन बारिश की बूंदों से, 
तो कभी इन हवाओं से होती है ढेर सारी मीठी बातें...
कभी अपने आंसुओं को इन बूंदों में छुपाती हूं, 
तो कभी अपने दर्द को मैं इन हवाओं से बांटती हूं...
देखें, तो दोनों हैं हमसफर मेरे...
पर तकलीफ इतनी है कि बस कुछ महीनों का होता है साथ हमारा...
फिर हो जाते हैं जुदा हम एक-दूसरे से...
हवा और बारिश तो चल पड़ते हैं अपने नई मंजिल की ओर लेकिन मैं, 
मैं फिर बैठ जाती हूं इनके इंतजार में...
कि आएंगे तो फिर होगा मिलना इनसे, खुलेंगे फिर से दिल और मन के ताले...
फिर होगी गुफ्तगू हमारी, भर जाएंगे नैना...जो थे इनके आस में तरसें।
-अंशु

बारिश-हवा और मैं... #rainfall #naturelover #blowingwinds #lovepoetry

3 Love

ना दिन-रात की फ़िक्र, ना अपने-पराए का अंतर... कर्तव्यों की खातिर जो मौत से भी लड़ रहा... उन्हें समर्पित सुकृति माधव मिश्र द्वारा रचित यह कविता 'मैं खाकी हूं'.... वंदे मातरम्

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