मैंने कभी कहा नहीं, लेकिन हम लड़के पिता को गले नहीं लगाते। हम लड़के पिता के
गालों को नहीं चूमते और न ही पिता की गोद में सिर
रख कर सुकून से सोते हैं। पिता-पुत्र का रिश्ता मर्यादित होता है।
अक्सर जब घर पर फोन करता हूँ, माँ से बात होती है।
पीछे से दबे दबे शब्दों में पिताजी भी कुछ कहते हैं, सवाल
पूछते हैं या फिर सलाह तो देते हैं ही। कुछ नहीं होता है
जब कहने को, तो खांसने की एक आवाज़ उनकी मौजूदगी
दर्ज कराने के लिए काफ़ी होती है। पिता की शिथिल होती
तबीयत का हाल भी हम लड़के माँ से पूछते हैं और माँ के
सहारे ही दवाईयों, परहेज, व्यायाम इत्यादि की सलाह भी देते हैं।
पिता-पुत्र, शुरुआत से ही एक दूरी पर रहते हैं। दूरी अदब
की, लिहाज की, संस्कार की या फिर जेनरेशन गैप की।
हर बेटे का मन करता है कि इन दूरियों को लाँघता हुआ
जाए और अपने पिता को गले से लगाकर कहे -
आई लव यू डैडी 💙 । जिस तरह मदर्स डे पर माँ को विश
करते हैं उसी तरह फादर्स डे पर पिता को गले लगाकर
विश करना हम सभी लड़को का स्वप्न है, मगर हम कभी
नहीं कर पाते हैं। माँ को जितना प्यार करते हैं पिता का
उतना ही सम्मान। और ये सम्मान की दीवार इतनी ऊँची
हो चुकी है कि प्यार की छलांग उसे लाँघ नहीं पाती
©पूर्वार्थ
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here