(मेरे द्वारा रचित श्लोक उपजाति छन्द में)
वहन्ति नद्य: पशवश्चरन्ति,
दुहन्ति गावो मनुजा भ्रमन्ति|
खेलन्ति धावन्ति हसन्ति बाला:,
इमानि दृश्यानि मनोहराणि||
सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️
अर्थात- नदियां बह रही हैं पशु चर रहे हैं गायों का दोहन हो रहा है सभी लोग भ्रमण कर रहे हैं बच्चे खेल-कूद रहे हैं प्रसन्न हो रहे हैं, अहो! यह प्रात:कालीन दृश्य कितना सुमनोहर है|
©Abhishek Choudhary Sanskrit
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