दिल जंगल में आग लगी है,इक चेहरा जलता जा रहा, गम के बादल हैं छाए बस अब्र बरसना बाकी है।। -क़ातिब पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़े,ज़िया मज़कूर की ज़मीन पर कही ये मेरी ग़ज़ल उस.
1 Stories
17 Love
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here