#Lohri हिंदी कविता: आग लगी है ये
लेखक संतोष राठौर रजिस्टर
क्रमांक 32895
आग लगी है ये
ऐसे ना बुझ पायेगी
सोते रहोगे तो
ये बढती ही जायेगी
बस बुझा दे एकबार तो खत्म हो जायेगी
आज मुझे तो कल तुझे जलायेगी
आज मेरे घर तक ,कल तेरे घर तक भी आये गी
आग लगी है ये
ऐसे ना बुझ पायेगी
सोते रहोगे तो
ये बढती ही जायेगी
बस बुझा दे एकबार तो खत्म हो जायेगी
डर मत और कर मत
इंतजार उसके आने का
गरज कर बरस जा, मौसम बुझने का
बहाना भी हैं इसे मिटाने का
फिर ये ऐसे ही खत्म हो जाये गी
आग लगी है ये
ऐसे ना बुझ पायेगी
सोते रहोगे तो
ये बढती ही जायेगी
बस बुझा दे एकबार तो खत्म हो जायेगी
- संतोष
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