उस सर्द सुबह को उसने मिलने बुलाया था और मैं मना भी करता तो कैसे करता...
आखिर दिल में तो मेरे भी मिलने का अरमान था
इसलिए बेहतर तो यही था
के मैं सोचने में वक़्त ज़ाया ना करता🙂
उस सर्द सुबह को उसने मिलने बुलाया था और तेरी चाहत ने मुझको दीवाना बना दीया अच्छे भले आदमी को पैजामा बना दिया समझ बैठे थे खुद को कन्हैया तेरे खर्चों ने मुझको सुदामा बना दिया
उस सर्द सुबह को उसने मिलने बुलाया था और आधा घण्टा समय की देरी से मैं वहाँ आया था
ठिठुर रही थी खड़ी हाथ मैं चाय की प्याली थीं
सुबह सवेरे की वो भी मुलाकात निराली थी...
😋😊
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