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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे हैं, सर्दी ने रोका हर काम। हिम्मत भी थरथर कांप उठी, लिपटे हम गर्म चादर में। उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है, किसने बर्फ डाल दी पानी में? कौन है जो यूं कहर ढा रहा, पूरे गांव को कैद किया है घर में? राह अंधेरी, जमी हुई है, थोड़ी उम्मीद बची है मन में। चलता हूं बस सहारे इसके, जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में। शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात, आलस ने ले लिया गिरफ्त में। यह कैसा दिन, एक पल न सुहा, सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में। हर कदम जैसे थम सा रहा, जीवन को ढो रहा धुंध में। क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी, या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में? ©theABHAYSINGH_BIPIN

#कविता #coldwinter  कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

10 Love

ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman

#कविता  ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

16 Love

White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो कभी उस टहन्नी पर घुमा शाम तो शाम ढल गई कबकी मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।" -LotusMali https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali

#sad_quotes  White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी
और मेरे मन का पंछी अभी भी

किसकी राह पर निघाए लिए
इंतजार कर रहा था 

मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो 
कभी उस टहन्नी पर घुमा 

शाम तो शाम ढल गई कबकी 
मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।"

-LotusMali
https://lotusshayari.blogspot.com/

©Lotus Mali

#sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो

15 Love

कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे हैं, सर्दी ने रोका हर काम। हिम्मत भी थरथर कांप उठी, लिपटे हम गर्म चादर में। उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है, किसने बर्फ डाल दी पानी में? कौन है जो यूं कहर ढा रहा, पूरे गांव को कैद किया है घर में? राह अंधेरी, जमी हुई है, थोड़ी उम्मीद बची है मन में। चलता हूं बस सहारे इसके, जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में। शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात, आलस ने ले लिया गिरफ्त में। यह कैसा दिन, एक पल न सुहा, सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में। हर कदम जैसे थम सा रहा, जीवन को ढो रहा धुंध में। क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी, या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में? ©theABHAYSINGH_BIPIN

#कविता #coldwinter  कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

10 Love

ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman

#कविता  ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

16 Love

White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो कभी उस टहन्नी पर घुमा शाम तो शाम ढल गई कबकी मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।" -LotusMali https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali

#sad_quotes  White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी
और मेरे मन का पंछी अभी भी

किसकी राह पर निघाए लिए
इंतजार कर रहा था 

मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो 
कभी उस टहन्नी पर घुमा 

शाम तो शाम ढल गई कबकी 
मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।"

-LotusMali
https://lotusshayari.blogspot.com/

©Lotus Mali

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