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New संदेह और भ्रांतिमान अलंकार Status, Photo, Video

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Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora

 Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora

आदम और ईव

17 Love

White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005

#अनुप्रास #YourQuoteAndMine #anupras_alankar #sumitkikalamse #sumitmandhana #love_shayari  White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा,
सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। 

क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में,
तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में।

बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार,
जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार।

पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी  है जरूरी,
फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी।

चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, 
सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी।

कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो,
प्यार का इज़हार करने से किसी से  भी ना डरो।

या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो,
ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005

अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प

21 Love

Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora

 Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora

आदम और ईव

17 Love

White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005

#अनुप्रास #YourQuoteAndMine #anupras_alankar #sumitkikalamse #sumitmandhana #love_shayari  White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा,
सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। 

क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में,
तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में।

बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार,
जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार।

पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी  है जरूरी,
फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी।

चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, 
सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी।

कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो,
प्यार का इज़हार करने से किसी से  भी ना डरो।

या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो,
ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो।
✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎

©SumitGaurav2005

अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प

21 Love

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