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New धडका है सीटी बजा ये Status, Photo, Video

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Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा.. अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#अब  Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा..

अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#अब भी ताज़ा है ये ग़म....

17 Love

White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #ये  White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया,
हर इंसान अपने ही साए से जल गया।
इज्जत अब बस नामों तक रह गई है,
असलियत झूठ की चादर में ढह गई है।

जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे,
अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं।
हर ख्वाब जो आँखों में पलता था,
उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है।

मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा,
हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा।
ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी,
और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी।

©नवनीत ठाकुर

#ये दौर कितना बदल गया है

15 Love

Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा.. अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#अब  Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा..

अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#अब भी ताज़ा है ये ग़म....

17 Love

White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #ये  White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया,
हर इंसान अपने ही साए से जल गया।
इज्जत अब बस नामों तक रह गई है,
असलियत झूठ की चादर में ढह गई है।

जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे,
अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं।
हर ख्वाब जो आँखों में पलता था,
उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है।

मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा,
हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा।
ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी,
और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी।

©नवनीत ठाकुर

#ये दौर कितना बदल गया है

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