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वो शख़्स कभी ख़ुद को मेरी जगह पर और मुझे उसकी जगह पर रख कर सोचे कि जो जो उसने किया,वो सब मैंने भी किया होता अगर,तो क्या करता वो?? उसकी तरह उसके सामने मैं भी बदल लेती अपना नाम, पहचान और किरदार, तो क्या इस बदले हुए किरदार और पहचान के साथ मुझे accept कर पाता वो?? मैंने भी बोले होते अगर झूठ उस से अपनी पहचान छुपाने के लिए तो मेरे झूठ सुन कर, मुझे अपने दिल में क्या उसी पहलेवाले मक़ाम पर रख पाता वो?? मैंने भी निभाई होती दोस्ती किसी से इस हद तक की मुझ से मोहब्बत हो जाती उसे, ये बात जानने के बाद भी क्या उतनी ही शिद्दत से मुझ से मोहब्बत कर पाता वो?? वो जैसे सजाता है किसी और की निशानियों से तहरीरें अपनी, उसकी तरह मैं भी अगर किसी दूसरे की निशानियों से सजाती अपनी तहरीरें तो क्या ग़लत-फ़हमियों में मुब्तिला नहीं होता वो?? जो रवैये उसने मेरे लिए अपनाए मैं भी उसके लिए अपनाती अगर , जिस तरह किसी और की वजह से उसने मुझे बार-बार नज़र अंदाज़ किया मैं भी बार-बार यही करती अगर, तो क्या मेरे इस रवैए को बर्दाश्त कर पाता वो?? मैंने तब भी अपना यक़ीन टूटने नहीं दिया जब वो किसी और का दिल बहलाता था, कोई और ही उसके लिए मोहब्बत की तहरीरें लिख रहा था, फ़िर उसकी ख़ुद की नज़र में वो रिश्ता चाहे जो भी हो, लेकिन मैं भी उसकी तरह किसी और का दिल बहलाने लग जाती अगर तो क्या तब भी मुझ पर अपना यक़ीन बरक़रार रख पाता वो ?? माना कि बोला होगा झूठ उसने फ़िर से इक नई शुरुआत करने के लिए लेकिन जब रिश्ता ही उलझने लगा था तब सच को ज़ाहिर कर के ग़लत-फ़हमियाॅं दूर कर देना ज़रूरी था, इस बात को कभी क्यूॅं नहीं समझा वो ?? जिस दिन से बदला है वो उस दिन से ले कर आज तक मैं किस अज़िय्यत से गुजरी हूॅं, मेरी जगह ख़ुद को रख कर अगर कभी मेरे बारे में भी सोचता वो , तो शायद मेरी भी अज़िय्यत और तकलीफ़ को महसूस कर पाता वो । मोहब्बत में इक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता, मक़सद तो सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने का था, वर्ना ये सारी बातें वहाॅं भी लिख सकती थीं मैं, जहाॅं इन सारी बातों को पढ़ पाता वो। ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  वो शख़्स कभी ख़ुद को मेरी जगह पर और मुझे उसकी जगह पर रख कर सोचे 
कि जो जो उसने किया,वो सब मैंने भी किया होता अगर,तो क्या करता वो??
उसकी तरह उसके सामने मैं भी बदल लेती अपना नाम, पहचान और किरदार,
तो क्या इस बदले हुए किरदार और पहचान के साथ मुझे accept कर पाता वो??
मैंने भी बोले होते अगर झूठ उस से अपनी पहचान छुपाने के लिए 
तो मेरे झूठ सुन कर, मुझे अपने दिल में क्या उसी पहलेवाले मक़ाम पर रख पाता वो??
मैंने भी निभाई होती दोस्ती किसी से इस हद तक की मुझ से मोहब्बत हो जाती उसे,
ये बात जानने के बाद भी क्या उतनी ही शिद्दत से मुझ से मोहब्बत कर पाता वो??
वो जैसे सजाता है किसी और की निशानियों से तहरीरें अपनी, 
उसकी तरह मैं भी अगर किसी दूसरे की निशानियों से सजाती अपनी तहरीरें 
तो क्या ग़लत-फ़हमियों में मुब्तिला नहीं होता वो??
जो रवैये उसने मेरे लिए अपनाए मैं भी उसके लिए अपनाती अगर ,
जिस तरह किसी और की वजह से उसने मुझे बार-बार नज़र अंदाज़ किया 
मैं भी बार-बार यही करती अगर, तो क्या मेरे इस रवैए को बर्दाश्त कर पाता वो??
मैंने तब भी अपना यक़ीन टूटने नहीं दिया जब वो किसी और का दिल बहलाता था,
कोई और ही उसके लिए मोहब्बत की तहरीरें लिख रहा था, 
फ़िर उसकी ख़ुद की नज़र में वो रिश्ता चाहे जो भी हो, लेकिन 
मैं भी उसकी तरह किसी और का दिल बहलाने लग जाती अगर 
तो क्या तब भी मुझ पर अपना यक़ीन बरक़रार रख पाता वो ??
माना कि बोला होगा झूठ उसने फ़िर से इक नई शुरुआत करने के लिए लेकिन 
जब रिश्ता ही उलझने लगा था तब सच को ज़ाहिर कर के 
ग़लत-फ़हमियाॅं दूर कर देना ज़रूरी था, इस बात को कभी क्यूॅं नहीं समझा वो ??
जिस दिन से बदला है वो उस दिन से ले कर आज तक मैं किस अज़िय्यत से गुजरी हूॅं, 
मेरी जगह ख़ुद को रख कर अगर कभी मेरे बारे में भी सोचता वो ,
तो शायद मेरी भी अज़िय्यत और तकलीफ़ को महसूस कर पाता वो ।
मोहब्बत में इक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता,
मक़सद तो सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने का था, वर्ना 
ये सारी बातें वहाॅं भी लिख सकती थीं मैं, जहाॅं इन सारी बातों को पढ़ पाता वो।

©Sh@kila Niy@z

वो शख़्स कभी ख़ुद को मेरी जगह पर और मुझे उसकी जगह पर रख कर सोचे कि जो जो उसने किया,वो सब मैंने भी किया होता अगर,तो क्या करता वो?? उसकी तरह उसके सामने मैं भी बदल लेती अपना नाम, पहचान और किरदार, तो क्या इस बदले हुए किरदार और पहचान के साथ मुझे accept कर पाता वो?? मैंने भी बोले होते अगर झूठ उस से अपनी पहचान छुपाने के लिए तो मेरे झूठ सुन कर, मुझे अपने दिल में क्या उसी पहलेवाले मक़ाम पर रख पाता वो?? मैंने भी निभाई होती दोस्ती किसी से इस हद तक की मुझ से मोहब्बत हो जाती उसे, ये बात जानने के बाद भी क्या उतनी ही शिद्दत से मुझ से मोहब्बत कर पाता वो?? वो जैसे सजाता है किसी और की निशानियों से तहरीरें अपनी, उसकी तरह मैं भी अगर किसी दूसरे की निशानियों से सजाती अपनी तहरीरें तो क्या ग़लत-फ़हमियों में मुब्तिला नहीं होता वो?? जो रवैये उसने मेरे लिए अपनाए मैं भी उसके लिए अपनाती अगर , जिस तरह किसी और की वजह से उसने मुझे बार-बार नज़र अंदाज़ किया मैं भी बार-बार यही करती अगर, तो क्या मेरे इस रवैए को बर्दाश्त कर पाता वो?? मैंने तब भी अपना यक़ीन टूटने नहीं दिया जब वो किसी और का दिल बहलाता था, कोई और ही उसके लिए मोहब्बत की तहरीरें लिख रहा था, फ़िर उसकी ख़ुद की नज़र में वो रिश्ता चाहे जो भी हो, लेकिन मैं भी उसकी तरह किसी और का दिल बहलाने लग जाती अगर तो क्या तब भी मुझ पर अपना यक़ीन बरक़रार रख पाता वो ?? माना कि बोला होगा झूठ उसने फ़िर से इक नई शुरुआत करने के लिए लेकिन जब रिश्ता ही उलझने लगा था तब सच को ज़ाहिर कर के ग़लत-फ़हमियाॅं दूर कर देना ज़रूरी था, इस बात को कभी क्यूॅं नहीं समझा वो ?? जिस दिन से बदला है वो उस दिन से ले कर आज तक मैं किस अज़िय्यत से गुजरी हूॅं, मेरी जगह ख़ुद को रख कर अगर कभी मेरे बारे में भी सोचता वो , तो शायद मेरी भी अज़िय्यत और तकलीफ़ को महसूस कर पाता वो । मोहब्बत में इक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता, मक़सद तो सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने का था, वर्ना ये सारी बातें वहाॅं भी लिख सकती थीं मैं, जहाॅं इन सारी बातों को पढ़ पाता वो। ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  वो शख़्स कभी ख़ुद को मेरी जगह पर और मुझे उसकी जगह पर रख कर सोचे 
कि जो जो उसने किया,वो सब मैंने भी किया होता अगर,तो क्या करता वो??
उसकी तरह उसके सामने मैं भी बदल लेती अपना नाम, पहचान और किरदार,
तो क्या इस बदले हुए किरदार और पहचान के साथ मुझे accept कर पाता वो??
मैंने भी बोले होते अगर झूठ उस से अपनी पहचान छुपाने के लिए 
तो मेरे झूठ सुन कर, मुझे अपने दिल में क्या उसी पहलेवाले मक़ाम पर रख पाता वो??
मैंने भी निभाई होती दोस्ती किसी से इस हद तक की मुझ से मोहब्बत हो जाती उसे,
ये बात जानने के बाद भी क्या उतनी ही शिद्दत से मुझ से मोहब्बत कर पाता वो??
वो जैसे सजाता है किसी और की निशानियों से तहरीरें अपनी, 
उसकी तरह मैं भी अगर किसी दूसरे की निशानियों से सजाती अपनी तहरीरें 
तो क्या ग़लत-फ़हमियों में मुब्तिला नहीं होता वो??
जो रवैये उसने मेरे लिए अपनाए मैं भी उसके लिए अपनाती अगर ,
जिस तरह किसी और की वजह से उसने मुझे बार-बार नज़र अंदाज़ किया 
मैं भी बार-बार यही करती अगर, तो क्या मेरे इस रवैए को बर्दाश्त कर पाता वो??
मैंने तब भी अपना यक़ीन टूटने नहीं दिया जब वो किसी और का दिल बहलाता था,
कोई और ही उसके लिए मोहब्बत की तहरीरें लिख रहा था, 
फ़िर उसकी ख़ुद की नज़र में वो रिश्ता चाहे जो भी हो, लेकिन 
मैं भी उसकी तरह किसी और का दिल बहलाने लग जाती अगर 
तो क्या तब भी मुझ पर अपना यक़ीन बरक़रार रख पाता वो ??
माना कि बोला होगा झूठ उसने फ़िर से इक नई शुरुआत करने के लिए लेकिन 
जब रिश्ता ही उलझने लगा था तब सच को ज़ाहिर कर के 
ग़लत-फ़हमियाॅं दूर कर देना ज़रूरी था, इस बात को कभी क्यूॅं नहीं समझा वो ??
जिस दिन से बदला है वो उस दिन से ले कर आज तक मैं किस अज़िय्यत से गुजरी हूॅं, 
मेरी जगह ख़ुद को रख कर अगर कभी मेरे बारे में भी सोचता वो ,
तो शायद मेरी भी अज़िय्यत और तकलीफ़ को महसूस कर पाता वो ।
मोहब्बत में इक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता,
मक़सद तो सिर्फ़ दिल का बोझ हल्का करने का था, वर्ना 
ये सारी बातें वहाॅं भी लिख सकती थीं मैं, जहाॅं इन सारी बातों को पढ़ पाता वो।

©Sh@kila Niy@z
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