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New zombie apocalypse love poem Status, Photo, Video

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उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, और उस पर उसका एतराज पसंद है। ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है। ©Ritu Nisha

#Apocalypse  उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। 
हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। 

जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, 
ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। 

एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, 
और उस पर उसका एतराज पसंद है। 

ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, 
एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। 

अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, 
बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। 

क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, 
ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है।

©Ritu Nisha

#Apocalypse

13 Love

#मराठीशायरी #poem

#love#poem

63 View

White ढलता सूरज ढलते ढलते आज भी ढल जाएगा रोज की तरह फिर छत पर तन्हा चांद आएगा ©Aman Kumar

#poem  White ढलता सूरज ढलते ढलते 
आज भी ढल जाएगा
रोज की तरह फिर छत पर
 तन्हा चांद आएगा

©Aman Kumar

#Love #poem

10 Love

#Videos

Zombie hd videos

117 View

#कविता #poem

#Life #Love #poem

99 View

#zombie

#zombie poetry in english

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उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, और उस पर उसका एतराज पसंद है। ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है। ©Ritu Nisha

#Apocalypse  उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। 
हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। 

जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, 
ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। 

एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, 
और उस पर उसका एतराज पसंद है। 

ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, 
एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। 

अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, 
बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। 

क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, 
ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है।

©Ritu Nisha

#Apocalypse

13 Love

#मराठीशायरी #poem

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White ढलता सूरज ढलते ढलते आज भी ढल जाएगा रोज की तरह फिर छत पर तन्हा चांद आएगा ©Aman Kumar

#poem  White ढलता सूरज ढलते ढलते 
आज भी ढल जाएगा
रोज की तरह फिर छत पर
 तन्हा चांद आएगा

©Aman Kumar

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