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#शायरी

शायरी शेरो शायरी शायरी attitude हिंदी शायरी शायरी लव

135 View

#शायरी #ग़ज़ल #poetryunplugged

#poetryunplugged #ग़ज़ल 'दर्द भरी शायरी' Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) @abhishek sharma RAVINANDAN Tiwari दुर्लभ "दर्शन" Rekha💕Sharma

153 View

#शायरी

शायरी हिंदी शेरो शायरी शायरी लव शायरी शायरी लव

423 View

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं। ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं। जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है। तब से उसी को देख लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। ©Sandip rohilla

#Silence #Quotes  बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। 
बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं।

ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें 
मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं।

जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है।
तब से उसी को देख लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

©Sandip rohilla

#Silence अज्ञात @SIDDHARTH.SHENDE.sid Shilpa Yadav @Arshad Siddiqui @Anshu writer

19 Love

......... . ©Rajesh Arora

#शायरी  ......... .

©Rajesh Arora

शायरी शायरी दोस्ती शायरी लव शायरी हिंदी शायरी शायरी लव रोमांटिक

19 Love

छिप गया है एक तारा आसमां में। जो सबसे प्यारा था इस जहां में। ले गया है अपनी परछाई भी यहां से। कर गया है हमको तन्हा बीच राह में। छिप गया है एक तारा आसमां में। जो सबसे प्यारा था इस जहां में। तेरे जाने के बाद सब खाली सा लगता है। ना ईद, ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है। और सूख गया है गुलशन भी तेरे जाने से। मुझे तो तू इस गुलशन के माली सा लगता है। रह गया है कोई तन्हा इस जहां में छिप गया है एक तारा आसमां में। ले गया है अपनी परछाई भी यहां से। कर गया है हमको तन्हा बीच राह में। ©Sandip rohilla

#sad_dp  छिप गया है एक तारा आसमां में।
जो सबसे प्यारा था इस जहां में।

 ले गया है अपनी परछाई भी यहां से।
कर गया है हमको तन्हा बीच राह में।

छिप गया है एक तारा आसमां में।
जो सबसे प्यारा था इस जहां में।
 
तेरे जाने के बाद सब खाली सा लगता है।
ना ईद, ईद सी लगती है ना ये त्यौहार दिवाली सा लगता है।

और सूख गया है गुलशन भी तेरे जाने से।
मुझे तो तू इस गुलशन के माली सा लगता है।
 
रह गया है कोई तन्हा इस जहां में 
छिप गया है एक तारा आसमां में।

 ले गया है अपनी परछाई भी यहां से।
कर गया है हमको तन्हा बीच राह में।

©Sandip rohilla
#शायरी

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#शायरी #ग़ज़ल #poetryunplugged

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बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं। ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं। जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है। तब से उसी को देख लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। ©Sandip rohilla

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 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। 
बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं।

ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें 
मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं।

जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है।
तब से उसी को देख लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

©Sandip rohilla

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......... . ©Rajesh Arora

#शायरी  ......... .

©Rajesh Arora

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जो सबसे प्यारा था इस जहां में।

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जो सबसे प्यारा था इस जहां में।
 
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और सूख गया है गुलशन भी तेरे जाने से।
मुझे तो तू इस गुलशन के माली सा लगता है।
 
रह गया है कोई तन्हा इस जहां में 
छिप गया है एक तारा आसमां में।

 ले गया है अपनी परछाई भी यहां से।
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©Sandip rohilla
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