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#वीडियो #मस्ती
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मस्ती इन कंपनी

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हार्दिक की मस्ती

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लूसी संग मस्ती#लव

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#मस्ती #विचार

White बड़े दिनों बाद आज बचपन की वो मस्तियां याद आई हैं, हम भाई बहनों ने मिल छुट्टियां सालों पहले जो बताई हैं। खट्टी- मीठी यादों से भरे वो दिन भी बड़े खास थे, कारण इसका है यही कि तब हम सभी एक साथ थे। छोटे से कमरे में लगता था हम सभी भाई- बहनों का डेरा, कभी ताश, कभी लूडो, कभी कैरम से होता शुरू था सवेरा। आंगन में दौड़- दौड़ कर कभी खेली खूब पकड़म- पकड़ी, तो कभी साइकिल ले गलियों में खूब मचाई धमा चौकड़ी। तब खेल खेल में एक बंदलवाल से हमने कुछ मोती भी संजोए थे, सोचा पेड़ लगेंगे इस भाव से कुछ मोती मिट्टी में भी बोए थे। आज हमें हीरे - मोती की कोई फसल भले मिली नहीं, पर उन हीरे मोतीयों से भी कीमती यादें हमेशा हमारे साथ रही। आज सभी भाई बहन अपनी-अपनी राहों पर हैं हो लिए, कोई कहां, कोई कहीं व्यस्त है आंखों में अपनी सपने लिए। फिर भी बातें ये पुरानी याद कर खुश हम हो जाते हैं, उन बेहतरीन पलों की आज सिर्फ यादों में खो जाते हैं। सोचते हैं हम सभी कि उस वक्त में यदि वापस जा पाते, तो किसी बिगड़ी हुई बात को संवारने न जाते। बल्कि हम तो बस साथ बीते उन लम्हों को, साथ मिल फिर से जी कर आ जाते, .............फिर से जी कर आ जाते। - ©पूर्वार्थ

#मस्ती  White बड़े दिनों बाद आज बचपन की वो मस्तियां याद आई हैं, 
हम भाई बहनों ने मिल छुट्टियां सालों पहले जो बताई हैं। 
खट्टी- मीठी यादों से भरे वो दिन भी बड़े खास थे, 
कारण इसका है यही कि तब हम सभी एक साथ थे।
 
छोटे से कमरे में लगता था हम सभी भाई- बहनों का डेरा, 
कभी ताश, कभी लूडो, कभी कैरम से होता शुरू था सवेरा। 
आंगन में दौड़- दौड़ कर कभी खेली खूब पकड़म- पकड़ी, 
तो कभी साइकिल ले गलियों में खूब मचाई धमा चौकड़ी।
 
तब खेल खेल में एक बंदलवाल से हमने कुछ मोती भी संजोए थे,
सोचा पेड़ लगेंगे इस भाव से कुछ मोती मिट्टी में भी बोए थे। 
आज हमें हीरे - मोती की कोई फसल भले मिली नहीं, 
पर उन हीरे मोतीयों से भी कीमती यादें हमेशा हमारे साथ रही।
 
आज सभी भाई बहन अपनी-अपनी राहों पर हैं हो लिए, 
कोई कहां, कोई कहीं व्यस्त है आंखों में अपनी सपने लिए। 
फिर भी बातें ये पुरानी याद कर खुश हम हो जाते हैं, 
उन बेहतरीन पलों की आज सिर्फ यादों में खो जाते हैं।
 
सोचते हैं हम सभी कि उस वक्त में यदि वापस जा पाते, 
तो किसी बिगड़ी हुई बात को संवारने न जाते। 
बल्कि हम तो बस साथ बीते उन लम्हों को, 
साथ मिल फिर से जी कर आ जाते, 
.............फिर से जी कर आ जाते। 
                                  -

©पूर्वार्थ
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White बड़े दिनों बाद आज बचपन की वो मस्तियां याद आई हैं, हम भाई बहनों ने मिल छुट्टियां सालों पहले जो बताई हैं। खट्टी- मीठी यादों से भरे वो दिन भी बड़े खास थे, कारण इसका है यही कि तब हम सभी एक साथ थे। छोटे से कमरे में लगता था हम सभी भाई- बहनों का डेरा, कभी ताश, कभी लूडो, कभी कैरम से होता शुरू था सवेरा। आंगन में दौड़- दौड़ कर कभी खेली खूब पकड़म- पकड़ी, तो कभी साइकिल ले गलियों में खूब मचाई धमा चौकड़ी। तब खेल खेल में एक बंदलवाल से हमने कुछ मोती भी संजोए थे, सोचा पेड़ लगेंगे इस भाव से कुछ मोती मिट्टी में भी बोए थे। आज हमें हीरे - मोती की कोई फसल भले मिली नहीं, पर उन हीरे मोतीयों से भी कीमती यादें हमेशा हमारे साथ रही। आज सभी भाई बहन अपनी-अपनी राहों पर हैं हो लिए, कोई कहां, कोई कहीं व्यस्त है आंखों में अपनी सपने लिए। फिर भी बातें ये पुरानी याद कर खुश हम हो जाते हैं, उन बेहतरीन पलों की आज सिर्फ यादों में खो जाते हैं। सोचते हैं हम सभी कि उस वक्त में यदि वापस जा पाते, तो किसी बिगड़ी हुई बात को संवारने न जाते। बल्कि हम तो बस साथ बीते उन लम्हों को, साथ मिल फिर से जी कर आ जाते, .............फिर से जी कर आ जाते। - ©पूर्वार्थ

#मस्ती  White बड़े दिनों बाद आज बचपन की वो मस्तियां याद आई हैं, 
हम भाई बहनों ने मिल छुट्टियां सालों पहले जो बताई हैं। 
खट्टी- मीठी यादों से भरे वो दिन भी बड़े खास थे, 
कारण इसका है यही कि तब हम सभी एक साथ थे।
 
छोटे से कमरे में लगता था हम सभी भाई- बहनों का डेरा, 
कभी ताश, कभी लूडो, कभी कैरम से होता शुरू था सवेरा। 
आंगन में दौड़- दौड़ कर कभी खेली खूब पकड़म- पकड़ी, 
तो कभी साइकिल ले गलियों में खूब मचाई धमा चौकड़ी।
 
तब खेल खेल में एक बंदलवाल से हमने कुछ मोती भी संजोए थे,
सोचा पेड़ लगेंगे इस भाव से कुछ मोती मिट्टी में भी बोए थे। 
आज हमें हीरे - मोती की कोई फसल भले मिली नहीं, 
पर उन हीरे मोतीयों से भी कीमती यादें हमेशा हमारे साथ रही।
 
आज सभी भाई बहन अपनी-अपनी राहों पर हैं हो लिए, 
कोई कहां, कोई कहीं व्यस्त है आंखों में अपनी सपने लिए। 
फिर भी बातें ये पुरानी याद कर खुश हम हो जाते हैं, 
उन बेहतरीन पलों की आज सिर्फ यादों में खो जाते हैं।
 
सोचते हैं हम सभी कि उस वक्त में यदि वापस जा पाते, 
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बल्कि हम तो बस साथ बीते उन लम्हों को, 
साथ मिल फिर से जी कर आ जाते, 
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©पूर्वार्थ
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