Unsplash रचना दिनांक 15,, दिसंबर 2024
वार रविवार
समय सुबह चार बजे
्निज विचार ्
्भाव चित्र ्
््चरित्र और नैतिकता और रिश्ते के दम तोड़ती सांसें तेज चीख निकल गई तस्वीर ही बदल गई रिश्ते की गहराईयों से जन्मा विचार सच है ््
््रचना संवरचनाकी धर्मी नाडी निर्माण खुदाई कार्य से जुड़े हुए ,
,,जीवन में एक जीवंत भुमिका निभाई जाना चाहिए ,,
वह अदभुत अनुकरणीय उदाहरण ग्यारटी चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार प्रेम शब्द घटनाओं से अवगत होकर दम तोड़ती सांसें तेज होने पर जिंदगी में चीख निकल पड़ी बन गई ।।
व्यक्तित्व पर कटाक्ष करते हुए जीवन में कई रिश्ते बोध बोने साबित हो जाते है,,
इन दोनों को परखना तन मन से धन संपत्ति में वृद्धि दम तोड़ती धृष्ट़राष्ट़ प्रवृत्ति का स्वरूप का जिम्मेदार कौन,,
एक बाप या जिसके कारण वह व्यवहार किया गया,,
वह अपने कर्म से जीवन व्यतीत करने में जो व्यवहार किया गया है।।
उसके लिए वह कहां तक जिम्मेदार है ््,,
यह कहना नाइन्साफी होगी क्योंकि यह मनोभाव की उत्पत्ति हुई तर्कसंगत नहीं है,,
क्योंकि उसके जिम्मेदार वह रिश्ता जो सदेव रिश्ते के साथ शोषण करता रहा,
और उन दोनों रिश्ते को खोखला बनाता रहा है।।
और उम्मीद करता है वह अपनी पद गरिमा शिष्टाचार सिखाता है ,सच्चा पाठ पढाता है,,
वह दीर्घकालिक प्रभाव से बुनियादी ढांचे पर आधारित ख्यालात पर खुद अंदाजा लगाय के ,
मैं स्वयं इस व्यूह से पांडव से अपनी रूह में खोकर सपनो में खो कर प्यार करने वाले ,
अच्छे ख्यालात से अपनी रीति नीति नियत परिधि समय कुटनीति से ,
मान अपमान का जहरीले फफोले छाले ठीक हरे मटर के भांति संसार जगत में ,
जीव जीवन में आपका अपना खुद का आयना नजरिया साक्षात्कार है।।।
। दुसरे पर उंगलियां उठाने वाले को यह जरुर ध्यान रखना चाहिए एक उंगली उठाते वाले तीन उंगलियां स्वयं की ओर खडी भविष्य की सच्चाई ओर देखती गहरी सच्चाई है।।
कहने का आशय यह है कि आपके व्यवहार से जन्मा विचार ही अमृत कोष है,
या फिर विष का प्याला पी जानेवाली सड़क छाप शब्दावली समय समय पर चित्त उत्तेजना और आक्रामकता घटी दबाव बनाया जाय,
तो मस्तिष्क में मानसिक सम्प्रेषण तनाव से,
युक्त कर्म अपना आपा खो कर अपनी मर्यादा तोडता पंगु नज़र आ रहा है,,
चरित्रवान व्यक्ति चरित्र पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार करने वाले से सवाल जवाब बन गया है,,
यह कहना मुश्किल है क्योंकि दुनिया सुनती हैं आनेवाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाना चाहते हो
पहले इन्सान खुद अपने को सुधारने का प्रयास करें।।
यही सही चरित्र पल की चीख निकल पड़ी यह पसंद है आपकी अपनी ्््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्
15, दिसंबर। 2024,
के रचनाकार
©Shailendra Anand
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