Unsplash रचना दिनांक 16,,12,,,2024 वार,, सोमवार सम | हिंदी मोटिवेशनल

"Unsplash रचना दिनांक 16,,12,,,2024 वार,, सोमवार समय सुबह छह बजे ्निज विचार ् ्भाव चित्र ् ्शीर्षक ् ्््््चरित्र और नैतिकता में मानसिक रूप और आकार प्रकार निराकार साकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान शून्य का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम और बिछोह में , संस्कार परिवार और क्षैत्रपाल चरित्र का स्वरूप ही जिंदगी का आदेश आनंद ही शुन्य है ््् ््््््् नगर महानगर महलों में रहने वाले शहरों में बसने वाले अत्याआधुनिकता के दौरान,, कही न कहीं हम दिलों से मन से स्वार्थ से ऊपर सोच भी नहीं पाते है,, यह कहना मुश्किल है कौन कितना जवाबदेही है और कौन किसके साथ है आत्मप्रेम आत्मसात आत्माएं सदैव रोती है बड़ी मुश्किल विडम्बनाएं होती है जो धरती पर एक दूसरे से अलग अलग गुणों से भरपूर तरीको से जन्मा विचार सच में ही अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा को स्पर्श करने को परखना तन मन से नहीं बल्कि आत्मिक सुख और आनंद से सवाल जवाब अपने आप से गुफ्तगू करते हुए मैंने मेरे अपने बचपन से सवाल जवाब और न्याय और अन्याय और अपने चरित्र का आकलन किया गया ईश्वर साक्षी है।। मैं कहां गुनाहगार हूं।। कंपनी आत्मपीड़ा अपने कर्म कर्तव्य में असफल रहा हूं मैं जिंदगी सबसे असफल हर क्षण हर रिश्ते के प्रति जागरूक नहीं रहा हूं,, इसे मेरी मज़बूरी हालात की कमजोरियां उजागर हो या फिर मेरे नसीब का खैला है।। जो आज इन्सान की कोख में जन्म मृत्यु का नासूर बन गया एक सवाल बन गया आज मैं हर रिश्ते में तब्दील हो गया सिर्फ सिर्फ शून्य हूं।। मैं मानता हूं मेरा प्रारंभ भी इन्सानी मानस रंजन से हिन्दूस्तानी रुप में शुन्य है, और मेरा अंतिम सांस तक चलायमान प्राणतत्व सेवैदोक्तमंत्र से, भी वह स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द आनंद भी ,, इन्सानी मानस कर्म भूमि पर जातक मृतक प्रथमंअमुकंप्रेतस्य, पिण्डदानंतीनशौडषी विधानं से जन्मा विचार भी शुन्य ही आनंद है।। मेरे मित्र मेरे लिए मेरे प्रत्येक रिश्ते की बारिकियों में हर पल हर सवाल उठाने वाले मेरे लिए वह अपने नजरिए से बिल्कुल सही रहे होंगे,, लेकिन यह अंततः सही हो यह भी मन का ख्याली पुलाव हो सकता है, लेकिन इस बात पर जिंदगी के उतार चढ़ाव पर ख्यालात जो लिखा गया है, मेरे जैसे असंख्य लोगों में यह परिस्थिति रही होगी क्योंकि धड़कनों में गुंथी हुई।। घटनाओं से भरा हुआ यह जीवन चला चली मैला है लेकिन मृत्युलोक में कर्मलीला कर्मशील , नायक ने अपना लेखाजौखा चित्रगुप्त जी के समक्ष प्रस्तुत उपस्थिति जनमानस में अपना अभिमत शेष जीवन का यह अवशेष लिखा है अब तक का रचनात्मक कार्यों में रचनाकार अपनी स्वयं की आत्म कथा साहित्य कथन सच्चाई लिख कर देख रहा हूं खुद से खूद सवाल उठाने और सच्चाई का आयना आप सभी धर्मों के लोग और जनमानस में एकात्मकता समरुपता और मुमकिन प्रयास करें जनसेवा से जरुरी है आत्मकर्म जो कभी दुखी और सुखी नहीं बना सकता है।। यह कहना कि किसी को किसी के व्दारा चरित्र प्रमाण पत्र देना जल्दबाजी हो सकता है, लेकिन सच्चाई नही हो सकती है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 16,, दिसंबर 2024 ©Shailendra Anand"

 Unsplash रचना दिनांक 16,,12,,,2024
वार,, सोमवार
समय सुबह छह बजे
्निज विचार ्
्भाव चित्र ्
्शीर्षक ्
्््््चरित्र और नैतिकता में मानसिक रूप और आकार प्रकार निराकार साकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान शून्य का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम और बिछोह में ,
संस्कार परिवार और क्षैत्रपाल चरित्र का स्वरूप ही जिंदगी का आदेश आनंद ही शुन्य है ्््
्््््््
नगर महानगर महलों में रहने वाले शहरों में बसने वाले अत्याआधुनिकता के दौरान,,
 कही न कहीं हम दिलों से मन से स्वार्थ से ऊपर सोच भी नहीं पाते है,,
यह कहना मुश्किल है कौन कितना जवाबदेही है और कौन किसके साथ है आत्मप्रेम आत्मसात आत्माएं सदैव रोती है बड़ी मुश्किल विडम्बनाएं होती है जो धरती पर एक दूसरे से अलग अलग गुणों से भरपूर तरीको से जन्मा विचार सच में ही अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा को स्पर्श करने को परखना तन मन से नहीं बल्कि आत्मिक सुख और आनंद से सवाल जवाब अपने आप से गुफ्तगू करते हुए मैंने मेरे अपने बचपन से सवाल जवाब और न्याय और अन्याय और अपने चरित्र का आकलन किया गया ईश्वर साक्षी है।।
मैं कहां गुनाहगार हूं।।
कंपनी आत्मपीड़ा अपने कर्म कर्तव्य में असफल रहा हूं मैं जिंदगी सबसे असफल हर क्षण हर रिश्ते के प्रति जागरूक नहीं रहा हूं,,
इसे मेरी मज़बूरी हालात की कमजोरियां उजागर हो या फिर मेरे नसीब का खैला है।।
जो आज इन्सान की कोख में जन्म मृत्यु का नासूर बन गया एक सवाल बन गया आज मैं हर रिश्ते में तब्दील हो गया सिर्फ सिर्फ शून्य हूं।।
मैं मानता हूं मेरा प्रारंभ भी इन्सानी मानस रंजन से हिन्दूस्तानी रुप में शुन्य है, 
और मेरा अंतिम सांस तक चलायमान प्राणतत्व सेवैदोक्तमंत्र से,
 भी वह स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द आनंद भी ,,
इन्सानी मानस कर्म भूमि पर जातक मृतक प्रथमंअमुकंप्रेतस्य,
 पिण्डदानंतीनशौडषी विधानं से जन्मा विचार भी शुन्य ही आनंद है।।
मेरे मित्र मेरे लिए मेरे प्रत्येक रिश्ते की बारिकियों में हर पल हर सवाल उठाने वाले मेरे लिए वह अपने नजरिए से बिल्कुल सही रहे होंगे,,
 लेकिन यह अंततः सही हो यह भी मन का ख्याली पुलाव हो सकता है,
 लेकिन इस बात पर जिंदगी के उतार चढ़ाव पर ख्यालात जो लिखा गया है,
 मेरे जैसे असंख्य लोगों में यह परिस्थिति रही होगी क्योंकि धड़कनों में गुंथी हुई।।
 घटनाओं से भरा हुआ यह जीवन चला चली मैला है लेकिन मृत्युलोक में कर्मलीला कर्मशील ,
नायक ने अपना लेखाजौखा चित्रगुप्त जी के समक्ष प्रस्तुत उपस्थिति जनमानस में अपना अभिमत शेष जीवन का यह अवशेष लिखा है अब तक का रचनात्मक कार्यों में रचनाकार अपनी स्वयं की आत्म कथा साहित्य कथन सच्चाई लिख कर देख रहा हूं खुद से खूद सवाल उठाने और सच्चाई का आयना आप सभी धर्मों के लोग और जनमानस में एकात्मकता समरुपता और मुमकिन प्रयास करें जनसेवा से जरुरी है आत्मकर्म जो कभी दुखी और सुखी नहीं बना सकता है।।
यह कहना कि किसी को किसी के व्दारा चरित्र प्रमाण पत्र देना जल्दबाजी हो सकता है,
 लेकिन सच्चाई नही हो सकती है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
16,, दिसंबर 2024

©Shailendra Anand

Unsplash रचना दिनांक 16,,12,,,2024 वार,, सोमवार समय सुबह छह बजे ्निज विचार ् ्भाव चित्र ् ्शीर्षक ् ्््््चरित्र और नैतिकता में मानसिक रूप और आकार प्रकार निराकार साकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान शून्य का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम और बिछोह में , संस्कार परिवार और क्षैत्रपाल चरित्र का स्वरूप ही जिंदगी का आदेश आनंद ही शुन्य है ््् ््््््् नगर महानगर महलों में रहने वाले शहरों में बसने वाले अत्याआधुनिकता के दौरान,, कही न कहीं हम दिलों से मन से स्वार्थ से ऊपर सोच भी नहीं पाते है,, यह कहना मुश्किल है कौन कितना जवाबदेही है और कौन किसके साथ है आत्मप्रेम आत्मसात आत्माएं सदैव रोती है बड़ी मुश्किल विडम्बनाएं होती है जो धरती पर एक दूसरे से अलग अलग गुणों से भरपूर तरीको से जन्मा विचार सच में ही अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा को स्पर्श करने को परखना तन मन से नहीं बल्कि आत्मिक सुख और आनंद से सवाल जवाब अपने आप से गुफ्तगू करते हुए मैंने मेरे अपने बचपन से सवाल जवाब और न्याय और अन्याय और अपने चरित्र का आकलन किया गया ईश्वर साक्षी है।। मैं कहां गुनाहगार हूं।। कंपनी आत्मपीड़ा अपने कर्म कर्तव्य में असफल रहा हूं मैं जिंदगी सबसे असफल हर क्षण हर रिश्ते के प्रति जागरूक नहीं रहा हूं,, इसे मेरी मज़बूरी हालात की कमजोरियां उजागर हो या फिर मेरे नसीब का खैला है।। जो आज इन्सान की कोख में जन्म मृत्यु का नासूर बन गया एक सवाल बन गया आज मैं हर रिश्ते में तब्दील हो गया सिर्फ सिर्फ शून्य हूं।। मैं मानता हूं मेरा प्रारंभ भी इन्सानी मानस रंजन से हिन्दूस्तानी रुप में शुन्य है, और मेरा अंतिम सांस तक चलायमान प्राणतत्व सेवैदोक्तमंत्र से, भी वह स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द आनंद भी ,, इन्सानी मानस कर्म भूमि पर जातक मृतक प्रथमंअमुकंप्रेतस्य, पिण्डदानंतीनशौडषी विधानं से जन्मा विचार भी शुन्य ही आनंद है।। मेरे मित्र मेरे लिए मेरे प्रत्येक रिश्ते की बारिकियों में हर पल हर सवाल उठाने वाले मेरे लिए वह अपने नजरिए से बिल्कुल सही रहे होंगे,, लेकिन यह अंततः सही हो यह भी मन का ख्याली पुलाव हो सकता है, लेकिन इस बात पर जिंदगी के उतार चढ़ाव पर ख्यालात जो लिखा गया है, मेरे जैसे असंख्य लोगों में यह परिस्थिति रही होगी क्योंकि धड़कनों में गुंथी हुई।। घटनाओं से भरा हुआ यह जीवन चला चली मैला है लेकिन मृत्युलोक में कर्मलीला कर्मशील , नायक ने अपना लेखाजौखा चित्रगुप्त जी के समक्ष प्रस्तुत उपस्थिति जनमानस में अपना अभिमत शेष जीवन का यह अवशेष लिखा है अब तक का रचनात्मक कार्यों में रचनाकार अपनी स्वयं की आत्म कथा साहित्य कथन सच्चाई लिख कर देख रहा हूं खुद से खूद सवाल उठाने और सच्चाई का आयना आप सभी धर्मों के लोग और जनमानस में एकात्मकता समरुपता और मुमकिन प्रयास करें जनसेवा से जरुरी है आत्मकर्म जो कभी दुखी और सुखी नहीं बना सकता है।। यह कहना कि किसी को किसी के व्दारा चरित्र प्रमाण पत्र देना जल्दबाजी हो सकता है, लेकिन सच्चाई नही हो सकती है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 16,, दिसंबर 2024 ©Shailendra Anand

#traveling शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स
कवि शैलेंद्र आनंद

People who shared love close

More like this

Trending Topic