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#जबरदस्त #सियासत #अदनासा #हिंदी #शायरी #मज़हब  कोई ढूंढता है मंदिर तो कोई ढूंढता मस्जिद
कोई गिरजाघर तो ढूंढता कोई गुरूद्वारा है
ग़ज़ब बोलता है झूठ और करे नाहक ज़िद्द
यह सीनाजोर सियासत मज़हब का मारा है
तारीख़ें खोद नया वतन बनेगा भारत न्यारा 
अवाम मज़हबी अफ़ीम चाटने में मदमस्त है
बाकी है आवामी "अदनासा" उम्मीद प्यारा
इंसानियत का पैगाम जब-तक जबरदस्त है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/7KhY4q2Bb #हिंदी #सियासत #आवाम #मज़हब #अफ़ीम #जिद्द #जबरदस्त #Pinterest #Instagram #अदन

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"जनता, पत्रकार और सरकार" हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है। परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है। आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है। इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा। जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा-

#पत्रकारिता #अंधभक्त #चाटुकार #भारतीय #अदनासा #हिंदी  "जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3uxwXGlCs #भारतीय #पत्रकारिता #हिंदी #जनता #सरकार #अंधभक्त #चाटुकार #Pinterest #Instag

17 Love

मैने पूछा....... चश्मा भी अब चढ़ गया है वजन थोडा बड़ गया है कुछ खास नही दिखते भी सादा है फिर आपको प्यार क्यों इतना ज्यादा है उन्होंने कहा........ आईने के सामने कभी खुलकर मुस्कुराइएगा फिर ये सवाल मुझसे दोहराएगा कर रिकार्ड आवाज अपनी खनक सुनना ध्यान से खुद से इश्क न हो जाए तो सब हार देंगे दिलों जान से आंखे गौर से अपनी देखिए इनमे झील सी गहराई है जैसे पूरी कायनात की महोब्बत इनमे उतर आई है उनके कुछ और कहने से पहले हम शरमा के लाल हो गए कुछ यूं मुस्कुराए की गायब सारे सवाल हो गए । ©seema patidar

 मैने पूछा.......
चश्मा भी अब चढ़ गया है वजन थोडा बड़ गया है
कुछ खास नही दिखते भी सादा है
फिर आपको प्यार क्यों इतना ज्यादा है
उन्होंने कहा........
आईने के सामने कभी खुलकर मुस्कुराइएगा
फिर ये सवाल मुझसे दोहराएगा
कर रिकार्ड आवाज अपनी खनक सुनना ध्यान से
खुद से इश्क न हो जाए तो सब हार देंगे दिलों जान से
आंखे गौर से अपनी देखिए इनमे झील सी गहराई है
जैसे पूरी कायनात की महोब्बत इनमे उतर आई है
उनके कुछ और कहने से पहले
 हम शरमा के लाल हो गए
कुछ यूं मुस्कुराए की गायब सारे सवाल हो गए ।

©seema patidar

❣️काल्पनिक खूबसूरती ❣️

12 Love

#शायरी #Shikayat #voice

#voice #Love #Shikayat #Shayari @puja udeshi @zarri farha @Amritpal Singh saurabh sogra(काल्पनिक) S.D Mishra.......... शेरो शायरी

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#जबरदस्त #सियासत #अदनासा #हिंदी #शायरी #मज़हब  कोई ढूंढता है मंदिर तो कोई ढूंढता मस्जिद
कोई गिरजाघर तो ढूंढता कोई गुरूद्वारा है
ग़ज़ब बोलता है झूठ और करे नाहक ज़िद्द
यह सीनाजोर सियासत मज़हब का मारा है
तारीख़ें खोद नया वतन बनेगा भारत न्यारा 
अवाम मज़हबी अफ़ीम चाटने में मदमस्त है
बाकी है आवामी "अदनासा" उम्मीद प्यारा
इंसानियत का पैगाम जब-तक जबरदस्त है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/7KhY4q2Bb #हिंदी #सियासत #आवाम #मज़हब #अफ़ीम #जिद्द #जबरदस्त #Pinterest #Instagram #अदन

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"जनता, पत्रकार और सरकार" हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है। परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है। आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है। इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा। जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा-

#पत्रकारिता #अंधभक्त #चाटुकार #भारतीय #अदनासा #हिंदी  "जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

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17 Love

मैने पूछा....... चश्मा भी अब चढ़ गया है वजन थोडा बड़ गया है कुछ खास नही दिखते भी सादा है फिर आपको प्यार क्यों इतना ज्यादा है उन्होंने कहा........ आईने के सामने कभी खुलकर मुस्कुराइएगा फिर ये सवाल मुझसे दोहराएगा कर रिकार्ड आवाज अपनी खनक सुनना ध्यान से खुद से इश्क न हो जाए तो सब हार देंगे दिलों जान से आंखे गौर से अपनी देखिए इनमे झील सी गहराई है जैसे पूरी कायनात की महोब्बत इनमे उतर आई है उनके कुछ और कहने से पहले हम शरमा के लाल हो गए कुछ यूं मुस्कुराए की गायब सारे सवाल हो गए । ©seema patidar

 मैने पूछा.......
चश्मा भी अब चढ़ गया है वजन थोडा बड़ गया है
कुछ खास नही दिखते भी सादा है
फिर आपको प्यार क्यों इतना ज्यादा है
उन्होंने कहा........
आईने के सामने कभी खुलकर मुस्कुराइएगा
फिर ये सवाल मुझसे दोहराएगा
कर रिकार्ड आवाज अपनी खनक सुनना ध्यान से
खुद से इश्क न हो जाए तो सब हार देंगे दिलों जान से
आंखे गौर से अपनी देखिए इनमे झील सी गहराई है
जैसे पूरी कायनात की महोब्बत इनमे उतर आई है
उनके कुछ और कहने से पहले
 हम शरमा के लाल हो गए
कुछ यूं मुस्कुराए की गायब सारे सवाल हो गए ।

©seema patidar

❣️काल्पनिक खूबसूरती ❣️

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#शायरी #Shikayat #voice

#voice #Love #Shikayat #Shayari @puja udeshi @zarri farha @Amritpal Singh saurabh sogra(काल्पनिक) S.D Mishra.......... शेरो शायरी

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