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Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा.. अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#अब  Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा..

अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#अब भी ताज़ा है ये ग़म....

16 Love

हजारों चाहतें थीं मगर हजारों चाहतें थीं मगर, एक दिल की बात खास थी। भीड़ में खो गए थे सब, बस वो एक एहसास थी। चाहा था सितारों को छूना, चांदनी को गले लगाना, मगर दिल को सुकून मिला, उसकी आँखों में ठहर जाना। ख्वाब थे ऊंचाइयों के, आसमानों के उस पार, पर जमीं पर उनके संग चलना लगा सबसे ज्यादा प्यारा। धन, दौलत, शोहरत सब, आनी-जानी बातें थीं, मगर उनके साथ बिताए पल, सबसे सुहानी रातें थीं। हजारों चाहतें थीं मगर, एक सच बस यही रहा, जिंदगी का हर रंग फीका, अगर वो मेरे संग न रहा। ©Avinash Jha

#चाहतें  हजारों चाहतें थीं मगर

हजारों चाहतें थीं मगर, एक दिल की बात खास थी।
भीड़ में खो गए थे सब, बस वो एक एहसास थी।

चाहा था सितारों को छूना, चांदनी को गले लगाना,
मगर दिल को सुकून मिला, उसकी आँखों में ठहर जाना।

ख्वाब थे ऊंचाइयों के, आसमानों के उस पार,
पर जमीं पर उनके संग चलना लगा सबसे ज्यादा प्यारा।

धन, दौलत, शोहरत सब, आनी-जानी बातें थीं,
मगर उनके साथ बिताए पल, सबसे सुहानी रातें थीं।

हजारों चाहतें थीं मगर, एक सच बस यही रहा,
जिंदगी का हर रंग फीका, अगर वो मेरे संग न रहा।

©Avinash Jha

White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #ये  White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया,
हर इंसान अपने ही साए से जल गया।
इज्जत अब बस नामों तक रह गई है,
असलियत झूठ की चादर में ढह गई है।

जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे,
अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं।
हर ख्वाब जो आँखों में पलता था,
उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है।

मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा,
हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा।
ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी,
और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी।

©नवनीत ठाकुर

#ये दौर कितना बदल गया है

15 Love

Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा.. अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#अब  Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा..

अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#अब भी ताज़ा है ये ग़म....

16 Love

हजारों चाहतें थीं मगर हजारों चाहतें थीं मगर, एक दिल की बात खास थी। भीड़ में खो गए थे सब, बस वो एक एहसास थी। चाहा था सितारों को छूना, चांदनी को गले लगाना, मगर दिल को सुकून मिला, उसकी आँखों में ठहर जाना। ख्वाब थे ऊंचाइयों के, आसमानों के उस पार, पर जमीं पर उनके संग चलना लगा सबसे ज्यादा प्यारा। धन, दौलत, शोहरत सब, आनी-जानी बातें थीं, मगर उनके साथ बिताए पल, सबसे सुहानी रातें थीं। हजारों चाहतें थीं मगर, एक सच बस यही रहा, जिंदगी का हर रंग फीका, अगर वो मेरे संग न रहा। ©Avinash Jha

#चाहतें  हजारों चाहतें थीं मगर

हजारों चाहतें थीं मगर, एक दिल की बात खास थी।
भीड़ में खो गए थे सब, बस वो एक एहसास थी।

चाहा था सितारों को छूना, चांदनी को गले लगाना,
मगर दिल को सुकून मिला, उसकी आँखों में ठहर जाना।

ख्वाब थे ऊंचाइयों के, आसमानों के उस पार,
पर जमीं पर उनके संग चलना लगा सबसे ज्यादा प्यारा।

धन, दौलत, शोहरत सब, आनी-जानी बातें थीं,
मगर उनके साथ बिताए पल, सबसे सुहानी रातें थीं।

हजारों चाहतें थीं मगर, एक सच बस यही रहा,
जिंदगी का हर रंग फीका, अगर वो मेरे संग न रहा।

©Avinash Jha

White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #ये  White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया,
हर इंसान अपने ही साए से जल गया।
इज्जत अब बस नामों तक रह गई है,
असलियत झूठ की चादर में ढह गई है।

जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे,
अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं।
हर ख्वाब जो आँखों में पलता था,
उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है।

मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा,
हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा।
ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी,
और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी।

©नवनीत ठाकुर

#ये दौर कितना बदल गया है

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