हादसा(एक परिकल्पना)
उन दिनों हमारे प्रेम की शुरुआत ही हुई थी.. हालांकि हम बहुत जल्द परिणय सूत्र में बंधने वाले थे, इसलिये पारिवारिक मर्यादाओं ने हमें मिलने ना दिया.. और उस दिन वो इत्तेफाक हुआ जब सड़क के एक किनारे तुम और दूसरे किनारे पर मैं गुजर रहा था सहसा तुमने मुझे देखा और मेरे तरफ़ ऐसे दौड़े जैसे कितने जन्म से मेरा इंतजार कर रहे थे तुम.. मैंने तुम्हें वहीं रुकने को कहा पर तुम ख़ुद को रोक ना पाये और.. तभी दो घड़ी में ही हमारी खुशियों को काल बनकर आते ट्रक ने तुम्हें मौत की आग़ोश में सुला दिया. वो तुम्हारी कराहती आखिरी चीख. और मेरा सब कुछ उसी चीख में समा गया.. आज पूरे तीन साल होने को आये.. रोज मैं घंटों इसी मोड़ पर आकर बैठ जाता हूँ..तुम्हारी एक-एक बात मेरे जहन में चलती है,तुमने कहा था-"कुछ दिनों की बात है फिर हम तुम जन्म -जन्मातंर के लिये एक दूसरे के हो जायेंगे फिर मेरे असीम प्यार को देखकर तुम सहम गये और कहा इतना प्यार मत करो मुझसे, कहीं मुझे कुछ हो गया तो तुम कैसे जी पाओगे"..!
देखो ना..! अगर तुम्हारी दूसरी बात सच साबित हुई तो पहली क्यूँ नहीं होगी..!
जाने क्यूं पर आज भी मुझे ऐसा लगता है मानो तुम अभी सड़क के उस पार से दौड़कर मेरे सीने से लिपट जाओगे...
इस सड़क से गुजरने वाले हर राहगीर ने मुझे पागल समझ लिया होगा.. तो समझने दो.. पर मेरी पहली और आखिरी ख्वाहिश ही तुम थे.मुझे सुकून तो आज भी यहीं ये सोचकर ही मिलता है कि काश तुम एक बार आकर मुझे सीने से लगा लो.. और तुम्हें तुम्हें आना होगा मेरे लिये मेरे प्रेम की खातिर ...जो मुझे पागल कहते हैं उन्हें दिखाने को कि मैं पागल नहीं..मैं तुम्हें वक़्त के साथ कैसे भूल जाऊं तब तो मैंने तुमसे प्यार ही नहीं किया.. बस मेरे प्रेम को जिताने के लिये तुम्हें आना होगा उस जहाँ से इस जहाँ में .. ! और मैं इंतजार करूँगा यहीं इसी राह पर उम्र भर.. मुझे विश्वास है तुम पर तुम्हारी कही बातों पर..तुम एक दिन जरूर आओगे लौटकर मेरे लिये..वक़्त ने तुम्हें मौत की आग़ोश में सुला दिया. वो तुम्हारी कराहती आखिरी चीख. और मेरा सब कुछ उसी चीख में समा गया..
आज पूरे तीन साल होने को आये.. रोज मैं घंटों इसी मोड़ पर आकर बैठ जाता हूँ..तुम्हारी एक एक बात मेरे जहन में चलती है,तुमने कहा था-"कुछ दिनों की बात है फिर हम तुम जन्म जन्मातंर के लिये एक दूसरे के हो जायेंगे फिर मेरे असीम प्यार को देखकर तुम सहम गये और कहा इतना प्यार मत करो मुझसे, कहीं मुझे कुछ हो गया तो तुम कैसे जी पाओगे". तुम्हारी दूसरी बात सच साबित हुई तो पहली क्यूँ नहीं..
जाने क्यूं पर आज भी मुझे ऐसा लगता है मानो तुम अभी सड़क के उस पार से दौड़कर मेरे सीने से लिपट जाओगे...
इस सड़क से गुजरने वाले हर राहगीर ने मुझे पागल समझ लिया होगा.. तो समझने दो.. पर मेरी पहली और आखिरी ख्वाहिश ही तुम थे.मुझे सुकून तो आज भी यहीं ये सोचकर ही मिलता है कि काश तुम एक बार आकर मुझे सीने से लगा लो.. और तुम्हें तुम्हें आना होगा मेरे लिये मेरे प्रेम की खातिर ...जो मुझे पागल कहते हैं उन्हें दिखाने को कि मैं पागल नहीं..मैं तुम्हें वक़्त के साथ कैसे भूल जाऊं तब तो मैंने तुमसे प्यार ही नहीं किया.. बस मेरे प्रेम को जिताने के लिये तुम्हें आना होगा उस जहाँ से इस जहाँ में .. ! और मैं इंतजार करूँगा यहीं इसी राह पर उम्र भर.. मुझे विश्वास है तुम पर तुम्हारी कही उन बातों पर..
तुम एक दिन जरूर आओगे लौटकर मेरे लिये..
©अज्ञात
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