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मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh

#कविता #devdas  मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती 
अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती
अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती 
मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती
मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh

©bina singh

#devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

15 Love

थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

10 Love

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

#कविता

आजादी है तो देशभक्ति कविता

126 View

शीर्षक-तो पूछते..! मिलने आता वो दहशतगर्द तो पूछता, कि तेरे हाथों, बातों आंखों से निकल रहे उत्पात का क्या है ख़ाक....?, क्यों कि किसी के होंठों पर बसेरा तो मेरा था, छीन तू क्यों ले गया, डाली नोच खाई तूने फिर भी तू उसे आजाद क्यों न किया , तकलीफ़ के समुद्र के किनारे रख तो दिये थे। पर मौत ही दे देते, एक गोली में जान की दीवारें भी तो बिखर जाते हैं, वो चादरें, जिनमें लिपटी हुई मिलती थी, सिर पर पर्दा, हसीं सितम वो ढाती थी। पर तुने उस पर्दानशीन को बेपर्दा क्यों किया। ..? ©Dev Rishi

#कविता #तो  शीर्षक-तो पूछते..!



मिलने आता वो दहशतगर्द तो पूछता, 
कि तेरे हाथों, बातों आंखों से निकल रहे उत्पात का क्या है ख़ाक....?, 
क्यों कि किसी के होंठों पर बसेरा तो मेरा था,
 छीन तू क्यों ले गया, डाली नोच खाई तूने
  फिर भी तू उसे आजाद क्यों न किया ,
 तकलीफ़ के समुद्र के किनारे रख तो दिये थे।

 पर मौत ही दे देते, एक गोली में जान की दीवारें भी तो बिखर जाते हैं,  
वो चादरें, जिनमें लिपटी हुई मिलती थी, 
सिर पर पर्दा, हसीं सितम वो ढाती थी। 
पर तुने उस पर्दानशीन को बेपर्दा क्यों किया।  ..?

©Dev Rishi

प्यार पर कविता , #तो पूछते।

18 Love

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

16 Love

मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh

#कविता #devdas  मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती 
अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती
अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती 
मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती
मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh

©bina singh

#devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

15 Love

थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

10 Love

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

#कविता

आजादी है तो देशभक्ति कविता

126 View

शीर्षक-तो पूछते..! मिलने आता वो दहशतगर्द तो पूछता, कि तेरे हाथों, बातों आंखों से निकल रहे उत्पात का क्या है ख़ाक....?, क्यों कि किसी के होंठों पर बसेरा तो मेरा था, छीन तू क्यों ले गया, डाली नोच खाई तूने फिर भी तू उसे आजाद क्यों न किया , तकलीफ़ के समुद्र के किनारे रख तो दिये थे। पर मौत ही दे देते, एक गोली में जान की दीवारें भी तो बिखर जाते हैं, वो चादरें, जिनमें लिपटी हुई मिलती थी, सिर पर पर्दा, हसीं सितम वो ढाती थी। पर तुने उस पर्दानशीन को बेपर्दा क्यों किया। ..? ©Dev Rishi

#कविता #तो  शीर्षक-तो पूछते..!



मिलने आता वो दहशतगर्द तो पूछता, 
कि तेरे हाथों, बातों आंखों से निकल रहे उत्पात का क्या है ख़ाक....?, 
क्यों कि किसी के होंठों पर बसेरा तो मेरा था,
 छीन तू क्यों ले गया, डाली नोच खाई तूने
  फिर भी तू उसे आजाद क्यों न किया ,
 तकलीफ़ के समुद्र के किनारे रख तो दिये थे।

 पर मौत ही दे देते, एक गोली में जान की दीवारें भी तो बिखर जाते हैं,  
वो चादरें, जिनमें लिपटी हुई मिलती थी, 
सिर पर पर्दा, हसीं सितम वो ढाती थी। 
पर तुने उस पर्दानशीन को बेपर्दा क्यों किया।  ..?

©Dev Rishi

प्यार पर कविता , #तो पूछते।

18 Love

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

16 Love

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