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New draupadi in mahabharat Status, Photo, Video

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#krishna_flute #Mahabharat

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha

#aeastheticthoughtes #संशय #Mahabharat #Krishna  कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha
 White chup chap sahte raho to aap ache ho. agar aap bol pade to bure ho. yahi dunya hai

©Asfia Naaz

in in hindi

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हम मौसम नहीं जो बदल जाए हवा हैं बस कभी तूफ़ान तो कभी प्यार के झरोके सा रहते है मायने रखता है मिज़ाज़ मौसम का कैसा है आपका हमदर्द ©Kiran Pawara

#मिज़ाज  हम मौसम नहीं जो बदल जाए

हवा हैं
बस कभी तूफ़ान
तो कभी प्यार के झरोके सा रहते है

मायने रखता है
मिज़ाज़ मौसम का कैसा है

आपका हमदर्द

©Kiran Pawara

#मिज़ाज in hindi in hindi

15 Love

भक्ति में शिव शक्ति में शिव जीवन में शिव मिर्त्यु में शिव भक्त्यां शिवः शक्तितः शिवः जीवने शिवः मृत्युतः शिवः | Shiva in devotion, Shiva in power, Shiva in life, Shiva in death धन्यवाद हर हर महादेव ©Mohan raj

#Bhakti  भक्ति में शिव शक्ति में शिव जीवन में शिव मिर्त्यु में शिव
भक्त्यां शिवः शक्तितः शिवः जीवने शिवः मृत्युतः शिवः |
Shiva in devotion, Shiva in power, Shiva in life, Shiva in death
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj

#Life Lessons Shiva in devotion, Shiva in power, Shiva in life, Shiva in death

17 Love

love in gift in lady

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#krishna_flute #Mahabharat

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha

#aeastheticthoughtes #संशय #Mahabharat #Krishna  कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha
 White chup chap sahte raho to aap ache ho. agar aap bol pade to bure ho. yahi dunya hai

©Asfia Naaz

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हम मौसम नहीं जो बदल जाए हवा हैं बस कभी तूफ़ान तो कभी प्यार के झरोके सा रहते है मायने रखता है मिज़ाज़ मौसम का कैसा है आपका हमदर्द ©Kiran Pawara

#मिज़ाज  हम मौसम नहीं जो बदल जाए

हवा हैं
बस कभी तूफ़ान
तो कभी प्यार के झरोके सा रहते है

मायने रखता है
मिज़ाज़ मौसम का कैसा है

आपका हमदर्द

©Kiran Pawara

#मिज़ाज in hindi in hindi

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भक्ति में शिव शक्ति में शिव जीवन में शिव मिर्त्यु में शिव भक्त्यां शिवः शक्तितः शिवः जीवने शिवः मृत्युतः शिवः | Shiva in devotion, Shiva in power, Shiva in life, Shiva in death धन्यवाद हर हर महादेव ©Mohan raj

#Bhakti  भक्ति में शिव शक्ति में शिव जीवन में शिव मिर्त्यु में शिव
भक्त्यां शिवः शक्तितः शिवः जीवने शिवः मृत्युतः शिवः |
Shiva in devotion, Shiva in power, Shiva in life, Shiva in death
धन्यवाद हर हर महादेव

©Mohan raj

#Life Lessons Shiva in devotion, Shiva in power, Shiva in life, Shiva in death

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