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#love_shayari #लव

#love_shayari भाई दूज का गीत

144 View

White शीर्षक-  बहन भाई के भाल का ताज है बहन  घर  के आँगन की  रंगोली  होती है इक बहन ही भाई  की हमजोली  होती है बहन के बिना घर  की हर  रस्में अधूरीं हैं बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं बहन न हो घर की दहलीज सूनी रहती है बहन बिना भाई की कलाई सूनी रहती है हे ईश्वर  हर घर में  एक  बेटी जरूर  देना न रहे बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना बहन भाई  की  राखी,भाल  का साज है बहन ,बेटी ही सदैव परिवार का ताज है कवि अरुण चक्रवर्ती कन्नौज ©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777

#Bhai_Dooj #wishes  White शीर्षक-  बहन भाई के भाल का ताज है 

बहन  घर  के आँगन की  रंगोली  होती है
इक बहन ही भाई  की हमजोली  होती है 

बहन के बिना घर  की हर  रस्में अधूरीं हैं
बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं 

बहन न हो घर की दहलीज सूनी रहती है 
बहन बिना भाई की कलाई सूनी रहती है 

हे ईश्वर  हर घर में  एक  बेटी जरूर  देना
न रहे बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना 

बहन भाई  की  राखी,भाल  का साज है
बहन ,बेटी ही सदैव परिवार का ताज है 

कवि अरुण चक्रवर्ती  कन्नौज

©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777

#Bhai_Dooj भैया दूज की सभी को शुभकामनायें

15 Love

हंसती आंखें दिल रोता है, अपना चाहा कब होता है, गाने वाला रो दे अक़्सर, पाने वाला ही खोता है, राम नाम रटने वाला भी, फंसा जाल में ज्युं तोता है, रोज़ नहाये गंगा जल से, मन का मैल नहीं धोता है, पछताने से क्या होगा जब, बीज दुखों का ख़ुद बोता है, रात में करता है रखवाली, श्वान दिवस में ही सोता है, ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन, भंवर बीच खाता गोता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #अपना  हंसती आंखें दिल रोता है,
अपना चाहा कब होता है,

गाने  वाला  रो दे अक़्सर,
पाने  वाला  ही   खोता है,

राम नाम  रटने  वाला भी,
फंसा जाल में ज्युं तोता है,

रोज़ नहाये  गंगा  जल से,
मन का मैल नहीं धोता है,

पछताने से क्या होगा जब,
बीज दुखों का ख़ुद बोता है,

रात में  करता है  रखवाली,
श्वान दिवस में ही  सोता है,

ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन,
भंवर  बीच  खाता गोता है,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#अपना चाहा कब होता है#

12 Love

तुम्हे प्यार है मुझसे,पर कब तक! जब तक......!!

153 View

#शायरी #ना

#ना जाने कब.....

99 View

कब तलक मेला चलेगा, फिर अकेलापन खलेगा, दिवस का अवसान होगा, सूर्य अस्ताचल ढ़लेगा, ख़त्म होंगे बाग से फल, वृक्ष भी कबतक फलेगा, बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, बर्फ पर्वत पर गलेगा, मोह में जिसके पड़े तुम, वही आकर फिर छलेगा, फूँक कर तुम छाछ पीना, तप्त हो यदि मुँह जलेगा, लाख करलो कोशिशें तुम, लिखा विधि का ना टलेगा, चूकना अवसर न 'गुंजन', हाथ फिर कबतक मलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #कब  कब तलक मेला चलेगा, 
फिर अकेलापन खलेगा,

दिवस का अवसान होगा, 
सूर्य   अस्ताचल   ढ़लेगा,

ख़त्म होंगे  बाग से फल, 
वृक्ष भी कबतक फलेगा,

बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, 
बर्फ  पर्वत  पर  गलेगा,

मोह में जिसके पड़े तुम, 
वही आकर फिर छलेगा,

फूँक कर तुम छाछ पीना, 
तप्त हो यदि  मुँह जलेगा,

लाख करलो कोशिशें तुम, 
लिखा विधि का ना टलेगा,

चूकना  अवसर न 'गुंजन',
हाथ फिर कबतक मलेगा,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#कब तलक मेला चलेगा#

13 Love

#love_shayari #लव

#love_shayari भाई दूज का गीत

144 View

White शीर्षक-  बहन भाई के भाल का ताज है बहन  घर  के आँगन की  रंगोली  होती है इक बहन ही भाई  की हमजोली  होती है बहन के बिना घर  की हर  रस्में अधूरीं हैं बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं बहन न हो घर की दहलीज सूनी रहती है बहन बिना भाई की कलाई सूनी रहती है हे ईश्वर  हर घर में  एक  बेटी जरूर  देना न रहे बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना बहन भाई  की  राखी,भाल  का साज है बहन ,बेटी ही सदैव परिवार का ताज है कवि अरुण चक्रवर्ती कन्नौज ©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777

#Bhai_Dooj #wishes  White शीर्षक-  बहन भाई के भाल का ताज है 

बहन  घर  के आँगन की  रंगोली  होती है
इक बहन ही भाई  की हमजोली  होती है 

बहन के बिना घर  की हर  रस्में अधूरीं हैं
बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं 

बहन न हो घर की दहलीज सूनी रहती है 
बहन बिना भाई की कलाई सूनी रहती है 

हे ईश्वर  हर घर में  एक  बेटी जरूर  देना
न रहे बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना 

बहन भाई  की  राखी,भाल  का साज है
बहन ,बेटी ही सदैव परिवार का ताज है 

कवि अरुण चक्रवर्ती  कन्नौज

©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777

#Bhai_Dooj भैया दूज की सभी को शुभकामनायें

15 Love

हंसती आंखें दिल रोता है, अपना चाहा कब होता है, गाने वाला रो दे अक़्सर, पाने वाला ही खोता है, राम नाम रटने वाला भी, फंसा जाल में ज्युं तोता है, रोज़ नहाये गंगा जल से, मन का मैल नहीं धोता है, पछताने से क्या होगा जब, बीज दुखों का ख़ुद बोता है, रात में करता है रखवाली, श्वान दिवस में ही सोता है, ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन, भंवर बीच खाता गोता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #अपना  हंसती आंखें दिल रोता है,
अपना चाहा कब होता है,

गाने  वाला  रो दे अक़्सर,
पाने  वाला  ही   खोता है,

राम नाम  रटने  वाला भी,
फंसा जाल में ज्युं तोता है,

रोज़ नहाये  गंगा  जल से,
मन का मैल नहीं धोता है,

पछताने से क्या होगा जब,
बीज दुखों का ख़ुद बोता है,

रात में  करता है  रखवाली,
श्वान दिवस में ही  सोता है,

ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन,
भंवर  बीच  खाता गोता है,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#अपना चाहा कब होता है#

12 Love

तुम्हे प्यार है मुझसे,पर कब तक! जब तक......!!

153 View

#शायरी #ना

#ना जाने कब.....

99 View

कब तलक मेला चलेगा, फिर अकेलापन खलेगा, दिवस का अवसान होगा, सूर्य अस्ताचल ढ़लेगा, ख़त्म होंगे बाग से फल, वृक्ष भी कबतक फलेगा, बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, बर्फ पर्वत पर गलेगा, मोह में जिसके पड़े तुम, वही आकर फिर छलेगा, फूँक कर तुम छाछ पीना, तप्त हो यदि मुँह जलेगा, लाख करलो कोशिशें तुम, लिखा विधि का ना टलेगा, चूकना अवसर न 'गुंजन', हाथ फिर कबतक मलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #कब  कब तलक मेला चलेगा, 
फिर अकेलापन खलेगा,

दिवस का अवसान होगा, 
सूर्य   अस्ताचल   ढ़लेगा,

ख़त्म होंगे  बाग से फल, 
वृक्ष भी कबतक फलेगा,

बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, 
बर्फ  पर्वत  पर  गलेगा,

मोह में जिसके पड़े तुम, 
वही आकर फिर छलेगा,

फूँक कर तुम छाछ पीना, 
तप्त हो यदि  मुँह जलेगा,

लाख करलो कोशिशें तुम, 
लिखा विधि का ना टलेगा,

चूकना  अवसर न 'गुंजन',
हाथ फिर कबतक मलेगा,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#कब तलक मेला चलेगा#

13 Love

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