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New सुहासिनी शिंदे सामना Status, Photo, Video

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आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा। ©Srinivas

#कोट्स  आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

©Srinivas

आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

13 Love

#चुनौती #शायरी #सामना #का

#चुनौती #का #सामना दोस्ती शायरी लव शायरी हिंदी में शायरी हिंदी

108 View

"वृंदा और चहकू – दोस्ती का सफर, जंगल की रहस्यमयी छाया, प्राचीन राज़, और रोमांचक गुफा यात्रा" - हरे-भरे जंगल में स्थित एक पुराना विशाल पेड़,

81 View

"पेड़ और बहादुर गिलहरी – हिंदी एनिमेटेड बच्चों की शिक्षाप्रद नैतिक कहानी" - दूरस्थ जंगल में, विशाल पेड़ बृंदा और उसकी छोटी दोस्त चिंकी एक खत

108 View

आकर रुक गया मैं एक किनारे पर चलते हुए जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया आंख खोली तो सच से सामना हुआ खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया वो बैचेनी जो होती थी खामखा वो बेफिजूल से अरमान दिल के सब दिल से निकाल कर फेंक आया खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज अनजान था जिंदगी के मायने समझने से जब खुद को जाना तो सब समझ आया भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया ©Jitender Sharma

#विचार #GoldenHour  आकर रुक गया मैं एक किनारे पर  चलते हुए
जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया 
भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को
आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर
 मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया
आंख खोली तो सच से सामना हुआ 
खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया

वो बैचेनी जो होती थी खामखा 
वो बेफिजूल से अरमान दिल के
सब दिल से निकाल कर फेंक आया 
खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज
अनजान था जिंदगी के मायने समझने से
जब खुद को जाना तो सब समझ आया
भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया

©Jitender Sharma

#GoldenHour सच से सामना

10 Love

#wishes  हमने आज अपनी बच्ची (लीशा) के लिए तीन पेड़ लगाए क्योंकि वह कल दो महीने की हो जाएगी। मैं सभी माता-पिता से अनुरोध करता हूं कि वे भी ऐसा ही करें क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी कई पर्यावरणीय मुद्दों का सामना करेगी, जो हम सभी ने किए हैं, आइए अपने बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।

©Vandana Rana

हमने आज अपनी बच्ची (लीशा) के लिए तीन पेड़ लगाए क्योंकि वह कल दो महीने की हो जाएगी। मैं सभी माता-पिता से अनुरोध करता हूं कि वे भी ऐसा ही करें

153 View

आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा। ©Srinivas

#कोट्स  आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

©Srinivas

आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

13 Love

#चुनौती #शायरी #सामना #का

#चुनौती #का #सामना दोस्ती शायरी लव शायरी हिंदी में शायरी हिंदी

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"वृंदा और चहकू – दोस्ती का सफर, जंगल की रहस्यमयी छाया, प्राचीन राज़, और रोमांचक गुफा यात्रा" - हरे-भरे जंगल में स्थित एक पुराना विशाल पेड़,

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"पेड़ और बहादुर गिलहरी – हिंदी एनिमेटेड बच्चों की शिक्षाप्रद नैतिक कहानी" - दूरस्थ जंगल में, विशाल पेड़ बृंदा और उसकी छोटी दोस्त चिंकी एक खत

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आकर रुक गया मैं एक किनारे पर चलते हुए जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया आंख खोली तो सच से सामना हुआ खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया वो बैचेनी जो होती थी खामखा वो बेफिजूल से अरमान दिल के सब दिल से निकाल कर फेंक आया खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज अनजान था जिंदगी के मायने समझने से जब खुद को जाना तो सब समझ आया भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया ©Jitender Sharma

#विचार #GoldenHour  आकर रुक गया मैं एक किनारे पर  चलते हुए
जहां तक नजर जा सकती थी देखता गया 
भीड़ भरे इस जहां में कितना तन्हा पाया खुद को
आंखें बंद करके सुनता रहा सन्नाटे का शोर
 मन के भीतर जो उत्पात मचा रखा था एहसासों ने कि तू सबके लिए खड़ा था पर ,तेरे कोई साथ न आया
आंख खोली तो सच से सामना हुआ 
खुद को झूठी तसल्ली देने की आदत वहीं छोड़ आया

वो बैचेनी जो होती थी खामखा 
वो बेफिजूल से अरमान दिल के
सब दिल से निकाल कर फेंक आया 
खुद से ही जंग लड़ रहा हूं हर रोज
अनजान था जिंदगी के मायने समझने से
जब खुद को जाना तो सब समझ आया
भीड़ भरे इस जहां में मैंने खुद को कितना तन्हा पाया

©Jitender Sharma

#GoldenHour सच से सामना

10 Love

#wishes  हमने आज अपनी बच्ची (लीशा) के लिए तीन पेड़ लगाए क्योंकि वह कल दो महीने की हो जाएगी। मैं सभी माता-पिता से अनुरोध करता हूं कि वे भी ऐसा ही करें क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी कई पर्यावरणीय मुद्दों का सामना करेगी, जो हम सभी ने किए हैं, आइए अपने बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।

©Vandana Rana

हमने आज अपनी बच्ची (लीशा) के लिए तीन पेड़ लगाए क्योंकि वह कल दो महीने की हो जाएगी। मैं सभी माता-पिता से अनुरोध करता हूं कि वे भी ऐसा ही करें

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