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#कविता

मैं

117 View

इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

3 Love

White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha

 White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं....

17 Love

#वीडियो

"मीना तोता की मददगार प्रवृत्ति: बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा की प्रेरणादायक हिंदी कहानी" - मीना तोता की मददगार प्रवृत्ति" एक प्रेरणादायक हिंदी

90 View

White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए मजबूर करती जा रही हैं ... ©Shalini Pandey

#शायरी  White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं 
बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए 
मजबूर करती जा रही हैं ...

©Shalini Pandey

मैं

13 Love

#शायरी  White एक तोता होता है वो सोचता है 
कास मैं भी कभी पिंजरे के उस पार खुली आसमान में अपना पंख फैला पाता 
तभी अचानक पिंजरा जमीन पर धड़ाम से गिरता है 
दरवाजा जो पिंजरे में लगा था वो टूट जाता है 
और पंछी आजाद हो जाता है 
वो बाहर निकलता है अपने पंखों को पूरी शक्ति से फड़फड़ाता है 
और खुली आसमान में निकल जाता है 
पूरे दिन वो उधर से इधर,इधर से उधर उड़ता रहता है 
और शाम होते ही एक वृक्ष के डाल में बैठ जाता है 
उस दिन वो बड़े सुकून से पेड़ के डाल में ऐसे सो जाता है 
जैसे एक शिशु अपने मां के गोद में
थोड़ी देर बाद तोता पेड़ में लगे फलों को खाने लगता है 
थोड़ा आम का थोड़ा जामुन का तो बेर का फल 
खा खा के मौज से नीचे गिरा रहा होता है 
भूख भी तो जोरो की था खाने का इतना वैरेटी देख वो बड़ा प्रसन्न रहता है 
पर इसला सुकून ज्यादा वक्त का नही होता  
सुबह होते ही उस पेड़ के पास एक माली आता है 
उसकी आने की आहट सुन तोता तुरंत वहा से 
दूर एक कुटिया में जाकर बैठ जाता है 
तभी उसकी नजर एक बच्चे पे पड़ता है 
जो भूख से बिखला रहा होता है मां से खाने की जिद करता है 
मां भी कहती है रुक जा बेटा थोड़ी देर गुजर जाने दे अभी पानी पीले थोड़ा दिन को और ढल जाने दे फिर खा लेना बच्चा कहता है क्यों मां 
मां कहती है बेटा रोटी एक है दिन पूरे 24 घंटे का है अभी खा लेगा तो बाद में भूख लगेगी तो क्या खायेगा
 उनकी इस बात को सुन तोता द्वंद में पड़ जाता है
सोचता है भगवान इनके पास आजादी है पर खाने को खाना नही 
मेरे पास खाना है पर जीवन में आजादी नहीं 
मैं सोच रहा था आजाद है वो कितने सुखी है 
पर इनके भूख को देख मुझे मेरा गुलामी ही प्रिय लग रहा
तभी मां रोटी का छोटा सा टुकड़ा तोते की ओर फेंकता है 
तोता यह देख चौंक जाता है चौकने का बात ही था 
जेब भरी हो तो दान करना आसान होता है 
खाली हो तो उतनी ही कठिन
पर यह कठिन कार्य मां कितने सहज भाव से कर दी 
तोता से रहा नही गया तोता ने मां से पूछ लिया 
मां भूखी तो तुम भी हो ये रोटी का निवाला तुम भी तो खा सकते थे पर तुमने मुझे क्यों दिया 
मां मुस्कुराई और बोली बेटा पेट चाहे इंसान का हो या पंछी का भूख तो सबको लगती है 
और रही बात मेरे भूख की तो ऊपर वाला उसे भी भर देगा इतना सुन तोता के आंखो में आशु आने लगता है इतने में 
दहलीज में उसका पति का आना  होता 
गमछे में कुछ बांध रखा होता है जब वो गमछा खोलता है उसमें से बहुत सारे मीठे मीठे फल निकलते हैं पर सभी फलों में एक समानता होती है उस फल को कोई थोड़ा थोड़ा खाकर छोड़ दिया होता है 
तोता की नजर मां के पति पर पड़ता है वो वही माली होता है जिसे देख वो भागा था 
और वो वही फल होता जिसे खाकर तोता ने छोड़ दिया था 
इस दृश्य को देख तोता को यकीन हो जाता है के जो दोगे तुम्हे वही मिलेगा

©@DeepTalk

तोता को मिला जीवन का मूल मंत्र#sad_shayari

144 View

#कविता

मैं

117 View

इन सर्द रास्तों पर कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं एक खौफनाक अंधेरा है पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए बहा ले जा रही है मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख हथेलियों में समेट रहा हूँ बारिशें पर ये टिकती नहीं सर्द हवाएँ अंदर तक कुरेद रही है मुझे मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश अपने अंदर के शोर को साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं … मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर मिटाना चाहता हूँ जिंदगी की पगडंडियों से गुजरती तुम्हारी यादें भूलना चाहता हूॅं तुम्हारी खनकती हँसी खुद को… यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं तुम नहीं हो अब …. तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम इन भीगी हुई हथेलियों के बीच गुनगुनी छुअन बन कर सुनसान सड़क पर रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ मेरे साथ नहीं हो तुम मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम. ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

3 Love

White मै ही रहा मन से दग्ध और देह से शापित दर्द उगता है दिल में तेरी यादों के जालों से घिरा रहता हूँ मैं अकुलाता उमड़ते ज्वार सा ©हिमांशु Kulshreshtha

 White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha

मैं....

17 Love

#वीडियो

"मीना तोता की मददगार प्रवृत्ति: बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा की प्रेरणादायक हिंदी कहानी" - मीना तोता की मददगार प्रवृत्ति" एक प्रेरणादायक हिंदी

90 View

White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए मजबूर करती जा रही हैं ... ©Shalini Pandey

#शायरी  White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं 
बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए 
मजबूर करती जा रही हैं ...

©Shalini Pandey

मैं

13 Love

#शायरी  White एक तोता होता है वो सोचता है 
कास मैं भी कभी पिंजरे के उस पार खुली आसमान में अपना पंख फैला पाता 
तभी अचानक पिंजरा जमीन पर धड़ाम से गिरता है 
दरवाजा जो पिंजरे में लगा था वो टूट जाता है 
और पंछी आजाद हो जाता है 
वो बाहर निकलता है अपने पंखों को पूरी शक्ति से फड़फड़ाता है 
और खुली आसमान में निकल जाता है 
पूरे दिन वो उधर से इधर,इधर से उधर उड़ता रहता है 
और शाम होते ही एक वृक्ष के डाल में बैठ जाता है 
उस दिन वो बड़े सुकून से पेड़ के डाल में ऐसे सो जाता है 
जैसे एक शिशु अपने मां के गोद में
थोड़ी देर बाद तोता पेड़ में लगे फलों को खाने लगता है 
थोड़ा आम का थोड़ा जामुन का तो बेर का फल 
खा खा के मौज से नीचे गिरा रहा होता है 
भूख भी तो जोरो की था खाने का इतना वैरेटी देख वो बड़ा प्रसन्न रहता है 
पर इसला सुकून ज्यादा वक्त का नही होता  
सुबह होते ही उस पेड़ के पास एक माली आता है 
उसकी आने की आहट सुन तोता तुरंत वहा से 
दूर एक कुटिया में जाकर बैठ जाता है 
तभी उसकी नजर एक बच्चे पे पड़ता है 
जो भूख से बिखला रहा होता है मां से खाने की जिद करता है 
मां भी कहती है रुक जा बेटा थोड़ी देर गुजर जाने दे अभी पानी पीले थोड़ा दिन को और ढल जाने दे फिर खा लेना बच्चा कहता है क्यों मां 
मां कहती है बेटा रोटी एक है दिन पूरे 24 घंटे का है अभी खा लेगा तो बाद में भूख लगेगी तो क्या खायेगा
 उनकी इस बात को सुन तोता द्वंद में पड़ जाता है
सोचता है भगवान इनके पास आजादी है पर खाने को खाना नही 
मेरे पास खाना है पर जीवन में आजादी नहीं 
मैं सोच रहा था आजाद है वो कितने सुखी है 
पर इनके भूख को देख मुझे मेरा गुलामी ही प्रिय लग रहा
तभी मां रोटी का छोटा सा टुकड़ा तोते की ओर फेंकता है 
तोता यह देख चौंक जाता है चौकने का बात ही था 
जेब भरी हो तो दान करना आसान होता है 
खाली हो तो उतनी ही कठिन
पर यह कठिन कार्य मां कितने सहज भाव से कर दी 
तोता से रहा नही गया तोता ने मां से पूछ लिया 
मां भूखी तो तुम भी हो ये रोटी का निवाला तुम भी तो खा सकते थे पर तुमने मुझे क्यों दिया 
मां मुस्कुराई और बोली बेटा पेट चाहे इंसान का हो या पंछी का भूख तो सबको लगती है 
और रही बात मेरे भूख की तो ऊपर वाला उसे भी भर देगा इतना सुन तोता के आंखो में आशु आने लगता है इतने में 
दहलीज में उसका पति का आना  होता 
गमछे में कुछ बांध रखा होता है जब वो गमछा खोलता है उसमें से बहुत सारे मीठे मीठे फल निकलते हैं पर सभी फलों में एक समानता होती है उस फल को कोई थोड़ा थोड़ा खाकर छोड़ दिया होता है 
तोता की नजर मां के पति पर पड़ता है वो वही माली होता है जिसे देख वो भागा था 
और वो वही फल होता जिसे खाकर तोता ने छोड़ दिया था 
इस दृश्य को देख तोता को यकीन हो जाता है के जो दोगे तुम्हे वही मिलेगा

©@DeepTalk

तोता को मिला जीवन का मूल मंत्र#sad_shayari

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