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अल्फांजो की ज़ुबानी जहाँपे ख़त्म हो वह मकाम ही रुहोंका जगत हैं। ©Lotus Mali

 अल्फांजो की ज़ुबानी
जहाँपे ख़त्म हो
वह मकाम ही
रुहोंका जगत हैं।

©Lotus Mali

अल्फांजो की ज़ुबानी जहाँपे ख़त्म हो वह मकाम ही रुहोंका जगत हैं। ©Lotus Mali 🪷

15 Love

White अच्छा लगा मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा, दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा, मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम, ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा, ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे, सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा, मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे, अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा, खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla

#बोलतीकविताओंकासंग्रह #स्याहीकार #काव्यSaga #my_pen_my_strength #कविता #lessonlearned  White अच्छा लगा

मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा,
दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा,

मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम,
ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा,

ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे,
सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा,

मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे,
अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा,

खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, 
जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा।

IG :— @my_pen_my_strength

©Saket Ranjan Shukla

अच्छा लगा.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

15 Love

White *आखिर क्यों??* अपने देश को छोड़कर गैर देश में रहना क्यों?? इंसानियत की धज्जियां उड़ें.. ऐसे मजहब का बनना क्यों?? पहले अपने ही देश के टुकड़े करो फिर टुकड़े के भी टुकड़े करो .. ये कैसी देशभक्ति है??? और कैसा है?? धर्म प्रेम... बांग्लादेश हो या हो भारत नरसंहार करना ही क्यों?? साँसें दीं ऊपर वाले ने मरण लिखा ऊपर वाले ने किसको कहाँ पैदा करना है ये भी तय किया ऊपर वाले ने सब कुछ तो उसके वश में है औकात पाई है कठपुतली की फिर ,,नाहक में अकड़ना क्यों? बन पाये तो कुछ अच्छा करो जब तक उसने सांसें दीं .. खैराती जीवन पाकर उसकी सुंदर रचना को तहस-नहस करना ही क्यों?? तहस-नहस करना ही क्यों?? तहस-नहस करना ही क्यों?? *पूरे विश्व में इतनी शक्ति किसी ने भी नहीं पाईं जो किसी को भी बिना ईश्वर की मर्जी के जान से मार सके।* *मौत अटल है और विधाता के द्वारा ही निर्धारित है हाँ मरण कैसे होगा ये निज कर्म निर्धारित करते हैं। तो जो जैसे मर रहा है अपने ही इस जन्म या पिछले जन्मों के कर्म फल भोग रहा है।* ✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश भारत ( 06 दिसंबर 2024 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan

#प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #आखिर_क्यों #देशभक्ति #नोजोटो #कोट्स  White *आखिर क्यों??*
अपने देश को छोड़कर 
गैर देश में रहना क्यों??
इंसानियत की धज्जियां उड़ें.. 
ऐसे मजहब का बनना क्यों??
पहले अपने ही देश के टुकड़े करो 
फिर टुकड़े के भी टुकड़े करो ..
ये कैसी देशभक्ति है???
और कैसा है?? धर्म प्रेम...
बांग्लादेश हो या हो भारत
नरसंहार करना ही क्यों??
साँसें दीं ऊपर वाले ने  
मरण लिखा ऊपर वाले ने 
किसको कहाँ पैदा करना है 
ये भी तय किया ऊपर वाले ने 
सब कुछ तो उसके वश में है
औकात पाई है कठपुतली की 
फिर ,,नाहक में अकड़ना क्यों?
बन पाये तो कुछ अच्छा करो 
जब तक उसने सांसें दीं ..
खैराती जीवन पाकर 
उसकी सुंदर रचना को 
तहस-नहस करना ही क्यों??
तहस-नहस करना ही क्यों??
तहस-नहस करना ही क्यों??
*पूरे विश्व में इतनी शक्ति किसी ने भी नहीं पाईं जो किसी को भी बिना ईश्वर की मर्जी के जान से मार सके।*
*मौत अटल है और विधाता के द्वारा ही निर्धारित है हाँ मरण कैसे होगा ये निज कर्म निर्धारित करते हैं। तो जो जैसे मर रहा है अपने ही इस जन्म या पिछले जन्मों के कर्म फल भोग रहा है।*
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत 
( 06 दिसंबर 2024 )

©Pratibha Dwivedi urf muskan
#Motivational

©rack NEET in 1st attempt & achieve your goals 👍🏼 motivational thoughts for students Entrance examination

144 View

#मेरी_रुह© #कविता #MereKhayal  कभी-कभी 💗

#MereKhayal कभी-कभी कुछ नया सा तो कभी पुराना सा दिखता है..!! #मेरी_रुह©

153 View

#मेरी_रुह© #कविता #MereKhayal #बंद  वो शाम कितनी सुहानी
बंद आँखों में थोड़ा पानी..!!
#मेरी_रुह© वो शाम कितनी सुहानी
बंद आँखों में थोड़ा सा पानी..!!
#मेरी_रुह©

#MereKhayal #वो शाम कितनी सुहानी #बंद आँखों मे थोड़ा सा पानी..!! #मेरी_रुह© कविता कोश

144 View

अल्फांजो की ज़ुबानी जहाँपे ख़त्म हो वह मकाम ही रुहोंका जगत हैं। ©Lotus Mali

 अल्फांजो की ज़ुबानी
जहाँपे ख़त्म हो
वह मकाम ही
रुहोंका जगत हैं।

©Lotus Mali

अल्फांजो की ज़ुबानी जहाँपे ख़त्म हो वह मकाम ही रुहोंका जगत हैं। ©Lotus Mali 🪷

15 Love

White अच्छा लगा मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा, दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा, मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम, ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा, ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे, सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा, मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे, अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा, खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla

#बोलतीकविताओंकासंग्रह #स्याहीकार #काव्यSaga #my_pen_my_strength #कविता #lessonlearned  White अच्छा लगा

मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा,
दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा,

मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम,
ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा,

ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे,
सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा,

मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे,
अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा,

खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, 
जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा।

IG :— @my_pen_my_strength

©Saket Ranjan Shukla

अच्छा लगा.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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White *आखिर क्यों??* अपने देश को छोड़कर गैर देश में रहना क्यों?? इंसानियत की धज्जियां उड़ें.. ऐसे मजहब का बनना क्यों?? पहले अपने ही देश के टुकड़े करो फिर टुकड़े के भी टुकड़े करो .. ये कैसी देशभक्ति है??? और कैसा है?? धर्म प्रेम... बांग्लादेश हो या हो भारत नरसंहार करना ही क्यों?? साँसें दीं ऊपर वाले ने मरण लिखा ऊपर वाले ने किसको कहाँ पैदा करना है ये भी तय किया ऊपर वाले ने सब कुछ तो उसके वश में है औकात पाई है कठपुतली की फिर ,,नाहक में अकड़ना क्यों? बन पाये तो कुछ अच्छा करो जब तक उसने सांसें दीं .. खैराती जीवन पाकर उसकी सुंदर रचना को तहस-नहस करना ही क्यों?? तहस-नहस करना ही क्यों?? तहस-नहस करना ही क्यों?? *पूरे विश्व में इतनी शक्ति किसी ने भी नहीं पाईं जो किसी को भी बिना ईश्वर की मर्जी के जान से मार सके।* *मौत अटल है और विधाता के द्वारा ही निर्धारित है हाँ मरण कैसे होगा ये निज कर्म निर्धारित करते हैं। तो जो जैसे मर रहा है अपने ही इस जन्म या पिछले जन्मों के कर्म फल भोग रहा है।* ✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश भारत ( 06 दिसंबर 2024 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan

#प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #आखिर_क्यों #देशभक्ति #नोजोटो #कोट्स  White *आखिर क्यों??*
अपने देश को छोड़कर 
गैर देश में रहना क्यों??
इंसानियत की धज्जियां उड़ें.. 
ऐसे मजहब का बनना क्यों??
पहले अपने ही देश के टुकड़े करो 
फिर टुकड़े के भी टुकड़े करो ..
ये कैसी देशभक्ति है???
और कैसा है?? धर्म प्रेम...
बांग्लादेश हो या हो भारत
नरसंहार करना ही क्यों??
साँसें दीं ऊपर वाले ने  
मरण लिखा ऊपर वाले ने 
किसको कहाँ पैदा करना है 
ये भी तय किया ऊपर वाले ने 
सब कुछ तो उसके वश में है
औकात पाई है कठपुतली की 
फिर ,,नाहक में अकड़ना क्यों?
बन पाये तो कुछ अच्छा करो 
जब तक उसने सांसें दीं ..
खैराती जीवन पाकर 
उसकी सुंदर रचना को 
तहस-नहस करना ही क्यों??
तहस-नहस करना ही क्यों??
तहस-नहस करना ही क्यों??
*पूरे विश्व में इतनी शक्ति किसी ने भी नहीं पाईं जो किसी को भी बिना ईश्वर की मर्जी के जान से मार सके।*
*मौत अटल है और विधाता के द्वारा ही निर्धारित है हाँ मरण कैसे होगा ये निज कर्म निर्धारित करते हैं। तो जो जैसे मर रहा है अपने ही इस जन्म या पिछले जन्मों के कर्म फल भोग रहा है।*
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत 
( 06 दिसंबर 2024 )

©Pratibha Dwivedi urf muskan
#Motivational

©rack NEET in 1st attempt & achieve your goals 👍🏼 motivational thoughts for students Entrance examination

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#मेरी_रुह© #कविता #MereKhayal  कभी-कभी 💗

#MereKhayal कभी-कभी कुछ नया सा तो कभी पुराना सा दिखता है..!! #मेरी_रुह©

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#मेरी_रुह© #कविता #MereKhayal #बंद  वो शाम कितनी सुहानी
बंद आँखों में थोड़ा पानी..!!
#मेरी_रुह© वो शाम कितनी सुहानी
बंद आँखों में थोड़ा सा पानी..!!
#मेरी_रुह©

#MereKhayal #वो शाम कितनी सुहानी #बंद आँखों मे थोड़ा सा पानी..!! #मेरी_रुह© कविता कोश

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