White महज दूर जाने की बाते तुझसे मेरी आंखे नम कर जाती है
सोचती हूं मैं कभी तो रूह भी काप जाती है
मुझे शिकायत वक्त से अक्सर ये रहती है
लिखा जब नहीं है नसीब में तो क्यों किस्मत मिलवाती है
मैं सच से रूबरू हूं अपने अतीत के, ये मुझसे मेरा आज छीन रहा है
और पहली मोहोब्त ना सही,
मेरी आखरी मोहब्बत को भी ये दूर कर रहा है
मैं तुझे खो दूंगी इस ख्याल से भी दिल तकलीफ मैं आ जाता है
और नहीं पड़ेगा फर्क मुझे कुछ जाना कैसे कह दूं
वो लम्हा मेरे लिए मेरा सब खो जाने जैसा है
तुझे खोने का एहसास मेरी रूह को सता जाता है
तू क्यों नहीं है नसीब में मेरे सवाल बस सवाल सा रह जाता है
तुझसे बिना बोले तो दिन भी नहीं गुजरता है
मैं कैसे जिऊंगी बिन तेरे मुझे ये ख्याल बहुत सताता है
तुझे किसी और का बता कर मैं खुद ही रो जाती हूं
तेरे बिन रहना पड़ेगा कभी सोच कर भी सहम जाती हूं
मैं अपने नसीब को खामोशी से कोसती जाती हूं
क्यों वो मेरा नसीब नहीं है जिसे मैं दिल से चाहती हूं
जो मिल जाए तू मुझे मै कोई और ख्वाहिश करूं ही ना
तेरे सिवा कोई भी चाहत रखूं ही ना
तुझे खोने का दर्द बस मेरा दिल ही समझता है
और जाना तू क्यों मेरी किस्मत मैं नहीं ये सवाल मुझे बहुत सताता है
©Ashtha Mahra
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