मोहब्बत ...
दिल से जुड़े हर एक रिश्ते में मोहब्बत होती ही है लेकिन
उस हर रिश्ते की मोहब्बत अलग-अलग होती है ।
जैसे माॅं-बाप और बच्चों के रिश्ते में,भाई-बहन के रिश्ते में,
इश्क़-ए-मजाज़ी में और दोस्ती के रिश्ते में भी।
हर रिश्ते की मोहब्बत में फ़र्क़ होता है, इक दायरा होता है।
जो बातें अपने महबूब से कहने की होती हैं वो बातें
हम अपने किसी बहुत क़रीबी दोस्त से भी कह नहीं सकते
और ना ही कहनी चाहिए ।
जिस तरह हम अपने दोस्तों से बात करते हैं उस तरह
हम अपने माॅं-बाप से बात कर नहीं सकते।
क्यूॅंकि हर रिश्ते की इक मर्यादा, इक वक़ार होता है।
और रिश्तों में अगर इस वक़ार का और इन दायरों का
लिहाज़ ना रखा जाए अगर तो लोगों के दिलों में
ग़लत-फ़हमियाॅं तो पैदा हो ही जाती हैं लेकिन
उस रिश्ते की और उस मोहब्बत की भी तौहीन होती है ।
और ये जो रूहानी मोहब्बत होती है,ये कुछ अलग ही होती है।
इसमें जिस्म मायने नहीं रखता, यहाॅं सिर्फ़ दिल-ओ-रूह की
और एहसासों की बात होती है।
ये रूहानी मोहब्बत अक्सर किसी एक ही ख़ास शख़्स से होती हैं,
वर्ना तो हमारी ज़िंदगी में ऐसे बहुत से लोग होते हैं
जिन से हमें मोहब्बत होती है ।
#bas yunhi .......
©Sh@kila Niy@z
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