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New जिम्मेदारियों का बोझ कविता तिवारी Status, Photo, Video

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White बस बापू कुछ दूर चलो जनता है मजबूर चलो देश बंटा फिर लाश हुए लाना है कोहिनूर चलो। चलो लंदन का टूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। टोपी तिलक पे भारी है ये हिंदु से गद्दारी है एक राष्ट्र दिया पर कानूनन कहां एक सी दावेदारी है। दिल्ली अब भी है दूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। नोटों पे फोटो छपती है फोटो की पूजा होती है हाथो में डंडा लिए हो क्यों तन पे केवल क्यों धोती है। हो जाओगे मशहूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। हरिजन अछूत को करने से या मुफ्त में घर को भरने से नेता की जेबें भरती है प्रतिभा कीचड़ में सड़ती है। लोकतंत्र के सूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। देखो सड़क भरी पड़ी है आजादी के होलों से खेत खलिहान स्वर्ग दहकता सेक्युलरिज्म के शोले से। तेरे ऐनक से पास दिखा ना दूर चलो बस बापू कुछ दूर चलो। तेरे तीनों बंदर मिल के चौथे को दिखलाए नाच झूठे का हो बोलबाला सच्चे को आ जाए आंच। जनता हो गई चनाचूर चलो बस बापू कुछ दूर चलो। ©निर्भय चौहान

#कविता #gandhi_jayanti  White बस बापू कुछ दूर चलो
जनता है मजबूर चलो
देश बंटा फिर लाश हुए
लाना है कोहिनूर चलो।

चलो लंदन का टूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।


टोपी तिलक पे भारी है
ये हिंदु से गद्दारी है
एक राष्ट्र दिया पर कानूनन
कहां एक सी दावेदारी है।

दिल्ली अब भी है दूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।

नोटों पे फोटो छपती है
फोटो की पूजा होती है
हाथो में डंडा लिए हो क्यों
तन पे केवल क्यों धोती है।

हो जाओगे मशहूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।

हरिजन अछूत को करने से
या मुफ्त में घर को भरने से
नेता की जेबें भरती है
प्रतिभा कीचड़ में सड़ती है।

लोकतंत्र के सूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।

देखो सड़क भरी पड़ी है
आजादी के होलों से
खेत खलिहान स्वर्ग दहकता
सेक्युलरिज्म के शोले से।

तेरे ऐनक से पास दिखा ना दूर चलो
बस बापू कुछ दूर चलो।

तेरे तीनों बंदर मिल के 
चौथे को दिखलाए नाच
झूठे का हो बोलबाला 
सच्चे को आ जाए आंच।

जनता हो गई चनाचूर चलो
बस बापू कुछ दूर चलो।

©निर्भय चौहान

#gandhi_jayanti कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी देशभक्ति कविता करम गोरखपुरिया @Madhusudan Shrivastava Shi

12 Love

White एकमात्र इंसान ही है , जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को, यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है। इसलिए ईश्वर भी दंड देता है। असहनीय पीड़ा देता है। विछोह देता है, विरह देता है, देता है कैंसर पर नहीं देता मृत्यु। ये दया है परम शक्ति का नियंत्रण हेतु। या है अपनी सत्ता का में दाता हो जाने का अहम झुको,मानो फिर दान में लो भक्ति जिस से उपजा लेता है मनुष्य भोग। ©निर्भय चौहान

#कविता #Sad_Status  White एकमात्र इंसान ही है ,
जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को,
यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है।
इसलिए ईश्वर भी दंड देता है।
असहनीय पीड़ा देता है।
विछोह देता है,
विरह देता है,
देता है कैंसर पर 
नहीं देता मृत्यु।
ये दया है परम शक्ति का 
नियंत्रण हेतु।
या है अपनी सत्ता का 
में दाता हो जाने का अहम
झुको,मानो
फिर दान में लो भक्ति
जिस से उपजा लेता है 
मनुष्य भोग।

©निर्भय चौहान

#Sad_Status वरुण तिवारी @vandan sharma करम गोरखपुरिया @Anshu writer @Kumar Shaurya हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी कविता देशभक्ति कव

17 Love

ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ये धरती, या ये आकाश सूर्य का अदभुत प्रकाश चंदा गोल,टीमटिमाते तारे बनाये ये सब,किसने सारे ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात लू के दिन,अमावस की रात पाने की खुशी, खोने का डर ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति #कविता  ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

16 Love

#कविता #sad_quotes  White वक्त ले आएगा फिर ये मौसम मगर 
दिल ये तुमको दुबारा कहां पाएगा 
जिंदगी का सफर रास्तों का हुआ 
प्यार देखो हमारा कहां जायेगा 

हर तरफ बेकसी हर तरफ बेबसी 
सांस का बोझ कैसे उठाएंगे हम 
हर डगर तेरे दर को ही जाने लगी
किस गली में ये सर को उठाएंगे हम 

देखो तुम भूल कर भूल कर जाओगी 
उतना तड़पोगी जितना ही तड़पाओगी 
कोई दुल्हन बना कर क्या ही पाएगा 
हर  छुअन में तेरी रूह शर्माएगी  

रात भर चांद खिड़की पे होगा मगर
नूर चेहरे पे तेरे नहीं आएगा
नाम जब अपने बच्चों की लोगी  कभी 
एक गुजरा जमाना उभर आएगा 

हाथ की इन लकीरों का क्या फायदा
जिनमे दुनिया लिखी है मगर तुम नहीं 
मेरे रुतबे , कहानी  का मतलब है क्या
जिससे तुम ना जुड़ी , जिसमे गर तुम नहीं 

बस यही ख्वाब अब देखता हूं सदा
लाल जोड़े में तुम रास्तों में खड़ी 
एक सूखे हुए वट के नीचे कहीं  
लाश उम्मीद की कोहरे में पड़ी 

नींद से जाग कर खत तेरे ढूंढ कर
अपने सीने पे रख कर के सो लेता हूं 
फिर वही ख्वाब मुझको जगा जाता है 
इस दफा तुमको छू कर के रो लेता हूं। 

ख्वाब की सारी बातें अजी छोड़िए
जाइए अपनी खुशियों से दिल जोड़िए 
हम यहां चैन से रोज मरते रहे
आप तो शौक से यार दिल तोड़िए

©निर्भय चौहान

#sad_quotes करम गोरखपुरिया वरुण तिवारी Rakhee ki kalam se Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava हिंदी कविता प्यार पर कविता हिंदी कवित

99 View

#women_equality_day #कविता  White लूट गई गुड़िया की सांसे वासना के खेल में,
आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

न्याय का ये दंभ देखो,हो रहा मलखंभ देखो।
फौज पूरी है लगी पड़ी है आज उसके बेल में।।

आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

धर्म जाति और पार्टी बांट कर बहला रही।
स्वार्थ में पोषित कर रावण इठला रही ।
डर रही है लड़किया स्कूल कॉलेज रेल में।

कृष्ण की दरकार क्या जो दूर से ही चीर दे 
भीम लाओ जो लड़े फिर दुःसाशन चीर दे
लिंग काटो पापियों के तल के रख दो तेल में।

दी कलम अब बेटियों के हाथ में तलवार दो
ये सिखाओ जो भी छेड़े तत्क्षण उसे तुम मार दो
न्याय अंधा ,लोकतंत्र गूंगा , बहरी ये सरकार है
दंभी पुरषार्थ का ये आत्ममुग्ध व्यवहार है।
डर से हो तो डर बनाओ,सर से हो तो सर को काटो।
जुल्म के ऐसे समय में बेटियों का घर न बांटो 
बेटियां अपने यहां तो होती सब समाज की।
मिल के रक्षा करनी हो बेटियों के लाज की।
हो जमीं का कोई टुकड़ा,कोई भाषा भाषी हो।
बस आवाज यही आवाज आए पापियों को फांसी हो।
पापी वो जो सोचते हैं बेटियां है सेल में।

©निर्भय चौहान

#women_equality_day वरुण तिवारी @Vishalkumar "Vishal" @Shiv Narayan Saxena नीर @Madhusudan Shrivastava कविता कोश हिंदी कविता

234 View

एहसान आसान नहीं होता किसी से एहसान लेना जिंद़गी भर के कर्जदार हो जाते हैं ।। लोग एहसान करके समझ लेते हैं।। खरीद लिया हो जैसे हर बात मनवाने का एक तरिका ढुँढ लेते हैं।। हर बात पर बस एहसान जता देते हैं।। अगर बात मान ली तो ठीक है, वरना एक पल में नज़रों से गिरा देते हैं।। एहसान का बोझ जिंद़गी भर लेके चलना आसान नहीं होता है।। क्योंकि आप खुद अपने नहीं रह पाते हैं।। अगर कुछ भी मानने से इन्कार किया तो एहसान फरामोश कहलाते हैं।। आपकी जिंद़गी आपकी नहीं रह जाती एहसान के एवज में वो आपकी जिंद़गी के मालिक बन जाते हैं।। ©vish

 एहसान
आसान नहीं होता किसी से एहसान लेना
जिंद़गी भर के कर्जदार हो जाते हैं ।। 
लोग एहसान करके समझ लेते हैं।। 
खरीद लिया हो जैसे
हर बात मनवाने का एक तरिका ढुँढ लेते हैं।। 
हर बात पर बस एहसान जता देते हैं।। 
अगर बात मान ली तो ठीक है, 
वरना एक पल में नज़रों से गिरा देते हैं।। 
एहसान का बोझ जिंद़गी भर लेके चलना
आसान नहीं होता है।। 
क्योंकि आप खुद अपने नहीं रह पाते हैं।। 
अगर कुछ भी मानने से इन्कार किया
तो एहसान फरामोश कहलाते हैं।। 
आपकी जिंद़गी आपकी नहीं रह जाती
एहसान के एवज में वो
आपकी जिंद़गी के मालिक बन जाते हैं।।

©vish

# एहसान का बोझ

15 Love

White बस बापू कुछ दूर चलो जनता है मजबूर चलो देश बंटा फिर लाश हुए लाना है कोहिनूर चलो। चलो लंदन का टूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। टोपी तिलक पे भारी है ये हिंदु से गद्दारी है एक राष्ट्र दिया पर कानूनन कहां एक सी दावेदारी है। दिल्ली अब भी है दूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। नोटों पे फोटो छपती है फोटो की पूजा होती है हाथो में डंडा लिए हो क्यों तन पे केवल क्यों धोती है। हो जाओगे मशहूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। हरिजन अछूत को करने से या मुफ्त में घर को भरने से नेता की जेबें भरती है प्रतिभा कीचड़ में सड़ती है। लोकतंत्र के सूर चलो। बस बापू कुछ दूर चलो। देखो सड़क भरी पड़ी है आजादी के होलों से खेत खलिहान स्वर्ग दहकता सेक्युलरिज्म के शोले से। तेरे ऐनक से पास दिखा ना दूर चलो बस बापू कुछ दूर चलो। तेरे तीनों बंदर मिल के चौथे को दिखलाए नाच झूठे का हो बोलबाला सच्चे को आ जाए आंच। जनता हो गई चनाचूर चलो बस बापू कुछ दूर चलो। ©निर्भय चौहान

#कविता #gandhi_jayanti  White बस बापू कुछ दूर चलो
जनता है मजबूर चलो
देश बंटा फिर लाश हुए
लाना है कोहिनूर चलो।

चलो लंदन का टूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।


टोपी तिलक पे भारी है
ये हिंदु से गद्दारी है
एक राष्ट्र दिया पर कानूनन
कहां एक सी दावेदारी है।

दिल्ली अब भी है दूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।

नोटों पे फोटो छपती है
फोटो की पूजा होती है
हाथो में डंडा लिए हो क्यों
तन पे केवल क्यों धोती है।

हो जाओगे मशहूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।

हरिजन अछूत को करने से
या मुफ्त में घर को भरने से
नेता की जेबें भरती है
प्रतिभा कीचड़ में सड़ती है।

लोकतंत्र के सूर चलो।
बस बापू कुछ दूर चलो।

देखो सड़क भरी पड़ी है
आजादी के होलों से
खेत खलिहान स्वर्ग दहकता
सेक्युलरिज्म के शोले से।

तेरे ऐनक से पास दिखा ना दूर चलो
बस बापू कुछ दूर चलो।

तेरे तीनों बंदर मिल के 
चौथे को दिखलाए नाच
झूठे का हो बोलबाला 
सच्चे को आ जाए आंच।

जनता हो गई चनाचूर चलो
बस बापू कुछ दूर चलो।

©निर्भय चौहान

#gandhi_jayanti कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी देशभक्ति कविता करम गोरखपुरिया @Madhusudan Shrivastava Shi

12 Love

White एकमात्र इंसान ही है , जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को, यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है। इसलिए ईश्वर भी दंड देता है। असहनीय पीड़ा देता है। विछोह देता है, विरह देता है, देता है कैंसर पर नहीं देता मृत्यु। ये दया है परम शक्ति का नियंत्रण हेतु। या है अपनी सत्ता का में दाता हो जाने का अहम झुको,मानो फिर दान में लो भक्ति जिस से उपजा लेता है मनुष्य भोग। ©निर्भय चौहान

#कविता #Sad_Status  White एकमात्र इंसान ही है ,
जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को,
यहां तक कि ईश्वर को दोष देता है।
इसलिए ईश्वर भी दंड देता है।
असहनीय पीड़ा देता है।
विछोह देता है,
विरह देता है,
देता है कैंसर पर 
नहीं देता मृत्यु।
ये दया है परम शक्ति का 
नियंत्रण हेतु।
या है अपनी सत्ता का 
में दाता हो जाने का अहम
झुको,मानो
फिर दान में लो भक्ति
जिस से उपजा लेता है 
मनुष्य भोग।

©निर्भय चौहान

#Sad_Status वरुण तिवारी @vandan sharma करम गोरखपुरिया @Anshu writer @Kumar Shaurya हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी कविता देशभक्ति कव

17 Love

ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ये धरती, या ये आकाश सूर्य का अदभुत प्रकाश चंदा गोल,टीमटिमाते तारे बनाये ये सब,किसने सारे ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात लू के दिन,अमावस की रात पाने की खुशी, खोने का डर ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति #कविता  ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

16 Love

#कविता #sad_quotes  White वक्त ले आएगा फिर ये मौसम मगर 
दिल ये तुमको दुबारा कहां पाएगा 
जिंदगी का सफर रास्तों का हुआ 
प्यार देखो हमारा कहां जायेगा 

हर तरफ बेकसी हर तरफ बेबसी 
सांस का बोझ कैसे उठाएंगे हम 
हर डगर तेरे दर को ही जाने लगी
किस गली में ये सर को उठाएंगे हम 

देखो तुम भूल कर भूल कर जाओगी 
उतना तड़पोगी जितना ही तड़पाओगी 
कोई दुल्हन बना कर क्या ही पाएगा 
हर  छुअन में तेरी रूह शर्माएगी  

रात भर चांद खिड़की पे होगा मगर
नूर चेहरे पे तेरे नहीं आएगा
नाम जब अपने बच्चों की लोगी  कभी 
एक गुजरा जमाना उभर आएगा 

हाथ की इन लकीरों का क्या फायदा
जिनमे दुनिया लिखी है मगर तुम नहीं 
मेरे रुतबे , कहानी  का मतलब है क्या
जिससे तुम ना जुड़ी , जिसमे गर तुम नहीं 

बस यही ख्वाब अब देखता हूं सदा
लाल जोड़े में तुम रास्तों में खड़ी 
एक सूखे हुए वट के नीचे कहीं  
लाश उम्मीद की कोहरे में पड़ी 

नींद से जाग कर खत तेरे ढूंढ कर
अपने सीने पे रख कर के सो लेता हूं 
फिर वही ख्वाब मुझको जगा जाता है 
इस दफा तुमको छू कर के रो लेता हूं। 

ख्वाब की सारी बातें अजी छोड़िए
जाइए अपनी खुशियों से दिल जोड़िए 
हम यहां चैन से रोज मरते रहे
आप तो शौक से यार दिल तोड़िए

©निर्भय चौहान

#sad_quotes करम गोरखपुरिया वरुण तिवारी Rakhee ki kalam se Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava हिंदी कविता प्यार पर कविता हिंदी कवित

99 View

#women_equality_day #कविता  White लूट गई गुड़िया की सांसे वासना के खेल में,
आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

न्याय का ये दंभ देखो,हो रहा मलखंभ देखो।
फौज पूरी है लगी पड़ी है आज उसके बेल में।।

आज भोगी जी रहा है अब मजे से जेल में।

धर्म जाति और पार्टी बांट कर बहला रही।
स्वार्थ में पोषित कर रावण इठला रही ।
डर रही है लड़किया स्कूल कॉलेज रेल में।

कृष्ण की दरकार क्या जो दूर से ही चीर दे 
भीम लाओ जो लड़े फिर दुःसाशन चीर दे
लिंग काटो पापियों के तल के रख दो तेल में।

दी कलम अब बेटियों के हाथ में तलवार दो
ये सिखाओ जो भी छेड़े तत्क्षण उसे तुम मार दो
न्याय अंधा ,लोकतंत्र गूंगा , बहरी ये सरकार है
दंभी पुरषार्थ का ये आत्ममुग्ध व्यवहार है।
डर से हो तो डर बनाओ,सर से हो तो सर को काटो।
जुल्म के ऐसे समय में बेटियों का घर न बांटो 
बेटियां अपने यहां तो होती सब समाज की।
मिल के रक्षा करनी हो बेटियों के लाज की।
हो जमीं का कोई टुकड़ा,कोई भाषा भाषी हो।
बस आवाज यही आवाज आए पापियों को फांसी हो।
पापी वो जो सोचते हैं बेटियां है सेल में।

©निर्भय चौहान

#women_equality_day वरुण तिवारी @Vishalkumar "Vishal" @Shiv Narayan Saxena नीर @Madhusudan Shrivastava कविता कोश हिंदी कविता

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एहसान आसान नहीं होता किसी से एहसान लेना जिंद़गी भर के कर्जदार हो जाते हैं ।। लोग एहसान करके समझ लेते हैं।। खरीद लिया हो जैसे हर बात मनवाने का एक तरिका ढुँढ लेते हैं।। हर बात पर बस एहसान जता देते हैं।। अगर बात मान ली तो ठीक है, वरना एक पल में नज़रों से गिरा देते हैं।। एहसान का बोझ जिंद़गी भर लेके चलना आसान नहीं होता है।। क्योंकि आप खुद अपने नहीं रह पाते हैं।। अगर कुछ भी मानने से इन्कार किया तो एहसान फरामोश कहलाते हैं।। आपकी जिंद़गी आपकी नहीं रह जाती एहसान के एवज में वो आपकी जिंद़गी के मालिक बन जाते हैं।। ©vish

 एहसान
आसान नहीं होता किसी से एहसान लेना
जिंद़गी भर के कर्जदार हो जाते हैं ।। 
लोग एहसान करके समझ लेते हैं।। 
खरीद लिया हो जैसे
हर बात मनवाने का एक तरिका ढुँढ लेते हैं।। 
हर बात पर बस एहसान जता देते हैं।। 
अगर बात मान ली तो ठीक है, 
वरना एक पल में नज़रों से गिरा देते हैं।। 
एहसान का बोझ जिंद़गी भर लेके चलना
आसान नहीं होता है।। 
क्योंकि आप खुद अपने नहीं रह पाते हैं।। 
अगर कुछ भी मानने से इन्कार किया
तो एहसान फरामोश कहलाते हैं।। 
आपकी जिंद़गी आपकी नहीं रह जाती
एहसान के एवज में वो
आपकी जिंद़गी के मालिक बन जाते हैं।।

©vish

# एहसान का बोझ

15 Love

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