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New बरसती रहे तेरी रहमत सदा Status, Photo, Video

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Unsplash आरज़ू है यही तमन्ना है.. तेरी बाहों में जीना मरना है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#तेरी  Unsplash आरज़ू है यही तमन्ना है..

तेरी बाहों में जीना मरना है..

यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#तेरी बाहों में...

14 Love

#शायरी

तेरी याद

99 View

जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर

#विचार  जियारत करूं के माथा टेकूं,
तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था।
तेरी रहमत की हद क्या बताऊं,
इंशाल्लाह, तूने जो किया, 
मैं उसका हकदार न था।

©नवनीत ठाकुर

जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।

17 Love

White ye रास्ते मकबूल होते गए हम भी अपने आप में खोते गए पहुंचने की कवायद में गुमनाम रास्तों से एक लंबे सफर में दिन बिताते हुए चलते रहे मगर पहुंच न सके उस इंतकाम तक जो किसी से लेना था हमें ©वीrendra yadav

#विचार #सदा  White ye रास्ते मकबूल होते गए
हम भी अपने आप में खोते गए 
पहुंचने की कवायद में 
गुमनाम रास्तों से 
एक लंबे सफर में दिन बिताते हुए 
चलते रहे मगर 
पहुंच न सके उस इंतकाम तक 
जो किसी से लेना था हमें

©वीrendra yadav

# appriciat #सदा

11 Love

White जोबन मद रमणी तजे, रिश्ते नाक चढ़ाय। सब दिन रहें न एक से, प्रौढ़ भये पछताय।। चार दिनों की बात है, क्यों करता अभिमान। सब दिन रहें न एक से, सबका हो अवसान।। सब ही हैं भगवान के, सब में ही भगवान। इसी भॉंति जीवन जिये, हरिजन सोई जान।। जो आया सो जायगा, चार दिनों की शान। किसके रोके रुक सका, विधि का यही विधान।। ©Shiv Narayan Saxena

#Sad_Status  White जोबन मद रमणी तजे, रिश्ते नाक चढ़ाय।
सब दिन रहें न एक से, प्रौढ़ भये पछताय।।

चार दिनों की बात है, क्यों करता अभिमान।
सब दिन रहें न एक से, सबका हो अवसान।।

सब  ही  हैं  भगवान के, सब में ही भगवान।
इसी भॉंति जीवन जिये, हरिजन सोई जान।।

जो  आया  सो  जायगा, चार  दिनों  की  शान।
किसके रोके रुक सका, विधि का यही विधान।।

©Shiv Narayan Saxena

#Sad_Status सदा रहे न एक सि hindi poetry

20 Love

वक्त की आगोश में खोए लम्हों की सदा दिन का उजाला काली रात में जब घुल सा जाता है, काले बालों पर सफेदी का रंग यूं धीरे-धीरे छाता है। दरख़्तों को देखता हूँ, जो कभी थे हरियाली की मिसाल, अब बिन पत्तों के खड़े हैं, वक्त का ये भी एक हाल। ग्रीष्म में जो राहगीरों को ठंडक पहुंचाते थे हर बार, आज वो सूखे ढेरों में बदल गए, जैसे वक्त ने की है मार। तब सोचता हूँ, तेरी खूबसूरती का क्या होगा अंजाम, इस वक्त के साये में, रहेगा क्या तेरा कोई नाम? वक्त की धार हर हुस्न को मिटा के जाती है, नई खुशबू के संग पुरानी यादों को दबा जाती है। वक्त की दराँती से कौन बच सका है यहाँ, किसे है खबर इस सफर की आखिरी मंजिल है कहां? पर एक उम्मीद है, जो तेरी बनाए रखेगी पहचान, जो तेरा नाम यूं ही रोशन करेगी, वो है तेरी संतान। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #वक्त  वक्त की आगोश में खोए लम्हों की सदा

दिन का उजाला काली रात में जब घुल सा जाता है,
काले बालों पर सफेदी का रंग यूं धीरे-धीरे छाता है।

दरख़्तों को देखता हूँ, जो कभी थे हरियाली की मिसाल,
अब बिन पत्तों के खड़े हैं, वक्त का ये भी एक हाल।
ग्रीष्म में जो राहगीरों को ठंडक पहुंचाते थे हर बार,
आज वो सूखे ढेरों में बदल गए, जैसे वक्त ने की है मार।

तब सोचता हूँ, तेरी खूबसूरती का क्या होगा अंजाम,
इस वक्त के साये में, रहेगा क्या तेरा कोई नाम? वक्त की धार हर हुस्न को मिटा के जाती है,
नई खुशबू के संग पुरानी यादों को दबा जाती है।

वक्त की दराँती से कौन बच सका है यहाँ,
किसे है खबर इस सफर की आखिरी मंजिल है कहां?
पर एक उम्मीद है, जो तेरी बनाए रखेगी पहचान,
 जो तेरा नाम यूं ही रोशन करेगी, वो है तेरी संतान।

©नवनीत ठाकुर

#वक्त के आगोश में खोए लम्हों की सदा

17 Love

Unsplash आरज़ू है यही तमन्ना है.. तेरी बाहों में जीना मरना है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#तेरी  Unsplash आरज़ू है यही तमन्ना है..

तेरी बाहों में जीना मरना है..

यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#तेरी बाहों में...

14 Love

#शायरी

तेरी याद

99 View

जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर

#विचार  जियारत करूं के माथा टेकूं,
तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था।
तेरी रहमत की हद क्या बताऊं,
इंशाल्लाह, तूने जो किया, 
मैं उसका हकदार न था।

©नवनीत ठाकुर

जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।

17 Love

White ye रास्ते मकबूल होते गए हम भी अपने आप में खोते गए पहुंचने की कवायद में गुमनाम रास्तों से एक लंबे सफर में दिन बिताते हुए चलते रहे मगर पहुंच न सके उस इंतकाम तक जो किसी से लेना था हमें ©वीrendra yadav

#विचार #सदा  White ye रास्ते मकबूल होते गए
हम भी अपने आप में खोते गए 
पहुंचने की कवायद में 
गुमनाम रास्तों से 
एक लंबे सफर में दिन बिताते हुए 
चलते रहे मगर 
पहुंच न सके उस इंतकाम तक 
जो किसी से लेना था हमें

©वीrendra yadav

# appriciat #सदा

11 Love

White जोबन मद रमणी तजे, रिश्ते नाक चढ़ाय। सब दिन रहें न एक से, प्रौढ़ भये पछताय।। चार दिनों की बात है, क्यों करता अभिमान। सब दिन रहें न एक से, सबका हो अवसान।। सब ही हैं भगवान के, सब में ही भगवान। इसी भॉंति जीवन जिये, हरिजन सोई जान।। जो आया सो जायगा, चार दिनों की शान। किसके रोके रुक सका, विधि का यही विधान।। ©Shiv Narayan Saxena

#Sad_Status  White जोबन मद रमणी तजे, रिश्ते नाक चढ़ाय।
सब दिन रहें न एक से, प्रौढ़ भये पछताय।।

चार दिनों की बात है, क्यों करता अभिमान।
सब दिन रहें न एक से, सबका हो अवसान।।

सब  ही  हैं  भगवान के, सब में ही भगवान।
इसी भॉंति जीवन जिये, हरिजन सोई जान।।

जो  आया  सो  जायगा, चार  दिनों  की  शान।
किसके रोके रुक सका, विधि का यही विधान।।

©Shiv Narayan Saxena

#Sad_Status सदा रहे न एक सि hindi poetry

20 Love

वक्त की आगोश में खोए लम्हों की सदा दिन का उजाला काली रात में जब घुल सा जाता है, काले बालों पर सफेदी का रंग यूं धीरे-धीरे छाता है। दरख़्तों को देखता हूँ, जो कभी थे हरियाली की मिसाल, अब बिन पत्तों के खड़े हैं, वक्त का ये भी एक हाल। ग्रीष्म में जो राहगीरों को ठंडक पहुंचाते थे हर बार, आज वो सूखे ढेरों में बदल गए, जैसे वक्त ने की है मार। तब सोचता हूँ, तेरी खूबसूरती का क्या होगा अंजाम, इस वक्त के साये में, रहेगा क्या तेरा कोई नाम? वक्त की धार हर हुस्न को मिटा के जाती है, नई खुशबू के संग पुरानी यादों को दबा जाती है। वक्त की दराँती से कौन बच सका है यहाँ, किसे है खबर इस सफर की आखिरी मंजिल है कहां? पर एक उम्मीद है, जो तेरी बनाए रखेगी पहचान, जो तेरा नाम यूं ही रोशन करेगी, वो है तेरी संतान। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #वक्त  वक्त की आगोश में खोए लम्हों की सदा

दिन का उजाला काली रात में जब घुल सा जाता है,
काले बालों पर सफेदी का रंग यूं धीरे-धीरे छाता है।

दरख़्तों को देखता हूँ, जो कभी थे हरियाली की मिसाल,
अब बिन पत्तों के खड़े हैं, वक्त का ये भी एक हाल।
ग्रीष्म में जो राहगीरों को ठंडक पहुंचाते थे हर बार,
आज वो सूखे ढेरों में बदल गए, जैसे वक्त ने की है मार।

तब सोचता हूँ, तेरी खूबसूरती का क्या होगा अंजाम,
इस वक्त के साये में, रहेगा क्या तेरा कोई नाम? वक्त की धार हर हुस्न को मिटा के जाती है,
नई खुशबू के संग पुरानी यादों को दबा जाती है।

वक्त की दराँती से कौन बच सका है यहाँ,
किसे है खबर इस सफर की आखिरी मंजिल है कहां?
पर एक उम्मीद है, जो तेरी बनाए रखेगी पहचान,
 जो तेरा नाम यूं ही रोशन करेगी, वो है तेरी संतान।

©नवनीत ठाकुर

#वक्त के आगोश में खोए लम्हों की सदा

17 Love

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