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पल्लव की डायरी असुरक्षा की भावना , सकून दिल का खा रही है अनहोनी ना घट जाये पगो को पीछे हटा रही है बढ़ रही है तन्त्रो की अराजकता जीवन को जंग की तरह खा रही है हजार खतरों को झेलकर मजबूरी हर कदम सता रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #CalmingNature  पल्लव की डायरी
असुरक्षा की भावना ,
सकून दिल का खा रही है
अनहोनी ना घट जाये
 पगो को पीछे हटा रही है
बढ़ रही है तन्त्रो की अराजकता
जीवन को जंग की तरह खा रही है
हजार खतरों को झेलकर
मजबूरी हर कदम सता रही है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#CalmingNature बढ़ रही तन्त्रो की अराजकता

15 Love

#कविता #love_shayari  White एक सवाल 
---------
एक सवाल देश से,
देश से नहीं,देश के नेताओं से,
आमजन को,
क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है?
आखिर क्यों देश तोडना  चाहते  है?।
---
सत्ता किसी की स्थायी नहीं होती,
समय की धार में बहती रहती,
फिर क्यों उसे
 अपनी निजी सम्पत्ति समझते हों?
क्यों सत्ता के लिये धर्म जाति के,
तुष्टिकरण की राजनीति करते हों ?।
----
क्यों देश को अगड़े पिछड़े 
और भी कई टुकड़ों में में बाँट रहें हों?
 क्यों देश के अपराधियों,
 आतंकियों की ढाल बन रहें हों ?।
----
आखिर क्यों नहीं सोचते,
ज़ब देश रहेगा,तभी हम आप रहेंगे,
आज जिन्हें सत्ता के लिये पनाह दें रहें,
वही कल हमें विकट संताप देंगे,
हमारी धर्म संस्कृति को निगल जायेगे,
हमारे निशान भी सिर्फ इतिहास में नजर आयेंगे।
----
जिन जातियों की राजनीति कर रहें,
उन जातियों के निशान भी न रहेंगे,
हमारे धर्म संस्कृति संस्कार सब नष्ट होंगे।
----
अभी वक़्त हैं, संभल जाओ,
 महा विनाश को न बुलाओ
आतंकी दस्तक आज,हर तरफ सुनाई दें रहीं हैं,
चेतावनियो के स्वरों की अग्नि प्रज्जवलित हों रहीं हैं,
अराजकता की आग फैलने के पहले ही बुझाओ,
तुष्टिकरण की राजनीति छोड़ राष्ट्र रक्षा में जुट जाओ।

©IG @kavi_neetesh

#love_shayari एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों दे

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पल्लव की डायरी असुरक्षा की भावना , सकून दिल का खा रही है अनहोनी ना घट जाये पगो को पीछे हटा रही है बढ़ रही है तन्त्रो की अराजकता जीवन को जंग की तरह खा रही है हजार खतरों को झेलकर मजबूरी हर कदम सता रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #CalmingNature  पल्लव की डायरी
असुरक्षा की भावना ,
सकून दिल का खा रही है
अनहोनी ना घट जाये
 पगो को पीछे हटा रही है
बढ़ रही है तन्त्रो की अराजकता
जीवन को जंग की तरह खा रही है
हजार खतरों को झेलकर
मजबूरी हर कदम सता रही है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#CalmingNature बढ़ रही तन्त्रो की अराजकता

15 Love

#कविता #love_shayari  White एक सवाल 
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एक सवाल देश से,
देश से नहीं,देश के नेताओं से,
आमजन को,
क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है?
आखिर क्यों देश तोडना  चाहते  है?।
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सत्ता किसी की स्थायी नहीं होती,
समय की धार में बहती रहती,
फिर क्यों उसे
 अपनी निजी सम्पत्ति समझते हों?
क्यों सत्ता के लिये धर्म जाति के,
तुष्टिकरण की राजनीति करते हों ?।
----
क्यों देश को अगड़े पिछड़े 
और भी कई टुकड़ों में में बाँट रहें हों?
 क्यों देश के अपराधियों,
 आतंकियों की ढाल बन रहें हों ?।
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आखिर क्यों नहीं सोचते,
ज़ब देश रहेगा,तभी हम आप रहेंगे,
आज जिन्हें सत्ता के लिये पनाह दें रहें,
वही कल हमें विकट संताप देंगे,
हमारी धर्म संस्कृति को निगल जायेगे,
हमारे निशान भी सिर्फ इतिहास में नजर आयेंगे।
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जिन जातियों की राजनीति कर रहें,
उन जातियों के निशान भी न रहेंगे,
हमारे धर्म संस्कृति संस्कार सब नष्ट होंगे।
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अभी वक़्त हैं, संभल जाओ,
 महा विनाश को न बुलाओ
आतंकी दस्तक आज,हर तरफ सुनाई दें रहीं हैं,
चेतावनियो के स्वरों की अग्नि प्रज्जवलित हों रहीं हैं,
अराजकता की आग फैलने के पहले ही बुझाओ,
तुष्टिकरण की राजनीति छोड़ राष्ट्र रक्षा में जुट जाओ।

©IG @kavi_neetesh

#love_shayari एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों दे

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