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#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

81 View

#कविता  White लह-लहाती फसल
इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है।

©कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211

लह-लहाती फसल इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है। हिंदी कविता भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @writer Ramu kumar Madhusudan

171 View

#शायरी  White किसान फसल उगता है
चिड़िया चुराती है दाना 
हवा में उड़ने वाले को 
 मुझे आता है 
जमीन पर लाना

©Suresh Saini

#shayari किसान फसल उगाता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना

81 View

White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं ।
दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।।

खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी ।
फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।।

किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो ।
यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।।

कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर ।
बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।।

तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी ।
सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।।

भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो ।
उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।।

वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से ।
सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज

12 Love

White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी? आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था? शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी। लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था। वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं! आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था? भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? किसने आपके कपड़े धोये? डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे। किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था? कौन फसल लाता था? कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना। जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . . *और कहते है कि छुआछूत था।* *यह छुआछूत की बीमारी अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।* *जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।* *अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,* *बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,* *कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!* जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये.. देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं! *सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...* * एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*. ©भारद्वाज

#पुराने #love_shayari  White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,
मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?
आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?
शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।
वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?
किसने आपके कपड़े धोये?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।
किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?
कौन फसल लाता था?
कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना।
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।
. . . *और कहते है कि छुआछूत था।*
*यह छुआछूत की बीमारी  अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।*
*जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई  उल्लेख नहीं करता।*
*अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,*
*बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,*
*कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!*
जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..
देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!
*सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...*
* एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*.

©भारद्वाज

#love_shayari #पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श कर

11 Love

#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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#कविता  White लह-लहाती फसल
इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है।

©कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211

लह-लहाती फसल इस सुंदर आयोजन में आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है। हिंदी कविता भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @writer Ramu kumar Madhusudan

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#शायरी  White किसान फसल उगता है
चिड़िया चुराती है दाना 
हवा में उड़ने वाले को 
 मुझे आता है 
जमीन पर लाना

©Suresh Saini

#shayari किसान फसल उगाता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना

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White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं ।
दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।।

खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी ।
फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।।

किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो ।
यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।।

कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर ।
बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।।

तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी ।
सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।।

भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो ।
उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।।

वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से ।
सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर  उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज

12 Love

White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी? आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था? शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी। लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था। वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं! आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था? भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? किसने आपके कपड़े धोये? डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे। किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था? कौन फसल लाता था? कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना। जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . . *और कहते है कि छुआछूत था।* *यह छुआछूत की बीमारी अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।* *जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।* *अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,* *बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,* *कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!* जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये.. देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं! *सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...* * एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*. ©भारद्वाज

#पुराने #love_shayari  White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,
मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?
आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?
शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।
वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?
किसने आपके कपड़े धोये?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।
किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?
कौन फसल लाता था?
कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना।
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।
. . . *और कहते है कि छुआछूत था।*
*यह छुआछूत की बीमारी  अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।*
*जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई  उल्लेख नहीं करता।*
*अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,*
*बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,*
*कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!*
जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..
देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!
*सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...*
* एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*.

©भारद्वाज

#love_shayari #पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श कर

11 Love

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