जिन्दगी एक गीत है।
पतझड़ के नाम बसंत का मीठा सा पयाम है।
जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है।
गिरना ,उठना ,गिर कर उठना,फिर आगे बढ़ जाना है।
क्या रोना बीती बातों का ,बस सबक साथ ले आना है।
उत्थान-पतन नियम नियति का,हँस कर शिरोधार्य है।
मन को क्यों खट्टा कर लेना ,हर दिवस का इक अवसान है।
कलियों पर गुन्जार अली की, जीवन का मीठा गान है।
निर्झर की कल -कल में गुन्जित ,खुशियों का कलकलनिनाद है।
आसन्न दिखे विपदा कोई, ना मुँह छुपाकर छुपना है।
होनी तो होकर ही रहती,हम को यथोचित करना है।
बनती है भाग्य रेखाएं प्रयत्न से,कर्म प्रधान विश्व रचित है।
फल की आसक्ति दुखदायक ,गीता का यह सार कथन है।
साथ तेरा जब कोई छोड़ दे, राह अकेले चलना है।
तन्हाई में पल -पल घुट कर ,नैराश्य गर्त ना गिरना है।
मधु कलश भरा सुन्दर जीवन, कर बुलन्द हौसला जीना है।
परहित में , परमार्थ में ,प्रभु के चरणों में रहना है।।
©CHOUDHARY HARDIN KUKNA
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