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New मुक़द्दर मूवीस Status, Photo, Video

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इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला। अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया, वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला। मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे, जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला। ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने, आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला।

अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया,
वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला।

मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे,
जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला।

ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने,
आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का

15 Love

इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी।

चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने,
ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी।

कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र,
जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी।

जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें,
छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी।

हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें,
और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व

15 Love

ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं। हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर, पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी,
दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी।

आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं,
दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं।

हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर,
पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल

17 Love

दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।। वक़्त वक्त की बात है, जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा। फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा, हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा। जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी, उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा। हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है, इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा। ©नवनीत ठाकुर

#दरवाज़ों #शायरी  दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा,
आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा।
मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा,
हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।।

वक़्त वक्त की बात है,
जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा।
फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा,
हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा।

जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी,
उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा।
हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है,
इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा।

©नवनीत ठाकुर

#दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकान

17 Love

#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #emotionalstory #top_newser  कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

किसी सहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मिरे
किसी जंगल में भटक जाए गा लश्कर मेरा

बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे
बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा

कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा

आख़िरी ज़ुरअ-ए-पुर-कैफ़ हो शायद बाक़ी
अब जो छलका तो छलक जाए गा साग़र मेरा

अतहर नफ़ीस

#emotionalstory कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #top_newser #shayri  कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

किसी सहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मिरे
किसी जंगल में भटक जाए गा लश्कर मेरा

बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे
बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा

कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा

आख़िरी ज़ुरअ-ए-पुर-कैफ़ हो शायद बाक़ी
अब जो छलका तो छलक जाए गा साग़र मेरा

~ अतहर नफ़ीस

#ateet कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है कभी मुझ म

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इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला। अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया, वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला। मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे, जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला। ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने, आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला।

अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया,
वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला।

मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे,
जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला।

ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने,
आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का

15 Love

इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी।

चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने,
ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी।

कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र,
जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी।

जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें,
छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी।

हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें,
और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व

15 Love

ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं। हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर, पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी,
दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी।

आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं,
दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं।

हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर,
पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल

17 Love

दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।। वक़्त वक्त की बात है, जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा। फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा, हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा। जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी, उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा। हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है, इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा। ©नवनीत ठाकुर

#दरवाज़ों #शायरी  दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा,
आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा।
मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा,
हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।।

वक़्त वक्त की बात है,
जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा।
फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा,
हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा।

जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी,
उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा।
हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है,
इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा।

©नवनीत ठाकुर

#दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकान

17 Love

#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #emotionalstory #top_newser  कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

किसी सहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मिरे
किसी जंगल में भटक जाए गा लश्कर मेरा

बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे
बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा

कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा

आख़िरी ज़ुरअ-ए-पुर-कैफ़ हो शायद बाक़ी
अब जो छलका तो छलक जाए गा साग़र मेरा

अतहर नफ़ीस

#emotionalstory कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #top_newser #shayri  कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता है कभी मुझ में समुंदर मेरा

किसी सहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मिरे
किसी जंगल में भटक जाए गा लश्कर मेरा

बा-वफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे
बे-वफ़ा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा

कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा

आख़िरी ज़ुरअ-ए-पुर-कैफ़ हो शायद बाक़ी
अब जो छलका तो छलक जाए गा साग़र मेरा

~ अतहर नफ़ीस

#ateet कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में डूब जाता है कभी मुझ म

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