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#कॉमेडी

शायरी चुटकुलेहमें पंजाबी नहीं आती है

108 View

White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई। कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई। होगी। इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा इसलिए तुम्हारे नसीब में मोहब्बत न आई होगी। मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी। ©mehar

#मोहब्बत #SAD  White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई।
कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई।
 होगी।
इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा
इसलिए तुम्हारे नसीब में  मोहब्बत न आई होगी।
मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे 
किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी।

©mehar

#मोहब्बत न मिली

12 Love

#Emotional

#Emotional shayari sad सुना है तुम्हें मोहब्बत करनी नहीं आती

90 View

#शायरी #RuturajGaikwad #teamindia #IndVsBan #CSK

IND vs BAN: Ruturaj Gaikwad को नहीं मिली जगह #RuturajGaikwad #IndVsBan #CSK #teamindia

108 View

 White किसी को ज़िन्दगी से मोहब्बत हो, 
ये बात समझ में आती है,
 मुझे तो मोहब्बत तुझसे है, 
ये बात भी अब तक समझ में नहीं आती है।

©बदनाम

समझ में नहीं आती है।

144 View

White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

#कॉमेडी

शायरी चुटकुलेहमें पंजाबी नहीं आती है

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White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई। कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई। होगी। इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा इसलिए तुम्हारे नसीब में मोहब्बत न आई होगी। मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी। ©mehar

#मोहब्बत #SAD  White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई।
कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई।
 होगी।
इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा
इसलिए तुम्हारे नसीब में  मोहब्बत न आई होगी।
मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे 
किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी।

©mehar

#मोहब्बत न मिली

12 Love

#Emotional

#Emotional shayari sad सुना है तुम्हें मोहब्बत करनी नहीं आती

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#शायरी #RuturajGaikwad #teamindia #IndVsBan #CSK

IND vs BAN: Ruturaj Gaikwad को नहीं मिली जगह #RuturajGaikwad #IndVsBan #CSK #teamindia

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 White किसी को ज़िन्दगी से मोहब्बत हो, 
ये बात समझ में आती है,
 मुझे तो मोहब्बत तुझसे है, 
ये बात भी अब तक समझ में नहीं आती है।

©बदनाम

समझ में नहीं आती है।

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White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #मिली  White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

14 Love

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