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White नौकरी बजानी होती है सहाब, झोला उठाकर निकल जाता हूं लौट आता निस्तेज मै क्या करूं, पेट बडा हो गया है मेरा सब डकार जाता है रद्दी हो या बेकार, नौकरी बजानी होती है सहाब पकने लगे है अब बाल मेरे , सब पता है फिर भी चलायमान तन मन, रूकता कहां है थमता कहां है हा ठिकाना भी जानता हूं साठ के बाद का वही पिछले का पुराना पलंग , गंदी तकिया और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना। हास्यपद है फिर भी नौकरी बजानी पडती है सहाब। ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#मोटिवेशनल  White नौकरी बजानी होती है सहाब,
झोला उठाकर निकल जाता हूं 
लौट आता निस्तेज 
मै क्या करूं,
पेट बडा हो गया है मेरा 
सब डकार जाता है 
रद्दी हो या बेकार,
नौकरी बजानी होती है सहाब
पकने लगे है अब बाल मेरे ,
सब पता है फिर भी चलायमान तन मन,
रूकता कहां है थमता कहां है 
हा ठिकाना भी जानता हूं 
साठ के बाद का 
वही पिछले का पुराना पलंग ,
गंदी तकिया  और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना।
हास्यपद है फिर भी 
नौकरी बजानी पडती है सहाब।

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

नौकरी बजानी होती है सहाब

11 Love

#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"होशियार तो लोमड़ी भी होती है परन्तु वह रोमहर्षक और अनुकरणीय नहीं होती है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है, पुरुष नहीं, पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है जब वह अपने साहस के बल पर विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल कर लेता है ईश्वर ने गढ़ते समय पुरुष और स्त्री की लंबाई में थोड़ा सा अंतर कर दिया है पुरुष लंबे हो गए, स्त्री छोटी गयी इस अंतर को करने के दो ही तरीके हो सकते है या तो स्त्री पांव उचका कर बड़ी हो जाय, या पुरुष माथा झुका कर छोटा हो जाय, जब राजा जनक के दरबार में स्वयंवर के समय माता भगवान राम को वरमाला पहनाने आयी, तो प्रभु उनसे ऊँचे निकले, माता को उचकना पड़ता, पर प्रभु ने स्वयं ही सिर झुका लिया, दोनो बराबर हो गए, हम वहीं से तो सीखते है सब कुछ स्त्री पुरुष सम्बन्धों में यदि प्रेम है, समर्पण है, सम्मान है, तो बड़े से बड़े अंतर को भी थोड़ा सा उचक कर या सर झुका कर दूर किया जा सकता है, गाँव के बुजुर्ग कहते है पुरुष की प्रतिष्ठा उसकी स्त्री तय करती है और स्त्री का सौंदर्य उसका पुरुष दोनों के बीच समर्पण हो तभी उनका संसार सुन्दर होता है..! ©Matangi Upadhyay( चिंका )

#matangiupadhyay #vichar #Hindi #gyan  स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है, 
पुरुष नहीं, पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है 
जब वह अपने साहस के बल पर 
विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल कर लेता है
 ईश्वर ने गढ़ते समय 
पुरुष और स्त्री की लंबाई में थोड़ा सा अंतर कर दिया है 
पुरुष लंबे हो गए, स्त्री छोटी गयी 
इस अंतर को करने के दो ही तरीके हो सकते है
 या तो स्त्री पांव उचका कर बड़ी हो जाय, 
या पुरुष माथा झुका कर छोटा हो जाय, 
जब राजा जनक के दरबार में 
स्वयंवर के समय माता भगवान राम को 
वरमाला पहनाने आयी, तो प्रभु उनसे ऊँचे निकले, 
माता को उचकना पड़ता, 
पर प्रभु ने स्वयं ही सिर झुका लिया, 
दोनो बराबर हो गए, हम वहीं से तो सीखते है 
सब कुछ स्त्री पुरुष सम्बन्धों में यदि प्रेम है, 
समर्पण है, सम्मान है, तो बड़े से बड़े अंतर को भी
 थोड़ा सा उचक कर या सर झुका कर दूर किया जा सकता है, 
गाँव के बुजुर्ग कहते है 
पुरुष की प्रतिष्ठा उसकी स्त्री तय करती है 
और स्त्री का सौंदर्य उसका पुरुष 
दोनों के बीच समर्पण हो तभी उनका संसार सुन्दर होता है..!

©Matangi Upadhyay( चिंका )

हर स्त्री सुन्दर ही होती हैं ❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #Hindi #gyan #vichar #Love

20 Love

#कॉमेडी

मेल और फीमेल में क्या समानता होती है

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मेकअप वेकअप सब कहने को है.. सुन्दरता सादगी से शुरू होती है... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL

#Veer_ki_Shayari  मेकअप वेकअप सब कहने को है..
सुन्दरता सादगी से शुरू होती है...
#Veer_Ki_Shayari

©VEER NIRVEL

मेकअप वेकअप सब कहने को है.. सुन्दरता सादगी से शुरू होती है... #Veer_ki_Shayari

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#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"आशा की गर्माहट में सुंदर जीवन की आहट होती है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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White नौकरी बजानी होती है सहाब, झोला उठाकर निकल जाता हूं लौट आता निस्तेज मै क्या करूं, पेट बडा हो गया है मेरा सब डकार जाता है रद्दी हो या बेकार, नौकरी बजानी होती है सहाब पकने लगे है अब बाल मेरे , सब पता है फिर भी चलायमान तन मन, रूकता कहां है थमता कहां है हा ठिकाना भी जानता हूं साठ के बाद का वही पिछले का पुराना पलंग , गंदी तकिया और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना। हास्यपद है फिर भी नौकरी बजानी पडती है सहाब। ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

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सब डकार जाता है 
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वही पिछले का पुराना पलंग ,
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स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है, पुरुष नहीं, पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है जब वह अपने साहस के बल पर विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल कर लेता है ईश्वर ने गढ़ते समय पुरुष और स्त्री की लंबाई में थोड़ा सा अंतर कर दिया है पुरुष लंबे हो गए, स्त्री छोटी गयी इस अंतर को करने के दो ही तरीके हो सकते है या तो स्त्री पांव उचका कर बड़ी हो जाय, या पुरुष माथा झुका कर छोटा हो जाय, जब राजा जनक के दरबार में स्वयंवर के समय माता भगवान राम को वरमाला पहनाने आयी, तो प्रभु उनसे ऊँचे निकले, माता को उचकना पड़ता, पर प्रभु ने स्वयं ही सिर झुका लिया, दोनो बराबर हो गए, हम वहीं से तो सीखते है सब कुछ स्त्री पुरुष सम्बन्धों में यदि प्रेम है, समर्पण है, सम्मान है, तो बड़े से बड़े अंतर को भी थोड़ा सा उचक कर या सर झुका कर दूर किया जा सकता है, गाँव के बुजुर्ग कहते है पुरुष की प्रतिष्ठा उसकी स्त्री तय करती है और स्त्री का सौंदर्य उसका पुरुष दोनों के बीच समर्पण हो तभी उनका संसार सुन्दर होता है..! ©Matangi Upadhyay( चिंका )

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पुरुष नहीं, पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है 
जब वह अपने साहस के बल पर 
विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल कर लेता है
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पुरुष लंबे हो गए, स्त्री छोटी गयी 
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या पुरुष माथा झुका कर छोटा हो जाय, 
जब राजा जनक के दरबार में 
स्वयंवर के समय माता भगवान राम को 
वरमाला पहनाने आयी, तो प्रभु उनसे ऊँचे निकले, 
माता को उचकना पड़ता, 
पर प्रभु ने स्वयं ही सिर झुका लिया, 
दोनो बराबर हो गए, हम वहीं से तो सीखते है 
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समर्पण है, सम्मान है, तो बड़े से बड़े अंतर को भी
 थोड़ा सा उचक कर या सर झुका कर दूर किया जा सकता है, 
गाँव के बुजुर्ग कहते है 
पुरुष की प्रतिष्ठा उसकी स्त्री तय करती है 
और स्त्री का सौंदर्य उसका पुरुष 
दोनों के बीच समर्पण हो तभी उनका संसार सुन्दर होता है..!

©Matangi Upadhyay( चिंका )

हर स्त्री सुन्दर ही होती हैं ❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #Hindi #gyan #vichar #Love

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मेकअप वेकअप सब कहने को है.. सुन्दरता सादगी से शुरू होती है... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL

#Veer_ki_Shayari  मेकअप वेकअप सब कहने को है..
सुन्दरता सादगी से शुरू होती है...
#Veer_Ki_Shayari

©VEER NIRVEL

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