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#yourlifeyourrules #Motivational  White This is your life.
Take control of it.

©Yashmita Arora

#yourlifeyourrules motivational thoughts in english Entrance examination motivational thoughts on life motivational shayari in english motivational thoughts on success

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White मोहब्बत और नौकरी में कोई फर्क नहीं ! इंसान करता रहेगा, रोता रहेगा पर छोड़ेगा नहीं !! ©Stƴɭɩsʜ Tɩŋkʋ

#मोटिवेशनल #subichar #advice  White मोहब्बत और नौकरी में कोई फर्क नहीं ! इंसान करता रहेगा, रोता रहेगा पर छोड़ेगा नहीं !!

©Stƴɭɩsʜ Tɩŋkʋ

मोहब्बत और नौकरी #advice&Motivation #subichar

14 Love

White Opportunities often hide in the shadows of challenges, waiting for the light of your ideas and persistence to reveal them. ©Srinivas

#Quotes  White Opportunities often hide in the shadows of challenges, waiting for the light of your ideas and persistence to reveal them.

©Srinivas

Opportunities often hide in the shadows of challenges, waiting for the light of your ideas and persistence to reveal them.

12 Love

White अगर ज़िंदगी में मुझे तुम्हें कुछ देने का मौका मिला तो मैं तुम्हें अपनी आँखें दूंगा,उन आंखों से देखना कि तुम मेरे लिए क्या थे... ©Varun Vashisth

#शायरी #engineers_day  White अगर ज़िंदगी में मुझे तुम्हें कुछ देने का मौका मिला तो मैं तुम्हें अपनी आँखें दूंगा,उन आंखों से देखना कि तुम मेरे लिए क्या थे...

©Varun Vashisth

White इस भूख ने कुछ न छोड़ा ©Ram Yadav

#विचार #engineers_day  White इस भूख ने
कुछ न छोड़ा

©Ram Yadav

White नौकरी बजानी होती है सहाब, झोला उठाकर निकल जाता हूं लौट आता निस्तेज मै क्या करूं, पेट बडा हो गया है मेरा सब डकार जाता है रद्दी हो या बेकार, नौकरी बजानी होती है सहाब पकने लगे है अब बाल मेरे , सब पता है फिर भी चलायमान तन मन, रूकता कहां है थमता कहां है हा ठिकाना भी जानता हूं साठ के बाद का वही पिछले का पुराना पलंग , गंदी तकिया और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना। हास्यपद है फिर भी नौकरी बजानी पडती है सहाब। ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#मोटिवेशनल  White नौकरी बजानी होती है सहाब,
झोला उठाकर निकल जाता हूं 
लौट आता निस्तेज 
मै क्या करूं,
पेट बडा हो गया है मेरा 
सब डकार जाता है 
रद्दी हो या बेकार,
नौकरी बजानी होती है सहाब
पकने लगे है अब बाल मेरे ,
सब पता है फिर भी चलायमान तन मन,
रूकता कहां है थमता कहां है 
हा ठिकाना भी जानता हूं 
साठ के बाद का 
वही पिछले का पुराना पलंग ,
गंदी तकिया  और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना।
हास्यपद है फिर भी 
नौकरी बजानी पडती है सहाब।

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

नौकरी बजानी होती है सहाब

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