अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज Lives in New Delhi, Delhi, India

मैं राहुल आरेज मीना हिन्दी कविता और मुक्तक लेखक मेरी कविता पढ़ने और सुनने के लिए मेरे यूट्यूब चैनल अभिव्यक्ति और अहसास को ससक्राइव जरूर करे

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White नौकरी बजानी होती है सहाब, झोला उठाकर निकल जाता हूं लौट आता निस्तेज मै क्या करूं, पेट बडा हो गया है मेरा सब डकार जाता है रद्दी हो या बेकार, नौकरी बजानी होती है सहाब पकने लगे है अब बाल मेरे , सब पता है फिर भी चलायमान तन मन, रूकता कहां है थमता कहां है हा ठिकाना भी जानता हूं साठ के बाद का वही पिछले का पुराना पलंग , गंदी तकिया और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना। हास्यपद है फिर भी नौकरी बजानी पडती है सहाब। ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#मोटिवेशनल  White नौकरी बजानी होती है सहाब,
झोला उठाकर निकल जाता हूं 
लौट आता निस्तेज 
मै क्या करूं,
पेट बडा हो गया है मेरा 
सब डकार जाता है 
रद्दी हो या बेकार,
नौकरी बजानी होती है सहाब
पकने लगे है अब बाल मेरे ,
सब पता है फिर भी चलायमान तन मन,
रूकता कहां है थमता कहां है 
हा ठिकाना भी जानता हूं 
साठ के बाद का 
वही पिछले का पुराना पलंग ,
गंदी तकिया  और वो अंतिम पथ का प्रथम कोना।
हास्यपद है फिर भी 
नौकरी बजानी पडती है सहाब।

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

नौकरी बजानी होती है सहाब

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#विचार #GoldenHour  अभाव 
मन की उपज है 
बिना अभाव 
के 
नव सृजन संभव नहीं।

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#GoldenHour

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#26janrepublicday #शायरी
#loversday #लव  प्रेम दवा है 

अगर इसको मर्ज ना बनाओ तो

प्रेम सरगम है 

संगीत की अगर गाने के लिए तान सुनाओ तो 

प्रेम तो ब्रह्म है 

अगर इसमे समर्पित हो जाओ तो

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#loversday

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कुछ नाद कुछ चुप्पी वाचालता पर हावी खामोशियां अंत मे प्रारंभ ढुढने की कला मरण या जिजीविषा ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#शायरी #happyteddyday  कुछ नाद 
कुछ चुप्पी
वाचालता पर हावी
खामोशियां
अंत मे प्रारंभ
ढुढने की कला 
मरण या जिजीविषा

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

क्या कभी देखा है तुमने दुसरे के व्यक्तित्व को खुद के नज़रिए से , गढली तुमने उसकी एक अपने अंतस में छवि जिससे कभी निकल नहीं पाये जब भी मिलता है वो तुमसे हंसता बोलता कुछ अपना कुछ तुम्हारा बांटना चाहता है तभी एकाएक निकल आता तुम्हारे अंदर से खुद का गडा पर दुसरे का व्यक्तित्व तुमको रोक देता है उसके साथ कुछ बांटने को फिर तुम व्यथित होकर कह उठते हो काश जो आज सब है वो नहीं होता पर ये अकेलापन भी नहीं होता। ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

#कविता  क्या कभी देखा है
तुमने दुसरे के व्यक्तित्व
को खुद के नज़रिए से ,
गढली तुमने उसकी एक 
अपने अंतस में  छवि 
जिससे कभी निकल नहीं पाये 
जब भी मिलता है वो तुमसे 
हंसता बोलता  कुछ अपना कुछ तुम्हारा 
बांटना चाहता है 
तभी एकाएक निकल आता तुम्हारे अंदर से 
खुद का गडा पर दुसरे का व्यक्तित्व 
तुमको रोक देता है उसके साथ 
कुछ बांटने को 
फिर तुम व्यथित होकर 
कह उठते हो 
काश जो आज सब है 
वो नहीं होता 
पर ये अकेलापन भी नहीं होता।

©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

व्यक्तित्व और हम

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