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🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन

#कोट्स #मन  🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन

#मन। मेरा

15 Love

White 🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन

#कोट्स #मेरा  White 🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन

#मेरा मन

13 Love

🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन

#कोट्स #मेरा  🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन

#मेरा मन

16 Love

White 🔶🔷मेरा मन🔶🔷 उछल कूंद में बंदर जैसा उड़ने में तितली सा मन भूमंडल पर विचरे मन चंचल चंचल मेरा मन मन का बचपन सदा सलामत योवन भी है हरा भरा तन की झुर्री तन में रहती मन का उपवन सदा हरा ©वैभव जैन

#मेरा #Quotes  White 🔶🔷मेरा मन🔶🔷
उछल कूंद में बंदर जैसा
उड़ने में तितली सा मन 
भूमंडल पर विचरे मन 
चंचल चंचल मेरा मन 
मन का बचपन सदा सलामत 
योवन भी है हरा भरा 
तन की झुर्री तन में रहती 
मन का उपवन सदा हरा

©वैभव जैन

#मेरा मन

10 Love

White 🔷मेरा मन 🔷 चंचल चंचल चंचल मन मेरा यह बंजारा मन नगर डगर यह घूम रहा है मेरा यह बंजारा मन पल मैं यहां और पल में वहां घूम रहा है सारा जहां राग द्वेष के चित्र बनाएं मकड़ी जैसा जाल बुने आप ही उलझे आप ही सुलझे अजब निराला मेरा मन ©वैभव जैन

#Quotes  White 🔷मेरा मन 🔷
चंचल चंचल चंचल मन 
मेरा यह बंजारा मन 
नगर डगर यह घूम रहा है 
मेरा यह बंजारा मन 
पल मैं यहां और पल में वहां 
घूम रहा है सारा जहां 
राग द्वेष के चित्र बनाएं 
मकड़ी जैसा जाल बुने 
आप ही उलझे आप ही सुलझे 
अजब निराला मेरा मन

©वैभव जैन

# मेरा मन

10 Love

White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है तो कभी मायूसी को गले लगाता है कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है कभी स्वार्थ में खुद के लिए प्रेम ढूंढता है तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी ओरो के लिए उड़ेल देता है कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र कर लेता है तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है। ©seema patidar

 White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है
कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है 
तो कभी मायूसी को गले लगाता है
कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है
तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है
कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है 
तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है
कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है
तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है
कभी स्वार्थ में खुद के लिए  प्रेम ढूंढता है
तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी 
ओरो के लिए उड़ेल देता है
कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र  कर लेता है 
तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है
मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है
क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है।

©seema patidar

मेरा मन

13 Love

🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन

#कोट्स #मन  🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन

#मन। मेरा

15 Love

White 🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन

#कोट्स #मेरा  White 🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन

#मेरा मन

13 Love

🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन

#कोट्स #मेरा  🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन

#मेरा मन

16 Love

White 🔶🔷मेरा मन🔶🔷 उछल कूंद में बंदर जैसा उड़ने में तितली सा मन भूमंडल पर विचरे मन चंचल चंचल मेरा मन मन का बचपन सदा सलामत योवन भी है हरा भरा तन की झुर्री तन में रहती मन का उपवन सदा हरा ©वैभव जैन

#मेरा #Quotes  White 🔶🔷मेरा मन🔶🔷
उछल कूंद में बंदर जैसा
उड़ने में तितली सा मन 
भूमंडल पर विचरे मन 
चंचल चंचल मेरा मन 
मन का बचपन सदा सलामत 
योवन भी है हरा भरा 
तन की झुर्री तन में रहती 
मन का उपवन सदा हरा

©वैभव जैन

#मेरा मन

10 Love

White 🔷मेरा मन 🔷 चंचल चंचल चंचल मन मेरा यह बंजारा मन नगर डगर यह घूम रहा है मेरा यह बंजारा मन पल मैं यहां और पल में वहां घूम रहा है सारा जहां राग द्वेष के चित्र बनाएं मकड़ी जैसा जाल बुने आप ही उलझे आप ही सुलझे अजब निराला मेरा मन ©वैभव जैन

#Quotes  White 🔷मेरा मन 🔷
चंचल चंचल चंचल मन 
मेरा यह बंजारा मन 
नगर डगर यह घूम रहा है 
मेरा यह बंजारा मन 
पल मैं यहां और पल में वहां 
घूम रहा है सारा जहां 
राग द्वेष के चित्र बनाएं 
मकड़ी जैसा जाल बुने 
आप ही उलझे आप ही सुलझे 
अजब निराला मेरा मन

©वैभव जैन

# मेरा मन

10 Love

White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है तो कभी मायूसी को गले लगाता है कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है कभी स्वार्थ में खुद के लिए प्रेम ढूंढता है तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी ओरो के लिए उड़ेल देता है कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र कर लेता है तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है। ©seema patidar

 White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है
कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है 
तो कभी मायूसी को गले लगाता है
कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है
तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है
कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है 
तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है
कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है
तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है
कभी स्वार्थ में खुद के लिए  प्रेम ढूंढता है
तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी 
ओरो के लिए उड़ेल देता है
कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र  कर लेता है 
तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है
मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है
क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है।

©seema patidar

मेरा मन

13 Love

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