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#शायरी

बुआ के लिए शायरी 2025 नया साल बुआ के लिए शायरी

72 View

Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे। ©Abhi

#शायरी #lovelife  Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे 
तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे।

©Abhi

#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

6 Love

कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर, सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!! ©BROKENBOY

#Exploration #Dosti  कुछ शो पीस,
कुछ निराशा के मोती,
कुछ आस्तीन के सांप,
कुछ मतलबी पीठ,
कुछ झूठे कंधे,
कुछ खीर में खटाई,
और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर,
सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!!

©BROKENBOY

#Exploration कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं

14 Love

#Videos

इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

108 View

आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन #कविता  आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

11 Love

#शायरी

बुआ के लिए शायरी 2025 नया साल बुआ के लिए शायरी

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Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे। ©Abhi

#शायरी #lovelife  Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे 
तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे।

©Abhi

#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

6 Love

कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर, सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!! ©BROKENBOY

#Exploration #Dosti  कुछ शो पीस,
कुछ निराशा के मोती,
कुछ आस्तीन के सांप,
कुछ मतलबी पीठ,
कुछ झूठे कंधे,
कुछ खीर में खटाई,
और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर,
सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!!

©BROKENBOY

#Exploration कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं

14 Love

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इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

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आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन #कविता  आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

11 Love

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