Unsplash परिवार वो तो नहीं जो डराता हो,
परिवार तो वो है जो सबसे बचाता है, छांव देता है सर पर,
और पैरों के नीचे जमीन...
ये कैसा परिवार जो जमाने से डराता है..
ये कैसे आजकल के मां-बाप हैं, जो हमें बचाने के नाम पर ट्रॉमा देते हैं ,
हमें अपनी तकलीफों से अवगत करा देते हैं,
मां-बाप तो सारी तकलीफों से बचा जाते हैं
ये कैसे हम हैं जो डर डर के जीते हैं ,
ये कैसा प्यार है जो आजादी छीन लेता है और खुद उड़ जाता है,
रिश्ते में सब कुछ रह जाता है, बस प्यार खत्म हो जाता है,
क्योंकि प्यार तो आजाद परिंदे का नाम है और
हम पिंजरे में कैद घुट घुट के मरते हैं, ना जीते हैं,
ना मरते हैं बस जिंदा रह जाते हैं..
जाने ये कैसी जिंदगी है जिसमें हर रोज यह सोचना पड़ता है कि
रिश्ते आज बचेंगे या नहीं...
ये कैसे रिश्ते हैं जो रहने के लिए सब कुछ ले लेते हैं ,
बस हमें जिंदा छोड़ देते हैं....
©Sushma
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