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New prem nogor 44 Status, Photo, Video

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Unsplash ये तुम क्या करती हो ? क्यों करती हो ? सबका ही दिल जितना होता है तुम्हें और तुम्हारे दिल का क्या ? जो तुम्हारी जज़्बाती होकर  लिए गए फ़ैसलो से है हर बार दुखता ये कौन सी दुनिया है तुम्हारी  जो तुमने मन ही मन मे बना लिया ये किसके पीछे भाग रही हो तुम ? और रेस में खुद को ही कहा हो छोड़ आई ? पत्थर की बनती तो जा रही हो पहाड़ों से लड़ते-लड़ते और यह हाथ दिखाना अपना जरा यह कौन सा पत्थर छुपा रखा है तुमने अपने हाथों में जिससे समय-समय पर तुम खुद को ही कुचलती रहती हो ठहरो , मेजेज़ एक सवाल का जवाब दो तुम्हें खुद पर क्या दया नहीं आती कब सीखोगी, खुद से बेहद प्यार करना कब सीखोगी लड़कर जितना अपने आप से कब सीखोगी अपनी कीमती आंसुओं को व्यर्थ ना बहाना सारे  फैसला दिल से लेती हो दिमाग क्या भेज खाई है सारी दुनिया के लिए जीती रहो तुम बस तुम्हारी अपनी आत्मा ही तुम्हारे लिए पराई है अरे कुल्हाड़ी पर जाकर पर मार आती हो कहावत भी कुछ और है पैर पर कुल्हाड़ी मारना बुद्धि कहीं रखकर भूल आई हो क्या थोड़ा तो डरो उस परमात्मा से जिन्होंने तुम्हें इतना सजाया हैं संवारा है तुम्हारे भाग्य को लिखा है तुम्हारे कर्मों को लिखा है ऊपर वाले लेखक ने थोड़ा स्वाभिमानी बनो खैर , समझ से तुम्हें आना नहीं है अगर समझ आता तो यह लिखने के बाद शायद तुम्हारा मन शांत होता मगर तुम अशांत लड़की वक्त रहते कहां कुछ सीखने वाली हो! ©katha(कथा )

#library #SAD  Unsplash ये तुम क्या करती हो ? क्यों करती हो ?
सबका ही दिल जितना होता है तुम्हें और तुम्हारे दिल का क्या ?
जो तुम्हारी जज़्बाती होकर  लिए गए फ़ैसलो से है 
हर बार दुखता 

ये कौन सी दुनिया है तुम्हारी  जो तुमने मन ही मन मे बना लिया 

ये किसके पीछे भाग रही हो तुम ? और रेस में खुद को ही कहा हो छोड़ आई ? 

पत्थर की बनती तो जा रही हो 
पहाड़ों से लड़ते-लड़ते 

और यह हाथ दिखाना अपना जरा 
यह कौन सा पत्थर छुपा रखा है तुमने अपने हाथों में जिससे समय-समय पर तुम 
खुद को ही कुचलती रहती हो 

ठहरो ,
मेजेज़ एक सवाल का जवाब दो
तुम्हें खुद पर क्या दया नहीं आती कब सीखोगी, 
खुद से बेहद प्यार करना 

कब सीखोगी लड़कर जितना अपने आप से
कब सीखोगी अपनी कीमती आंसुओं को व्यर्थ ना बहाना
सारे  फैसला दिल से लेती हो दिमाग क्या भेज खाई है
सारी दुनिया के लिए जीती रहो तुम 
बस तुम्हारी अपनी आत्मा ही तुम्हारे लिए पराई है
अरे कुल्हाड़ी पर जाकर पर मार आती हो कहावत भी कुछ और है पैर पर कुल्हाड़ी मारना
बुद्धि कहीं रखकर भूल आई हो क्या
थोड़ा तो डरो उस परमात्मा से जिन्होंने तुम्हें इतना सजाया हैं संवारा है 
तुम्हारे भाग्य को लिखा है तुम्हारे कर्मों को लिखा है ऊपर वाले लेखक ने 
थोड़ा स्वाभिमानी बनो
खैर , समझ से तुम्हें आना नहीं है अगर समझ आता तो यह लिखने के बाद शायद तुम्हारा मन शांत होता मगर तुम अशांत लड़की
वक्त रहते कहां कुछ सीखने वाली हो!

©katha(कथा )

#library 10 Dec Time-17:44

15 Love

#Videos

Xxl 44=size cotton suit one side pocket

225 View

White प्रेम मे इतना धर्य रखना की कभी बद्दुआ ना देना एक दिव्यता हमारे अंदर भी घूमता रहता है उसे बस प्रेम पता है वो साँसों का छोड़ पकड़ कर सब भाप लेता है पर क्रूरता जो कुहक तक को भेद के निकाल दे वो निरर्थक नही जाता सोचना! दुआ और बद्दुआ इंसानों के द्वारा रचा गया ढकोसलापन है प्रेम ! तुम्हारे आरंभ से तुम्हारे अंत तक की यात्रा.... ©चाँदनी

#Prem  White प्रेम मे इतना धर्य रखना की
कभी बद्दुआ ना देना


एक दिव्यता
हमारे अंदर भी घूमता रहता है


उसे बस प्रेम पता है

वो साँसों का छोड़ पकड़ कर
सब भाप लेता है

पर क्रूरता जो कुहक तक को
भेद के निकाल दे 

वो निरर्थक नही जाता

सोचना! दुआ और  बद्दुआ 
इंसानों के द्वारा रचा गया
ढकोसलापन है 


प्रेम ! तुम्हारे आरंभ से तुम्हारे अंत तक की यात्रा....

©चाँदनी

#Prem

22 Love

Unsplash ये तुम क्या करती हो ? क्यों करती हो ? सबका ही दिल जितना होता है तुम्हें और तुम्हारे दिल का क्या ? जो तुम्हारी जज़्बाती होकर  लिए गए फ़ैसलो से है हर बार दुखता ये कौन सी दुनिया है तुम्हारी  जो तुमने मन ही मन मे बना लिया ये किसके पीछे भाग रही हो तुम ? और रेस में खुद को ही कहा हो छोड़ आई ? पत्थर की बनती तो जा रही हो पहाड़ों से लड़ते-लड़ते और यह हाथ दिखाना अपना जरा यह कौन सा पत्थर छुपा रखा है तुमने अपने हाथों में जिससे समय-समय पर तुम खुद को ही कुचलती रहती हो ठहरो , मेजेज़ एक सवाल का जवाब दो तुम्हें खुद पर क्या दया नहीं आती कब सीखोगी, खुद से बेहद प्यार करना कब सीखोगी लड़कर जितना अपने आप से कब सीखोगी अपनी कीमती आंसुओं को व्यर्थ ना बहाना सारे  फैसला दिल से लेती हो दिमाग क्या भेज खाई है सारी दुनिया के लिए जीती रहो तुम बस तुम्हारी अपनी आत्मा ही तुम्हारे लिए पराई है अरे कुल्हाड़ी पर जाकर पर मार आती हो कहावत भी कुछ और है पैर पर कुल्हाड़ी मारना बुद्धि कहीं रखकर भूल आई हो क्या थोड़ा तो डरो उस परमात्मा से जिन्होंने तुम्हें इतना सजाया हैं संवारा है तुम्हारे भाग्य को लिखा है तुम्हारे कर्मों को लिखा है ऊपर वाले लेखक ने थोड़ा स्वाभिमानी बनो खैर , समझ से तुम्हें आना नहीं है अगर समझ आता तो यह लिखने के बाद शायद तुम्हारा मन शांत होता मगर तुम अशांत लड़की वक्त रहते कहां कुछ सीखने वाली हो! ©katha(कथा )

#library #SAD  Unsplash ये तुम क्या करती हो ? क्यों करती हो ?
सबका ही दिल जितना होता है तुम्हें और तुम्हारे दिल का क्या ?
जो तुम्हारी जज़्बाती होकर  लिए गए फ़ैसलो से है 
हर बार दुखता 

ये कौन सी दुनिया है तुम्हारी  जो तुमने मन ही मन मे बना लिया 

ये किसके पीछे भाग रही हो तुम ? और रेस में खुद को ही कहा हो छोड़ आई ? 

पत्थर की बनती तो जा रही हो 
पहाड़ों से लड़ते-लड़ते 

और यह हाथ दिखाना अपना जरा 
यह कौन सा पत्थर छुपा रखा है तुमने अपने हाथों में जिससे समय-समय पर तुम 
खुद को ही कुचलती रहती हो 

ठहरो ,
मेजेज़ एक सवाल का जवाब दो
तुम्हें खुद पर क्या दया नहीं आती कब सीखोगी, 
खुद से बेहद प्यार करना 

कब सीखोगी लड़कर जितना अपने आप से
कब सीखोगी अपनी कीमती आंसुओं को व्यर्थ ना बहाना
सारे  फैसला दिल से लेती हो दिमाग क्या भेज खाई है
सारी दुनिया के लिए जीती रहो तुम 
बस तुम्हारी अपनी आत्मा ही तुम्हारे लिए पराई है
अरे कुल्हाड़ी पर जाकर पर मार आती हो कहावत भी कुछ और है पैर पर कुल्हाड़ी मारना
बुद्धि कहीं रखकर भूल आई हो क्या
थोड़ा तो डरो उस परमात्मा से जिन्होंने तुम्हें इतना सजाया हैं संवारा है 
तुम्हारे भाग्य को लिखा है तुम्हारे कर्मों को लिखा है ऊपर वाले लेखक ने 
थोड़ा स्वाभिमानी बनो
खैर , समझ से तुम्हें आना नहीं है अगर समझ आता तो यह लिखने के बाद शायद तुम्हारा मन शांत होता मगर तुम अशांत लड़की
वक्त रहते कहां कुछ सीखने वाली हो!

©katha(कथा )

#library 10 Dec Time-17:44

15 Love

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White प्रेम मे इतना धर्य रखना की कभी बद्दुआ ना देना एक दिव्यता हमारे अंदर भी घूमता रहता है उसे बस प्रेम पता है वो साँसों का छोड़ पकड़ कर सब भाप लेता है पर क्रूरता जो कुहक तक को भेद के निकाल दे वो निरर्थक नही जाता सोचना! दुआ और बद्दुआ इंसानों के द्वारा रचा गया ढकोसलापन है प्रेम ! तुम्हारे आरंभ से तुम्हारे अंत तक की यात्रा.... ©चाँदनी

#Prem  White प्रेम मे इतना धर्य रखना की
कभी बद्दुआ ना देना


एक दिव्यता
हमारे अंदर भी घूमता रहता है


उसे बस प्रेम पता है

वो साँसों का छोड़ पकड़ कर
सब भाप लेता है

पर क्रूरता जो कुहक तक को
भेद के निकाल दे 

वो निरर्थक नही जाता

सोचना! दुआ और  बद्दुआ 
इंसानों के द्वारा रचा गया
ढकोसलापन है 


प्रेम ! तुम्हारे आरंभ से तुम्हारे अंत तक की यात्रा....

©चाँदनी

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