White एक बच्ची की उस नादानियों को समझ कर देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या
अपनी ये आधी जिंदगी को मां-बाप के यहां गुजार देती है
अपनी ये आधी जिंदगी को वो ससुराल में गुजार देती है
ये सभी उन सहेलियों को भी भूल जाती है
वो अपने ही उस सपनों को भी भूल जाती है
उसके इस त्याग को तुम कभी भी समझ कर देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या
कभी दादी, कभी नानी, कभी मौसी ,कभी भाभी ,
कभी मम्मी, कभी चाची ,कभी दोस्त, तो कभी पत्नी
मै कितने रिश्ते बताऊं मे हर जगह सर्वोपरि ही आती है
ये हर जगह अपने हुनर का प्रदर्शन ही कर जाती है
तुम कभी ऐसा हुनर कहीं और भी देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बन कर देखा है .....🖊️
©बेजुबान शायर shivkumar
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