White मातामही मातामहः ग्राम:
अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म
पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः,
मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः
इति ज्ञातम्।
पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः
अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म,
हिन्दी अनुवाद
नाना नानी के गांव
वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था
जो गांव में बिता करता था
पगडंडी पर खेत खलिहानों का
जायजा लिया जाता था,
सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा
करता था जब नाना नानी के गांव
बचपन में जाना हुआ करता था,
©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित
शीर्षक
नाना नानी के गांव
मातामही मातामहः
विधा विचार
भाव वास्तविक
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