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New चिन्तामणि किसकी रचना है Status, Photo, Video

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सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह। मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥ बर्फ से कुछ बात करती चल रही थी ये हवाएं, फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई। पांव को कितना सिकोड़ूं पांव बाहर ही रहा, अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥ खाँसियां रुकती नहीं सब अंग ढीले हो गए। कपकपाती ठंड में फैशन हमारा था चरम पर कान के दरवाजों से ये वायु घुसती ही गई। सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में मेरे तन की हड्डियां हर पल अकड़ती ही गई॥ पूस की इस रात सब मंजर रंगीले हो गए। कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ, ठंड से छुपते छुपाते गीत सुनते जा रहे थे। पेट में मेरे अचानक दर्द ने आहट दिया, साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥ अंततः चुपके से' अंतर्वस्त्र पीले हो गए॥ ©वरुण तिवारी

#snow  सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह।
मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥

बर्फ से कुछ बात  करती  चल रही थी ये  हवाएं,
फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई।
पांव  को   कितना   सिकोड़ूं  पांव  बाहर ही रहा,
अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥

खाँसियां  रुकती  नहीं  सब  अंग  ढीले  हो  गए।

कपकपाती  ठंड  में  फैशन  हमारा था चरम पर
कान  के  दरवाजों  से  ये  वायु  घुसती  ही  गई।
सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में
मेरे  तन  की  हड्डियां  हर  पल अकड़ती ही गई॥

पूस  की   इस   रात  सब  मंजर  रंगीले  हो  गए।

कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ,
ठंड  से  छुपते  छुपाते  गीत  सुनते  जा  रहे  थे।
पेट  में   मेरे    अचानक   दर्द  ने  आहट  दिया,
साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥

अंततः  चुपके  से'  अंतर्वस्त्र   पीले   हो  गए॥

©वरुण तिवारी

#snow हास्य रचना

10 Love

मै ऐसा भी नहीं था ये बात बिल्कुल सही था क्या पता वों जादूगरनी थी या उसे आता जादू था इलज़ाम उसे दूँ मेरा इरादा ऐसा नहीं था खुद को जनता मै था खता हमसे हुईं होगी मगर कब हुईं पता नहीं था ©ranjit Kumar rathour

#कविता  मै ऐसा भी नहीं था 
ये बात बिल्कुल सही था
क्या पता वों जादूगरनी थी 
या उसे आता जादू था 
इलज़ाम उसे दूँ 
मेरा इरादा ऐसा नहीं था 
खुद को जनता मै था 
खता हमसे हुईं होगी मगर 
कब हुईं पता नहीं था

©ranjit Kumar rathour

खता किसकी

21 Love

#कविता  तेज केशरी पत्रिका
मे प्रकाशित 
रचना 😊😊
https://nojoto.page.link/q5tV4❤️

©Priyanka pilibanga

प्रकाशित रचना 🤗❤️

99 View

#शायरी

स्व डॉ कैलाश गुरु स्वामी जी की रचना जो मेरे दिल को बहुत भाती है

153 View

#मराठीशब्दसखी #मराठीकविता

#मराठीशब्दसखी पुरुष दिनानिमित्त एक रचना

126 View

मौसम निकाह का आया है न जाने किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए। ©s गोल्डी

 मौसम   निकाह   का   आया   है   
न   जाने
किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए।

©s गोल्डी

मौसम निकाह का आया है न जाने, किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए।

18 Love

सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह। मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥ बर्फ से कुछ बात करती चल रही थी ये हवाएं, फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई। पांव को कितना सिकोड़ूं पांव बाहर ही रहा, अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥ खाँसियां रुकती नहीं सब अंग ढीले हो गए। कपकपाती ठंड में फैशन हमारा था चरम पर कान के दरवाजों से ये वायु घुसती ही गई। सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में मेरे तन की हड्डियां हर पल अकड़ती ही गई॥ पूस की इस रात सब मंजर रंगीले हो गए। कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ, ठंड से छुपते छुपाते गीत सुनते जा रहे थे। पेट में मेरे अचानक दर्द ने आहट दिया, साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥ अंततः चुपके से' अंतर्वस्त्र पीले हो गए॥ ©वरुण तिवारी

#snow  सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह।
मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥

बर्फ से कुछ बात  करती  चल रही थी ये  हवाएं,
फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई।
पांव  को   कितना   सिकोड़ूं  पांव  बाहर ही रहा,
अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥

खाँसियां  रुकती  नहीं  सब  अंग  ढीले  हो  गए।

कपकपाती  ठंड  में  फैशन  हमारा था चरम पर
कान  के  दरवाजों  से  ये  वायु  घुसती  ही  गई।
सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में
मेरे  तन  की  हड्डियां  हर  पल अकड़ती ही गई॥

पूस  की   इस   रात  सब  मंजर  रंगीले  हो  गए।

कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ,
ठंड  से  छुपते  छुपाते  गीत  सुनते  जा  रहे  थे।
पेट  में   मेरे    अचानक   दर्द  ने  आहट  दिया,
साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥

अंततः  चुपके  से'  अंतर्वस्त्र   पीले   हो  गए॥

©वरुण तिवारी

#snow हास्य रचना

10 Love

मै ऐसा भी नहीं था ये बात बिल्कुल सही था क्या पता वों जादूगरनी थी या उसे आता जादू था इलज़ाम उसे दूँ मेरा इरादा ऐसा नहीं था खुद को जनता मै था खता हमसे हुईं होगी मगर कब हुईं पता नहीं था ©ranjit Kumar rathour

#कविता  मै ऐसा भी नहीं था 
ये बात बिल्कुल सही था
क्या पता वों जादूगरनी थी 
या उसे आता जादू था 
इलज़ाम उसे दूँ 
मेरा इरादा ऐसा नहीं था 
खुद को जनता मै था 
खता हमसे हुईं होगी मगर 
कब हुईं पता नहीं था

©ranjit Kumar rathour

खता किसकी

21 Love

#कविता  तेज केशरी पत्रिका
मे प्रकाशित 
रचना 😊😊
https://nojoto.page.link/q5tV4❤️

©Priyanka pilibanga

प्रकाशित रचना 🤗❤️

99 View

#शायरी

स्व डॉ कैलाश गुरु स्वामी जी की रचना जो मेरे दिल को बहुत भाती है

153 View

#मराठीशब्दसखी #मराठीकविता

#मराठीशब्दसखी पुरुष दिनानिमित्त एक रचना

126 View

मौसम निकाह का आया है न जाने किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए। ©s गोल्डी

 मौसम   निकाह   का   आया   है   
न   जाने
किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए।

©s गोल्डी

मौसम निकाह का आया है न जाने, किसकी बरसों की मोहब्बत किसको हासिल हो जाए।

18 Love

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