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White कयो करी सै तु खामा खाई लडाई नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई तु के सोच मै तेरी सारी टेल पुगाऊ सुनले नै छोरी मै तो नुये धुमा ठाऊ फेर होजै सै छोरी टकरार तेरी मेरी नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई तेरे मंन की पुरी ना होवै कोनया चंल चाल ठाली बैठ कै खारी बैरण लागण देना हाल ढबे पिछ चाल करदु तेरी खिचाई नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई कयो करी सै तु खामा खाई लडाई ©Jitender Jiyhind

 White   कयो करी सै तु खामा खाई लडाई 
नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई
तु के सोच मै तेरी सारी टेल पुगाऊ 
सुनले नै छोरी मै तो नुये धुमा ठाऊ
फेर होजै सै छोरी टकरार तेरी मेरी
नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई
तेरे मंन की पुरी ना होवै कोनया चंल चाल 
ठाली बैठ कै खारी बैरण लागण देना हाल 
ढबे पिछ चाल करदु तेरी खिचाई 
नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई 
कयो करी सै तु खामा खाई लडाई

©Jitender Jiyhind

6

14 Love

White दुनिया विजय खुशी फिल्म होती है ©official Sahabu

#कविता #Thinking  White दुनिया विजय खुशी फिल्म होती है

©official Sahabu

#Thinking 6

11 Love

White अगर जनवरी में इतनी ठंड होगी, तो सितंबर में इतने बर्थडे आयेंगे ही. ..❤️🤭 ©Dr Anoop

#Couple  White अगर जनवरी में इतनी ठंड होगी,

तो सितंबर में इतने बर्थडे आयेंगे ही.
..❤️🤭

©Dr Anoop

#Couple 6 gm

18 Love

White टाइम्स ऑफ इंडिया की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ कमाने वाला अखबार बन गया। ©VIMALESH YADAV

#मोटिवेशनल #vimaleshyadav #sad_quotes  White टाइम्स ऑफ इंडिया

 की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश
 राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स
 के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने 
वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के 
समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ 
और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स 
ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप 
में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में 
था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। 

भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध 
औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू 
जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। 
संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और 
तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ 
कमाने वाला अखबार बन गया।

©VIMALESH YADAV

times of India #sad_quotes #vimaleshyadav

14 Love

White GOOD MORNING 🌞 ©Devansh gujjar saidipur

#love_shayari  White GOOD MORNING 🌞

©Devansh gujjar saidipur

#love_shayari day 6

15 Love

#love_shayari  White कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

💓

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

©Deepak Gangwar

#love_shayari 6❤️

117 View

White कयो करी सै तु खामा खाई लडाई नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई तु के सोच मै तेरी सारी टेल पुगाऊ सुनले नै छोरी मै तो नुये धुमा ठाऊ फेर होजै सै छोरी टकरार तेरी मेरी नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई तेरे मंन की पुरी ना होवै कोनया चंल चाल ठाली बैठ कै खारी बैरण लागण देना हाल ढबे पिछ चाल करदु तेरी खिचाई नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई कयो करी सै तु खामा खाई लडाई ©Jitender Jiyhind

 White   कयो करी सै तु खामा खाई लडाई 
नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई
तु के सोच मै तेरी सारी टेल पुगाऊ 
सुनले नै छोरी मै तो नुये धुमा ठाऊ
फेर होजै सै छोरी टकरार तेरी मेरी
नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई
तेरे मंन की पुरी ना होवै कोनया चंल चाल 
ठाली बैठ कै खारी बैरण लागण देना हाल 
ढबे पिछ चाल करदु तेरी खिचाई 
नुये काचे काटेगा तेरे बाप का जमाई 
कयो करी सै तु खामा खाई लडाई

©Jitender Jiyhind

6

14 Love

White दुनिया विजय खुशी फिल्म होती है ©official Sahabu

#कविता #Thinking  White दुनिया विजय खुशी फिल्म होती है

©official Sahabu

#Thinking 6

11 Love

White अगर जनवरी में इतनी ठंड होगी, तो सितंबर में इतने बर्थडे आयेंगे ही. ..❤️🤭 ©Dr Anoop

#Couple  White अगर जनवरी में इतनी ठंड होगी,

तो सितंबर में इतने बर्थडे आयेंगे ही.
..❤️🤭

©Dr Anoop

#Couple 6 gm

18 Love

White टाइम्स ऑफ इंडिया की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ कमाने वाला अखबार बन गया। ©VIMALESH YADAV

#मोटिवेशनल #vimaleshyadav #sad_quotes  White टाइम्स ऑफ इंडिया

 की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश
 राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स
 के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने 
वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के 
समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ 
और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स 
ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप 
में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में 
था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। 

भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध 
औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू 
जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। 
संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और 
तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ 
कमाने वाला अखबार बन गया।

©VIMALESH YADAV

times of India #sad_quotes #vimaleshyadav

14 Love

White GOOD MORNING 🌞 ©Devansh gujjar saidipur

#love_shayari  White GOOD MORNING 🌞

©Devansh gujjar saidipur

#love_shayari day 6

15 Love

#love_shayari  White कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

💓

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

©Deepak Gangwar

#love_shayari 6❤️

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