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White जिंदगी मे कभी कभी बहोत कुछ एक साथ बिखर जाता है रिश्ते भी, सपने भी, और कुछ अपने भी... ©RAVI PRAKASH

#शायरी #GoodMorning  White जिंदगी मे कभी कभी बहोत कुछ एक साथ बिखर जाता है रिश्ते भी, सपने भी, और कुछ अपने भी...

©RAVI PRAKASH

#GoodMorning जिंदगी मे कभी कभी बहोत

9 Love

White मेरे नाम को याद रख कर क्या करोगे अच्छा तो यही होगाकि मुझे तुमअपने दिल मे बसा कर देख को हा...अगर दिल तुम्हारा कमज़ोर है . तो तुम मुझे अपनी निगाहो मे बसा कर देख लो ©Parasram Arora

 White मेरे नाम को याद रख कर क्या करोगे 
अच्छा तो यही होगाकि मुझे तुमअपने दिल मे बसा कर देख को  

हा...अगर दिल 
 तुम्हारा कमज़ोर है . तो तुम मुझे अपनी निगाहो मे बसा कर देख लो

©Parasram Arora

दिल मे बसा कर देख लो

13 Love

White मेरी बेखुदी मे भटकता रहा मेरा खुदा न जाने कहा कहा मै उसे खोजता रहा सबज़ बगिचो मे लेकिन . मुझे वो दिखा बंजर रेगिस्तान के उजड़े हुए बिहदो मे r ©Parasram Arora

 White मेरी बेखुदी मे 
भटकता रहा मेरा 
खुदा न जाने कहा कहा 

मै उसे खोजता रहा 
सबज़ बगिचो मे 
लेकिन . मुझे वो दिखा 
बंजर रेगिस्तान के 
उजड़े हुए बिहदो मे r

©Parasram Arora

मेरी बेखुदी मे

14 Love

कितना सही कितना गलत इसका हिसाब क्या करना आज के आज़ जीना कल को क्यों मरना जो अतीत को झाकूंगा तो रोना आएगा भविष्य कि सोचूँ तो और भी डराएगा वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता उसे क्यों न संभालू इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ हा थोड़ा थोड़ा ही सही दिल ने दी इज़ाज़त तो हल्का हल्का सा जाम किसी के नाम का उसके हा उसके लबों से आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ हा पी रहा हुँ अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ ©ranjit Kumar rathour

#कविता  कितना सही कितना गलत 
इसका हिसाब क्या करना 
आज के आज़ जीना 
कल को क्यों मरना 
जो अतीत को झाकूंगा 
तो रोना आएगा 
भविष्य कि सोचूँ 
तो और भी डराएगा 
वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता 
उसे क्यों न संभालू 
इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ 
हा थोड़ा थोड़ा ही सही 
दिल ने दी इज़ाज़त तो 
हल्का हल्का सा जाम 
किसी के नाम का 
उसके हा उसके लबों से 
आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ
हा पी रहा हुँ
अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ

©ranjit Kumar rathour

आज़ मे जी रहा हुँ

15 Love

सर्द मौसम मे भी एक गरमाहट सी है जो बाऱ बार एहसास कराती है कि कोई है जो तुम्हे यादो का लिहाफ ओढ़े याद कर रहा है और फिर लगता कि शायद वो यही कही पास ही है मेरे करीब और करीब हा बिल्कुल करीब ©ranjit Kumar rathour

#कविता  सर्द मौसम मे भी 
एक गरमाहट सी है 
जो बाऱ बार एहसास कराती है 
कि कोई है जो तुम्हे 
यादो का लिहाफ ओढ़े 
याद कर रहा है 
और फिर लगता कि शायद 
वो यही कही पास ही है 
मेरे करीब और करीब 
हा बिल्कुल करीब

©ranjit Kumar rathour

और करीब सर्द मौसम मे

12 Love

Unsplash जीवंन के विकास क्रम. मे आचरण की शिथिलता स्पष्ट नजर आ रहीं हैँ संवेदनाओं के स्तर धीरे धीरे शून्यता की तरफ अग्रसर होते दिख रहेहैँ और बुलंदियों की सुदौल आकृति भी लड़खड़ाती हुई दिख रहीं हैँ ©Parasram Arora

 Unsplash जीवंन  के विकास क्रम. मे आचरण की शिथिलता स्पष्ट नजर आ रहीं हैँ

संवेदनाओं के स्तर धीरे धीरे शून्यता की तरफ अग्रसर होते दिख रहेहैँ 
और  बुलंदियों की सुदौल आकृति भी लड़खड़ाती हुई दिख रहीं हैँ

©Parasram Arora

जिवंन के विकास क्रम मे

14 Love

White जिंदगी मे कभी कभी बहोत कुछ एक साथ बिखर जाता है रिश्ते भी, सपने भी, और कुछ अपने भी... ©RAVI PRAKASH

#शायरी #GoodMorning  White जिंदगी मे कभी कभी बहोत कुछ एक साथ बिखर जाता है रिश्ते भी, सपने भी, और कुछ अपने भी...

©RAVI PRAKASH

#GoodMorning जिंदगी मे कभी कभी बहोत

9 Love

White मेरे नाम को याद रख कर क्या करोगे अच्छा तो यही होगाकि मुझे तुमअपने दिल मे बसा कर देख को हा...अगर दिल तुम्हारा कमज़ोर है . तो तुम मुझे अपनी निगाहो मे बसा कर देख लो ©Parasram Arora

 White मेरे नाम को याद रख कर क्या करोगे 
अच्छा तो यही होगाकि मुझे तुमअपने दिल मे बसा कर देख को  

हा...अगर दिल 
 तुम्हारा कमज़ोर है . तो तुम मुझे अपनी निगाहो मे बसा कर देख लो

©Parasram Arora

दिल मे बसा कर देख लो

13 Love

White मेरी बेखुदी मे भटकता रहा मेरा खुदा न जाने कहा कहा मै उसे खोजता रहा सबज़ बगिचो मे लेकिन . मुझे वो दिखा बंजर रेगिस्तान के उजड़े हुए बिहदो मे r ©Parasram Arora

 White मेरी बेखुदी मे 
भटकता रहा मेरा 
खुदा न जाने कहा कहा 

मै उसे खोजता रहा 
सबज़ बगिचो मे 
लेकिन . मुझे वो दिखा 
बंजर रेगिस्तान के 
उजड़े हुए बिहदो मे r

©Parasram Arora

मेरी बेखुदी मे

14 Love

कितना सही कितना गलत इसका हिसाब क्या करना आज के आज़ जीना कल को क्यों मरना जो अतीत को झाकूंगा तो रोना आएगा भविष्य कि सोचूँ तो और भी डराएगा वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता उसे क्यों न संभालू इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ हा थोड़ा थोड़ा ही सही दिल ने दी इज़ाज़त तो हल्का हल्का सा जाम किसी के नाम का उसके हा उसके लबों से आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ हा पी रहा हुँ अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ ©ranjit Kumar rathour

#कविता  कितना सही कितना गलत 
इसका हिसाब क्या करना 
आज के आज़ जीना 
कल को क्यों मरना 
जो अतीत को झाकूंगा 
तो रोना आएगा 
भविष्य कि सोचूँ 
तो और भी डराएगा 
वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता 
उसे क्यों न संभालू 
इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ 
हा थोड़ा थोड़ा ही सही 
दिल ने दी इज़ाज़त तो 
हल्का हल्का सा जाम 
किसी के नाम का 
उसके हा उसके लबों से 
आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ
हा पी रहा हुँ
अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ

©ranjit Kumar rathour

आज़ मे जी रहा हुँ

15 Love

सर्द मौसम मे भी एक गरमाहट सी है जो बाऱ बार एहसास कराती है कि कोई है जो तुम्हे यादो का लिहाफ ओढ़े याद कर रहा है और फिर लगता कि शायद वो यही कही पास ही है मेरे करीब और करीब हा बिल्कुल करीब ©ranjit Kumar rathour

#कविता  सर्द मौसम मे भी 
एक गरमाहट सी है 
जो बाऱ बार एहसास कराती है 
कि कोई है जो तुम्हे 
यादो का लिहाफ ओढ़े 
याद कर रहा है 
और फिर लगता कि शायद 
वो यही कही पास ही है 
मेरे करीब और करीब 
हा बिल्कुल करीब

©ranjit Kumar rathour

और करीब सर्द मौसम मे

12 Love

Unsplash जीवंन के विकास क्रम. मे आचरण की शिथिलता स्पष्ट नजर आ रहीं हैँ संवेदनाओं के स्तर धीरे धीरे शून्यता की तरफ अग्रसर होते दिख रहेहैँ और बुलंदियों की सुदौल आकृति भी लड़खड़ाती हुई दिख रहीं हैँ ©Parasram Arora

 Unsplash जीवंन  के विकास क्रम. मे आचरण की शिथिलता स्पष्ट नजर आ रहीं हैँ

संवेदनाओं के स्तर धीरे धीरे शून्यता की तरफ अग्रसर होते दिख रहेहैँ 
और  बुलंदियों की सुदौल आकृति भी लड़खड़ाती हुई दिख रहीं हैँ

©Parasram Arora

जिवंन के विकास क्रम मे

14 Love

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