White पता है तुम्हें,,.. बहुत याद आ रहे हो, बार बार आ रहे हो..! शायद तुम्हें याद न हो लेकिन तुमने बातों बातों में अपना मोबाइल नंबर दिया था जो मेरे पास है पर मैं तुम्हें ये संदेश भी नहीं देना चाहता कि तुम बहुत याद आ रहे हो.. जानते हो क्यूँ...? क्यूंकि अगर मैं तुम्हें मोबाइल पर मैसेज करके ये बता दूँ कि तुम बहुत याद आ रहे हो तो जाहिर सी बात है तुम मेरे बारे थोड़ा बहुत सोचकर दस पांच मिनिट मुझसे बात करके बात खत्म कर दोगे..इससे वो बात नहीं बनेगी जो मैं चाहता हूँ... क्यूंकि आधुनिक उपकरणों में सुविधा बहुत है लेकिन वो सुकून नहीं है जो इनके अभाव में हुआ करता था..अब तुम सोचते होगे आखिर मैं चाहता क्या हूँ..! तो सुनो.. मेरी इच्छा है कि मैं तुम्हें जब याद करूँ तब तुम्हें वहाँ ऐसा आभास होना चाहिए कि कोई तुम्हें याद कर रहा है, सोचो.. यहाँ मैं तुम्हें याद करूँ और वहाँ तुम्हारे तलुवे में गुदगुदाहट हो, कभी हिचकियाँ आने लगें, तुम बार बार यह सोचकर हैरान हो जाओ कि आखिर तुम्हें हो क्या रहा है और तब घरवालों में से कोई कहे.. लगता है कोई तुम्हें बहुत याद कर रहा है.. और तुम सोचने लगो.. कौन मुझे याद कर रहा होगा... और बहुत सोचने के बाद तुम्हें एकदम से याद आये कि तुमने मुझसे वादा किया था कि घर पहुंचते ही तुम मुझसे बात करोगे.. लेकिन तुम भूल गये और पूरा साल गुजर गया..!
©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
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