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White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले । ©Writer

#06nov2024 #SAD  White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती 
जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते 
यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले ।

©Writer

🥀🍁🥀 #06nov2024 #07:59am

30 Love

White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान, जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान। छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग, वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग। बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव, माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ। रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना, उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना। छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर, बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर। आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है, बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है। ©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora  White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।

छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।

बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,
माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ।

रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना,
उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना।

छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर,
बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर।

आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है,
बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है।

©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora Date:- 07/10/2024

24 Love

#मोटिवेशनल

s

117 View

s

108 View

#कविता

s

144 View

#वीडियो #S

#S

90 View

White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले । ©Writer

#06nov2024 #SAD  White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती 
जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते 
यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले ।

©Writer

🥀🍁🥀 #06nov2024 #07:59am

30 Love

White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान, जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान। छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग, वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग। बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव, माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ। रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना, उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना। छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर, बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर। आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है, बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है। ©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora  White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।

छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।

बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,
माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ।

रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना,
उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना।

छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर,
बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर।

आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है,
बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है।

©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora Date:- 07/10/2024

24 Love

#मोटिवेशनल

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#कविता

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#वीडियो #S

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