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White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

14 Love

सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सशक्त किया, ज़रूर हूँ। राहें कांटों से भरी हों, फिर भी चलता हूँ, तक़दीर खुद की बदलता ज़रूर हूँ। दूरियाँ चाहे जितनी बढ़ें मुझसे, वो मेरी मंज़िल, फिर भी मेरे कदमों तक पहुँचता ज़रूर हूँ। लहरों से डरकर मैं किनारे नहीं बैठता, तूफ़ान से भी टकराता ज़रूर हूँ। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ,
पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ।

जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ,
हर चोट ने मुझे और सशक्त किया, ज़रूर हूँ।

राहें कांटों से भरी हों, फिर भी चलता हूँ,
तक़दीर खुद की बदलता ज़रूर हूँ।

दूरियाँ चाहे जितनी बढ़ें मुझसे,
वो मेरी मंज़िल, फिर भी मेरे कदमों तक पहुँचता ज़रूर हूँ।

लहरों से डरकर मैं किनारे नहीं बैठता,
 तूफ़ान से भी टकराता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सश

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White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

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सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सशक्त किया, ज़रूर हूँ। राहें कांटों से भरी हों, फिर भी चलता हूँ, तक़दीर खुद की बदलता ज़रूर हूँ। दूरियाँ चाहे जितनी बढ़ें मुझसे, वो मेरी मंज़िल, फिर भी मेरे कदमों तक पहुँचता ज़रूर हूँ। लहरों से डरकर मैं किनारे नहीं बैठता, तूफ़ान से भी टकराता ज़रूर हूँ। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ,
पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ।

जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ,
हर चोट ने मुझे और सशक्त किया, ज़रूर हूँ।

राहें कांटों से भरी हों, फिर भी चलता हूँ,
तक़दीर खुद की बदलता ज़रूर हूँ।

दूरियाँ चाहे जितनी बढ़ें मुझसे,
वो मेरी मंज़िल, फिर भी मेरे कदमों तक पहुँचता ज़रूर हूँ।

लहरों से डरकर मैं किनारे नहीं बैठता,
 तूफ़ान से भी टकराता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सश

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